2010 में
सौरभ नेत्रवलकर उस भारतीय अंडर-19 टीम का हिस्सा थे, जब पाकिस्तान ने उन्हें
क्वार्टर फ़ाइनल में हराकर उनका विश्व कप अभियान रोक दिया था।
बाबर आज़म तब भी विपक्षी टीम का हिस्सा थे, जब बारिश से प्रभावित मैच में पाकिस्तान ने भारत को दो विकेट से हराया था।
14 साल बाद नेत्रवलकर के पास उस हार का बदला लेने का
मौक़ा मिला। हालांकि यह मौक़ा भारत नहीं बल्कि USA की तरफ़ से था, जिसे उन्होंने दोनों हाथों से भुनाया। सुपर ओवर में गेंदबाज़ी करने आए नेत्रवलकर ने 18 रनों का सफलतापूर्वक बचाव किया और सिर्फ़ 13 रन दिए। इस ऐतिहासिक जीत के बाद USA के सुपर-8 में पहुंचने की संभावना बढ़ गई है। अगर ऐसा होता है तो नेत्रवलकर को अपनी छुट्टी एक या दो सप्ताह के लिए और बढ़ानी पड़ेगी और इसके लिए उन्हें अपने अमेरिकी सहकर्मियों को कोई बहाना भी नहीं देना होगा।
भारत और मुंबई की तरफ़ से क्रमशः अंडर-19 और घरेलू क्रिकेट खेल चुके 32 वर्षीय नेत्रवलकर कंप्यूटर इंजीनियरिंग में मास्टर्स करने के लिए USA गए थे। अब वह USA क्रिकेट की सबसे बड़ी कहानी का एक अहम हिस्सा हैं।
2009 में बाएं हाथ के इस तेज़ गेंदबाज़ ने NCA बेंगलुरू में एक ट्रेनिंग कैंप के दौरान युवराज सिंह का स्टंप उड़ाया था, तब वह एयर इंडिया की स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप का हिस्सा थे। इसके बाद उन्हें BCCI की कॉर्पोरेट ट्रॉफ़ी में खेलने का मौक़ा मिला और वह युवराज, सुरेश रैना और रॉबिन उथप्पा जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने लगे। विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी जैसे नाम उनके विपक्षी कैंप का हिस्सा थे। उस समय नेत्रवलकर की उम्र 18 साल भी नहीं थी और वह टूर्नामेंट में संयुक्त रूप से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के रूप में उभरे।
इसके बाद उन्हें भारतीय अंडर-19 विश्व कप टीम का हिस्सा बनने का मौक़ा मिला, जिसमें केएल राहुल, मयंक अग्रवाल, जयदेव उनादकट, मनदीप सिंह और हर्षल पटेल जैसे खिलाड़ी थे। इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का यह भी मतलब था कि वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई का पहला सेमेस्टर परीक्षा नहीं दे पाएंगे, जिसमें छह महीने पहले ही उन्होंने दाखिला लिया था।
विश्व कप के दौरान नेत्रवलकर भारत की तरफ़ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बनकर उभरे और इससे उनके मुंबई सीनियर टीम में जाने का रास्ता खुला। उस समय मुंबई के पास अजीत आगरकर, ज़हीर ख़ान, अविष्कार साल्वी और युवा धवल कुलकर्णी जैसे तेज़ गेंदबाज़ थे और नेत्रवलकर के लिए यह सफ़र कतई भी आसान नहीं था।
2013 में नेत्रवलकर को मुंबई की तरफ़ से रणजी डेब्यू करने का मौक़ा मिला। इससे कुछ महीने पहले ही नेत्रवलकर ने पुणे में एक नौकरी का ऑफ़र ठुकरा दिया था। वह अपना अगला दो साल पूरी तरह क्रिकेट को ही देना चाहते थे। लेकिन अगले दो साल में मुंबई टीम से अंदर-बाहर होने के कारण उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क से मिला स्कॉलरशिप स्वीकार कर लिया। क्रिकेट और इंजीनियरिंग दोनों में रूचि होने के कारण नेत्रवलकर ने 'क्रिकडिकोड' नाम का एक ऐप विकसित किया था, जिसके कारण उन्हें यह स्कॉलरशिप मिली थी।
जब नेत्रवलकर ने यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई समाप्त की तो उन्हें सैन फ़्रैंसिस्को में ओरेकल कंपनी से जॉब ऑफ़र मिला। नेत्रवलकर नए देश में अपने क्रिकेट किट के बिना गए थे, लेकिन वहां के भारतीय समुदाय में घुलने-मिलने के लिए वह वीकेंड में क्रिकेट भी खेलने लगे।
2016 के USACA नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने नॉर्थ वेस्ट का प्रतिनिधित्व किया। इसी दौरान ICC ने किसी देश के लिए खेलने की योग्यता को स्थायी निवास के चार साल से घटाकर तीन साल कर दिया था। 2017 में उन्होंने सदर्न कैलिफ़ोर्निया क्रिकेट एसोसिएशन के लिए खेलते हुए USA एकादश के ख़िलाफ़ एक शानदार स्पेल डाला, जिससे तत्कालीन USA कोच
पबुदु दसानायके बहुत प्रभावित हुए और उन्हें राष्ट्रीय टीम में बुला लिया। USA के लिए जनवरी 2018 में डेब्यू करते हुए उन्होंने
लीवर्ड आइसलैंड के ख़िलाफ़ 45 रन देकर दो विकेट लिए।
आज नेत्रवलकर के पास मेजर क्रिकेट लीग का कॉन्ट्रैक्ट है। पिछले साल उन्होंने वॉशिंगटन फ़्रीडम की तरफ़ से खेलते हुए मैथ्यू वेड, मार्कस स्टॉयनिस और शादाब ख़ान जैसे अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों से भरी सैन फ़्रैंसिस्को यूनिकॉर्न्स के ख़िलाफ
9 रन देकर छह विकेट लिए थे। वह इस सीज़न अपनी टीम की तरफ़ से तीसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी थे। सुपर ओवर के अंतिम गेंद पर उन्होंने शादाब को फिर से गेंदबाज़ी की।
अगले सप्ताह नेत्रवलकर, रोहित शर्मा और सूर्यकुमार यादव के ख़िलाफ़ उतरेंगे, जो कभी मुंबई टीम में उनके सीनियर होते थे। इसके अलावा उनके ख़िलाफ़ विराट कोहली खेलेंगे, जो कभी बीसीसीआई टूर्नामेंट्स में उनके प्रतिद्वंदी थे। हालांकि अब नेत्रवलकर को साबित करने की कुछ भी ज़रूरत नहीं है।