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सूर्यकुमार यादव: मैंने अपनी टीम से कहा था कि मैं इस तरह के बहुत सारे मैच देख चुका हूं

श्रीलंका के ख़िलाफ़ मिली रोमांचक जीत के बाद रियान पराग ने बताया कि रिंकू और सूर्यकुमार ने क्यों गेंदबाज़ी की

Rinku Singh and Suryakumar Yadav were two unlikely heroes with the ball, Sri Lanka vs India, 3rd T20I, Pallekele, July 30, 2024

रिंकू और सूर्या ने आख़िरी 12 गेंदों में 10 रन डिफेंड किया  •  AFP/Getty Images

भारत और श्रीलंका के बीच हुए तीसरे T20I के दौरान एक समय पर श्रीलंका को 30 गेंदों में सिर्फ़ 30 रनों की ज़रूरत थी। इसके बावजूद भी भारतीय टीम श्रीलंका को हराने में सफल रही। T20 विश्व कप के फ़ाइनल की तरह ही भारत की इस जीत में भी सूर्यकुमार यादव ने फिर से एक अदभुत कारनामा किया। हालांकि इस बार सूर्या ने बल्लेबाज़ी या क्षेत्ररक्षण में नहीं बल्कि गेंद के साथ अपना करतब दिखाया।
आख़िरी ओवर में श्रीलंका को जीत के लिए सिर्फ़ छह रनों की ज़रूरत थी और सूर्या ने गेंदबाज़ी की जिम्मेदारी लेते हुए, दो विकेट झटके और सिर्फ़ पांच ही रन दिए, जिससे मैच सुपर ओवर में पहुंच गया।
इस T20 सीरीज़ में श्रीलंका की बल्लेबाज़ी काफ़ी लचर रही है। जहां उनकी शुरुआत तो काफ़ी दमदार रहती है लेकिन वह अचानक से गुच्छों में विकेट गंवा देते हैं। पहले T20I में उन्होंने सिर्फ़ 30 रनों के भीतर ने अपने नौ विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद वाले मैच में उन्होंने 31 रनों के भीतर सात विकेट और अंतिम मैच में उन्होंने 22 रनों के भीतर सात विकेट गवां दिए।
पहले दो मैचों की तुलना में तीसरे T20I का माज़रा तो बिल्कुल ही अलग था। पहले दो मैचों में भारत के मुख्य गेंदबाज़ों ने विकेट निकाले थे लेकिन तीसरे T20 में सूर्या और रिंकू सिंह ने चार विकेट निकाल दिए। सिर्फ़ यही नहीं, ये चार विकेट तब निकाले गए, जब श्रीलंका को 12 गेंदों में सिर्फ़ 10 रनों की दरकार थी। रिंकू ने अपने पूरे T20 करियर में सिर्फ़ 60 गेंदें फेंकी हैं और सूर्या ने पिछले पांच साल में घरेलू क्रिकेट और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सिर्फ़ दो बार गेंदबाज़ी की है।
मैच जीतने के बाद सूर्या ने कहा, "मैच के अंतिम दो ओवरों से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है था कि 30 के स्कोर पर चार और 48 के स्कोर पर पांच विकेट गंवाने के बाद हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन खेल दिखाया और खेल को विपक्षी टीम की पहुंच से दूर ले गए। मुझे ऐसा लगा था कि इस पिच पर 140 के आस-पास का स्कोर एक सम्मानजनक स्कोर होगा। जब हम फ़ील्डिंग करने जा रहे थे तो मैंने अपने साथियों को यही कहा कि मैंने ऐसे कई मैच देखे हैं। अगर अगले 1-1.5 घंटे जान लगा कर खेलेंगे तो हम आसानी से यह मैच जीत सकते हैं।"
इस सीरीज़ के सभी तीन मैचों में स्पिनरों के मदद थी। हालांकि सूर्या का 20वें ओवर में गेंदबाज़ी करना, एक अलग ही तरह का फ़ैसला था।
रियान पराग ने मैच के बाद कहा, "हमें इस मैच में काफ़ी मज़ा आया। शायद इसलिए हमें नर्वसनेस महसूस नहीं हुई। हमारी टीम ने काफ़ी मज़ेदार तरीके से प्लानिंग की थी और यह प्लान काफ़ी कम समय में बनाया गया था। मुझे पूरा यक़ीन था कि सिराज भाई आख़िरी ओवर डालेंगे लेकिन फिर सूर्या भाई गेंदबाज़ी करने आ गए और इसे सुपर ओवर तक पहुंचा दिया। मुझे लगता है कि हर कोई काफ़ी रिलैक्स था। हम मज़े कर रहे थे। यही हमारा मोटो भी है।"
इस मैच में विशेषज्ञ गेंदबाज़ों ने भी अपना काम अच्छी तरह से किया। वॉशिंगटन सुंदर ने 17वें ओवर में श्रीलंका के कप्तान चरित असलंका और उनके प्रमुख ऑलराउंडर वानिन्दु हसरंगा को आउट कर श्रीलंकाई पारी को लड़खड़ाने पर मज़बूर कर दिया था।। इसके बाद वॉशिंगटन सुपर ओवर में गेंदबाज़ी करने आए और वहां भी दो विकेट निकाले।
वॉशिंगटन ने कहा, "मुझे लगता है कि मैंने जो भी काम किया है, वह सब भगवान का आशीर्वाद था। मैं बस ख़ुद को शांत रखने की कोशिश करना चाह रहा था। मैं बस इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहता था कि मुझे क्या करना है। मैं विशेष रूप से सूर्या का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे उस [सुपर ओवर] स्थिति में गेंद थमाई। हमने उनके बल्लेबाज़ों के ख़िलाफ़ थोड़ा होमवर्क किया था। जाहिर है कि विकेट में थोड़ी सी मदद भी थी, इसलिए मुझे बहुत कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी। मुझे बस सही लेंथ पर गेंदबाज़ी करनी थी।"
सूर्या के कप्तानी के बारे में वॉशिंगटन ने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो उनकी कप्तानी की क्षमता अद्भुत है। एक समय पर 12 गेंद में 12 रनों (12 गेंद में नौ रन) की ज़रूरत थी। और ऐसे समय में कुशल परेरा जैसे बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ रिंकू सिंह को गेंदबाज़ी के लिए लाना और ख़ुद अंतिम ओवर में गेंदबाज़ी करना एक साहसी फ़ैसला था। वहीं हमलोग लगभग वह मैच जीत ही गए थे। हम सभी जानते हैं कि जब सूर्या बल्लेबाज़ी करने जाते हैं तो बहुत साहसी तरीक़े से खेलते हैं। साथ ही कप्तानी में भी वह इसी तरह का साहस दिखा रहे हैं। इस जीत का काफ़ी हद तक श्रेय उन्हें ही जाता है।"
सूर्यकुमार की अपरंपरागत चीज़ों को आजमाने की इच्छा पिछले मैचों में भी देखी गई थी। इससे पहले भी उन्होंने डेथ ओवरों में रियान पराग से गेंदबाज़ी कराई थी। पराग इस सीरीज़ के दूसरे सबसे अधिक इस्तेमाल किए गए गेंदबाज़ हैं (9.2 ओवर) और वह केवल रवि बिश्नोई (12 ओवर) से पीछे हैं। पराग विशेष रूप से इस बात से खु़श थे कि वह लेग ब्रेक गेंदबाज़ी करने में भी सफल हो रहे थे।
पराग ने कहा, "मैं अपनी लेग स्पिन पर काम कर रहा हूं। मैंने घरेलू मैचों में इसे आज़माया भी है। हालांकि इसमें थोड़ा समय लग रहा है। टूर्नामेंट से पहले अभ्यास के दौरान मैं लेग ब्रेक फेंकने में सफल भी हो रहा था। सूर्या भाई ने मुझे कहा कि तुम लेग ब्रेक फेंकों और मैंने भी ख़ुद को व्यक्त करने का पूरा प्रयास किया।"
तीसरे T20 में पराग की गेंदबाज़ी योजना काफ़ी सरल थी। उन्होंने कहा, "जब गेंद इतना स्पिन हो रहा हो तो बहक जाना आसान होता है। इसलिए आज की गेंदबाज़ी के पीछे का लक्ष्य और विचार बस यही था कि गेंद को स्टंप्स की लाइन में रखना है। इसलिए मुझे वास्तव में बहुत कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी। मुझे बस सही जगह पर गेंदबाज़ी करनी थी। और फिर अंत में रिंकू भाई और सूर्या आ गए….. [हंसते हुए] "