4 दिन, 4 ग़लतियां : हैदराबाद टेस्ट में भारत की हार की पटकथा
भारत पहले दो दिन तक इंग्लैंड पर पूरी तरह से हावी रहा था
नवनीत झा
29-Jan-2024
इंग्लैंड ने लगातार दूसरी बार भारत को उसके घर में टेस्ट श्रृंखला का पहला मैच हराया है। हैदराबाद टेस्ट में कुल 12 सत्र में से छह सत्र भारत ने जीते थे, दो सत्र में टक्कर बराबर की थी जबकि इंग्लैंड ने सिर्फ़ चार सत्र ही जीते थे। पहले दो दिन तक भारत पूरी तरह से हावी रहा था। लेकिन क्या विपक्षी टीम के ऊपर पूरी तरह से हावी होने के बावजूद पहले दिन से ही भारत पर हार का ख़तरा साए की तरह मंडराने लगा था?
पहला दिन : पुछल्ले क्रम ने छुड़वाए पसीने
इंग्लैंड, 246 भारत, 119 पर 1
"हमें लगा कि 240 एक प्रतिस्पर्धी टोटल था, अगर हमने 30-40 रन कम दिए होते तो यह और भी अच्छा रहता। लेकिन यशस्वी (जायसवाल) और रोहित (शर्मा) ने हमें जिस तरह की शुरुआत दी उससे हमें थोड़ी आसानी हुई..."
पहले दिन के खेल की समाप्ति के बाद रविचंद्रन अश्विन की ब्रॉडकास्टर्स से हुई बातचीत के इस अंश में निराशा और आशा दोनों के ही भाव छुपे हुए थे। निराशा यह थी कि भारत ने 30-40 रन ज़्यादा दे दिए थे।
पुछल्ले क्रम को जल्द आउट ना कर पाना एक ऐसी समस्या है जो भारत के साथ हमेशा से बनी रही है। हैदराबाद टेस्ट में पहले दिन भी यही हुआ था। एक समय ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड 200 के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाएगा, 155 के स्कोर पर इंग्लैंड ने अपने सात विकेट गंवा दिए थे लेकिन टॉम हार्टली, मार्क वुड और बेन स्टोक्स को आउट करने में भारतीय गेंदबाज़ों को लगभग आधा सत्र जितना समय, 16 ओवर और 91 रनों का इंतज़ार करना पड़ गया। जबकि दूसरी पारी में भी इंग्लैंड के अंतिम तीन विकेटों ने मिलकर 81 रन बनाए। भारत की 28 रनों की हार में इंग्लैंड के पुछल्ले क्रम (हार्टली, मार्क वुड और जैक लीच) ने दोनों पारियों में मिलकर कुल 68 रन जोड़े थे।
दूसरा दिन : अच्छी शुरुआत नहीं हो पाई बड़ी पारियों में तब्दील
भारत 421 पर 7 (175 रन की बढ़त)
"अब किसी ऐसे की ज़रूरत है जो आगे बढ़े और शतक बनाए।"
पहले दिन के खेल की समाप्ति के बाद अश्विन के शब्दों से आशा के भाव भी झलके थे। उन्होंने यह उम्मीद जताई थी कि भारतीय टीम से कोई बल्लेबाज़ एक बड़ा शतक लगाएगा।
यशस्वी (80), केएल राहुल(86), श्रेयस अय्यर (35) और श्रीकर भरत (41) उन बल्लेबाज़ों में से थे जिन्हें एक बेहतर शुरुआत मिली थी। लेकिन इनमें से कोई भी अपनी पारी को बड़ी पारी में तब्दील नहीं कर पाया। हालांकि दूसरे दिन के अंत तक रवींद्र जाडेजा (81) जबकि अक्षर पटेल (35) के निजी स्कोर पर नॉट आउट लौटे थे। लेकिन अगले दिन भी अश्विन की इस आस पर पानी फिरने वाला था। भारत अगले दिन 15 रन ही जोड़ पाया और यशस्वी, राहुल और जाडेजा 80 का आंकड़ा पार करने के बावजूद शतक या बड़ी पारी नहीं खेल पाए।
इंग्लैंड के मुक़ाबले भारत की बल्लेबाज़ी में अधिक गहराई थी। भारत के पास नंबर नौ तक बल्लेबाज़ी का विकल्प मौजूद था। लेकिन पहली पारी में जिस स्कोर पर भारत का आठवां विकेट गिरा, इंग्लैंड ने भारत को उस स्कोर से एक रन भी आगे नहीं बढ़ने दिया। हालांकि दूसरी पारी में भारत के अंतिम दो विकेटों ने 26 रन ज़रूर जोड़े। जबकि अकेले पहली पारी में इंग्लैंड के अंतिम दो विकेटों ने 49 रन जोड़े थे। इंग्लैंड इस मैच में सिर्फ़ एक तेज़ गेंदबाज़ (वुड) के साथ उतरा था जबकि दो तेज़ गेंदबाज़ों के साथ उतरे भारत ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ डाले कुल 166.4 (64.3 और 102.1) ओवर में से मोहम्मद सिराज से सिर्फ़ 11 (4 और 7) ओवर ही डलवाए, जबकि जसप्रीत बुमराह (8.3 और 16.1) ने सिराज से दोगुनी गेंदबाज़ी की।
तीसरा दिन : फ़ील्डिंग बनी गले की फांस
भारत 436, इंग्लैंड 316 पर 6
"मैंने स्वीप और रिवर्स स्वीप को इनसाइड एज को कवर करने और वापस गेंदबाज़ पर दबाव डालने का हथियार बनाया..."
मैच के बाद ऐसा कहने वाले ऑली पोप ही तीसरे दिन असली फ़र्क पैदा करने वाले थे लेकिन भारत ने फ़ील्ड पर एक नहीं दो बड़ी ग़लती कर दी थी, जिसकी कीमत उसे मैच हार कर चुकानी थी। इंग्लैंड की दूसरी पारी में पोप (196) के अलावा कोई अन्य बल्लेबाज़ 50 तक के आंकड़े को नहीं छू पाया था।
इंग्लैंड ने 190 रन की लीड के जवाब में 89 रन पहले सत्र में ही बना दिए थे। लेकिन अगले सत्र में भारत ने सिर्फ़ 83 रन देकर चार विकेट भी ले लिए थे। लेकिन असली पासा तीसरे सत्र में पलटने वाला था। पोप ने शतक बना लिया था और वह 110 के निजी स्कोर पर खेल रहे थे। पोप के जिस रिवर्स स्वीप की प्रशंसा क्रिकेट जगत में फैली है उसी शॉट पर बैकवर्ड प्वाइंट पर खड़े अक्षर ने उनका कैच छोड़ दिया। अगले ही ओवर में रन आउट का हाफ़ चांस आया लेकिन भारत उसे भी भुना नहीं पाया।
पोप तब 110 के निजी स्कोर पर खेल रहे थे•BCCI
फ़ील्डिंग में यह समस्या अगले दिन भी समाप्त नहीं हुई। राहुल ने स्लिप में पोप का एक कैच और छोड़ दिया और पोप तब 187 के निजी स्कोर पर खेल रहे थे। हालांकि राहुल के पास एक लो कैच आया था लेकिन दूसरी पारी में पोप ने सिली प्वाइंट और शॉर्ट लेग पर कैच जब लपका तब वह काफ़ी स्क्वायर और फ़ाइन खड़े हुए थे। यहां तक कि इंग्लैंड के स्पिनर्स की गेंदबाज़ी के दौरान इंग्लैंड के दल से दूसरी स्लिप का फ़ील्डर घुटनों को टिकाकर फ़ील्डिंग कर रहा था। इससे यह स्पष्ट था कि अब इंग्लैंड पहले से लो कैच आने की स्थिति के लिए तैयार है।
चौथा दिन : गेंद और बल्ले दोनों ही मोर्चे पर आक्रामकता में कमी
इंग्लैंड 420, भारत 202 (इंग्लैंड की 28 रन से जीत)
"ऐसा कर (स्वीप और रिवर्स स्वीप) हम ना सिर्फ़ गेंदबाज़ों पर दबाव डाल सकते थे बल्कि इससे गेंदबाज़ शॉर्ट गेंद करने पर मजबूर हो सकते थे और इसका एक फ़ायदा यह भी हो सकता था कि विपक्षी टीम को आउटफ़ील्ड खोलने पर मजबूर होना पड़ जाए।"
पोप ने मैच के बाद बताया कि वो आख़िर क्यों बारंबार अपरंपरागत माने जाने वाले शॉट खेल रहे थे। ख़ुद की पारी को बड़ा करने की मंशा तो थी ही लेकिन पोप के इस रवैये ने भारत को डिफ़ेंसिव अप्रोच अपनाने पर मजबूर कर दिया। स्पिनर्स अब शॉर्ट गेंदें डाल रहे थे और फ़ील्ड भी खुल गई थी। शॉर्ट लेग और सिली प्वाइंट भी नदारद थे।
Ollie Pope reverse sweeps•BCCI
भारत के सामने लक्ष्य बड़ा नहीं था लेकिन चौथी पारी में 231 रन बनाना एक मज़बूत बल्लेबाज़ी लाइन अप तक के लिए आसान नहीं रहने वाला था। जैसा कि ख़ुद मैच के बाद टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि गेंद काफ़ी नीची रह रही थी और भारतीय टीम को पोप जैसी ही किसी पारी की ज़रूरत थी।
रोहित ने पोप के अंदाज़ में रिवर्स स्वीप भी खेले, राहुल ने भी शुरुआत में आते ही आक्रामकता का परिचय दिया। लेकिन 231 के लक्ष्य और इंग्लैंड की आक्रामकता के सामने भारत की आक्रामकता क्षणिक ही साबित हुई।
द्रविड़ ने भारत की दूसरी पारी के दौरान परिस्थितियों के कठिन और लक्ष्य अधिक होने का हवाला देते हुए कहा कि भारत के पास पहली पारी में ही बड़ी लीड लेने का मौक़ा था। बकौल द्रविड़ अगर भारत ने पहली पारी में 500 के आसपास स्कोर बना लिया होता तो भारत बड़ी लीड ले चुका होता और उस समय पिच भी बल्लेबाज़ी के लिए काफ़ी अनुकूल थी।
लेकिन क्या अगर गेंदबाज़ी में भारत ने पहले दिन ही इंग्लैंड के पुछल्ले क्रम को आउट करने में देर नहीं की होती तो क्या भारत का वही स्कोर 190 से ज़्यादा की लीड नहीं दिला देता? अगर पोप को 110 के स्कोर पर ही आउट करने के मौक़े को भुना लिया गया होता तो भारत के लिए 190 की लीड ही पर्याप्त साबित नहीं होती? क्या 12 सत्र में से छह सत्र अपने नाम करने वाला भारत हर दिन किसी ना किसी मोर्चे पर पूरी तरह से विफल नहीं रहा था?
नवनीत झा ESPNcricinfo में कंसल्टेंट सब एडिटर हैं।