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विक्रोली से MCG तक : तनुष कोटियान की कहानी

कैसे एक दुबले-पतले ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर ने पिछड़ने के बाद वापसी की और कठिन परिस्थितियों से निकलते हुए मुंबई का हीरो बना

Tanush Kotian celebrates his century, Mumbai vs Rest of India, Irani Cup, Lucknow, 5th day, October 5, 2024

तनुष ने पिछले रणजी सीज़न में मुंबई के चैंपियन बनने में अहम भूमिका निभाई थी  •  Tanuj/Ekana Cricket Stadium

मुंबई टीम रायपुर में 2023-24 रणजी ट्रॉफ़ी सीज़न में अपने अगले मुक़ाबले से पहले ट्रेनिंग कर रही थी। मुंबई के कप्‍तान अजिंक्‍य रहाणे अपने ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर तनुष कोटियान के पास आए और उनसे कहा उनमें बल्‍लेबाज़ी की बहुत क़ाबिलियत है और अब उस सीज़न के चार अर्धशतकों को शतक में बदलने की बारी है।
कुछ सप्‍ताह के बाद कोटियान ने अपने कप्‍तान की बात मानी और एक ऐसा शतक लगाया, जिसकी ख़ूब तारीफ़ हुई। यह शतक किसी भी मायने में आम नहीं था। नंबर 10 पर बल्लेबाज़ी करते हुए कोटियन ने 115 गेंदों में सिर्फ़ अपना पहला प्रथम श्रेणी शतक नहीं बनाया, बल्कि तुषार देशपांडे के साथ 232 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की। यह रणजी ट्रॉफ़ी इतिहास में 10वें विकेट के लिए दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी थी।
कोटियान की इस पारी की हाइलाइट उनकी आत्‍मविश्‍वास से भरी ड्राइव थी, कमाल के पुल थे और आगे निकले हुए चार छक्‍के थे। रणजी क्वार्टरफ़ाइनल में बड़ौदा के ख़िलाफ़ कोटियान का यह शतक कई मायनों में स्पेशल बन गया। अगर उस मैच में यह साझेदारी नहीं बनती तो मुंबई और बड़ौदा के बीच चल रहा वह क्वार्टरफ़ाइनल किसी भी तरफ़ जात सकता था लेकिन इस साझेदारी ने बड़ौदा को मैच से बाहर कर दिया।
रहाणे ने रायपुर में कोटियान के साथ हुई बातचीत के बारे में ESPNcricinfo को बताया था, "मैंने उससे कहा था, 'तुम में क़ाबिलियत है, अगर तुम नंबर 8 या 9 पर शतक बना सकते हो तो यह गेम चेंजर साबित हो सकता है।' कई बार आप जब 70-80 स्‍कोर कर रहे होते हो तो आपको सलाह की ज़रूरत होती है क्‍योंकि तब आपका साथ देने के लिए एक या दो बल्‍लेबाज़ ही होते हैं। तो आपको अपने मौक़े तलाशने होंगे। मैंने उससे कहा कि यह जानने का प्रयास करो कि किन गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ आक्रमण करना है, कब स्‍ट्राइक अपने पास रखनी है। मुझे हमेशा लगा है कि उसके अंदर एक अच्‍छा ऑलराउंडर बनने की प्रतिभा है।"
बड़ौदा के ख़िलाफ़ वह पारी खेलने के बाद कोटियान ने सेमीफ़ाइनल में तमिलनाडु के ख़िलाफ़ 89 रनों की दमदार पारी खेली। फ़ाइनल में विदर्भ के ख़िलाफ़ तो कोटियान बल्ले के साथ कोई योगदान नहीं दे सके लेकिन गेंदबाज़ी में सात विकेट लेते हुए, उन्होंने मुंबई को 42वां रणजी ट्रॉफ़ी ख़‍िताब जिताया। कोटियान ने उस सीज़न क़रीब 42 की औसत से 502 रन बनाए और गेंदबाज़ी में 29 विकेट लिए और प्‍लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट की ट्रॉफ़ी अपने नाम की। कोटियान 500 से अधिक रन बनाने वाले और 25 विकेट पूरे करने वाले उस सीज़न के अकेले खिलाड़ी थे।
छह महीने के बाद उन्हें दलीप ट्रॉफ़ी में इंडिया ए की टीम में शामिल किया गया। इसके बाद वह पिछले महीने ईरानी कप में मुंबई की टीम में शामिल थे। इस मैच में कोटियान ने पहले 64 रनों की एक धैर्यपूर्ण पारी खेली और उसके बाद कप्तान की सलाह को मानते हुए 114 रन बनाए। यह पारी एक ऐसे समय में आई थी, जहां मुंबई की टीम 125 के स्कोर पर छह विकेट गंवा कर संघर्ष कर रही थी।
कोटियान ने यह पारी एक मज़बूत तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण के ख़िलाफ़ लगाई थी। उसमें मुकेश कुमार, प्रसिद्ध कृष्णा और यश दयाल शामिल थे। यह इस बात का प्रमाण है कि कोटियान के पास दबाव में भी टीम को संभालने की क्षमता है। यह उस एहसास का नतीज़ा था जो कोटियान को अपने करियर की शुरुआत में मिला था। उन्होंने अभी भी केवल 32 प्रथम श्रेणी खेले हैं, लेकिन भारत की प्रमुख लाल गेंद की प्रतियोग‍िता में प्रदर्शन करना उनकी क़ाबिलियत को दर्शाता है।
भारत ए के ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर जाने से पहले मुंबई के डगआउट में बैठे कोटियान ने ESPNcricinfo से कहा, "ऐज़ ग्रुप क्रिकेट और यहां प्रदर्शन करने में बड़ा अंतर है और मैं जानता था दबाव संभालना सबसे मुख्य काम है क्‍योंकि विरोधी टीम के पास शीर्ष गेंदबाज़ हैं और आपको ऐसे मौक़े बार-बार नहीं मिलते। आपको कोई ख़राब गेंद भी नहीं मिलती तो जो भी मौक़ा मिलता है उसका फ़ायदा उठाना होता है।
"मैं परिस्थितियों के बारे में इस तरह से नहीं सोचता कि, 'यह एक कठिन स्थिति है'। मैं अपने स्वाभाविक खेल, अपने आत्मविश्वास और अपने शॉट्स का समर्थन करता हूं। मैं अनावश्यक रूप से सिर्फ़ इसलिए डिफ़ेंस नहीं करना चाहता क्योंकि यह दबाव की स्थिति है। इसके बजाय, मैं उन परिस्थितियों में गेंदबाज़ पर हावी होने की कोशिश करता हूं ताकि वे बैकफु़ट पर चले जाएं। मैं भी पारी को पांच-पांच रनों के टुकड़ों में बनाने की कोशिश करता हूं और अगले 50 या 100 रनों के बारे में नहीं सोचता।"
अब 26 साल की उम्र के हो चुके अपने पांचवें रणजी सीज़न में कोटियन ने बताया कि कैसे छह साल पहले अपने पहले सीज़न में सिर्फ़ दो मैच खिलाने के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया था और खु़द को फिर से साबित करने के लिए उन्हें अंडर-23 सर्किट में कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। एक स्तर नीचे धकेले जाने से उन पर बहुत बुरा असर पड़ा और इसने उन्हें सीनियर टीम में वापस आने के लिए प्रेरित किया।
उन्‍होंने कहा, "मैंने अपना पूरा समर्थन किया। मेरे शॉट्स, मेरी गेंदबाज़ी की ताक़त पर मैंने भरोसा रखा। मैं इस बारे में सोचता रहा कि मैं कैसे सुधार कर सकता हूं और कप्तान को मुझ पर विश्वास दिला सकता हूं कि जब भी ज़रूरत होगी, मैं टीम के लिए बल्ले और गेंद दोनों से योगदान देने के लिए मौजूद रहूंगा। मैं अवसरों का जितना हो सके फ़ायदा उठाना चाहता था। मैंने अपना खेल उसी के इर्द-गिर्द बनाया, मैंने प्रशिक्षण सत्रों में हर दिन कोचों के साथ अलग-अलग योजनाओं पर काम किया, जैसे कि ऑफ़ साइड पर केवल दो क्षेत्ररक्षकों के साथ किस लाइन पर गेंदबाज़ी करनी है। मैंने दो साल तक अपनी गेंदबाज़ी पर काफ़ी काम किया। इससे मुझे काफ़ी आत्मविश्वास भी मिला जो पहले नहीं था क्योंकि मैंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।"
यह कार्यनीति कोटियान के लिए मैच ज‍िताने वाले प्रदर्शन में तब्दील हो गई। 2021-22 सीज़न में उनके विकेटों की संख्या 18 से बढ़कर अगले सीज़न में 20 हो गई और विजयी 2023-24 अभियान में 29 हो गई, ठीक उसी तरह जैसे उनके रनों की संख्या उन तीन सीज़न में 262 से बढ़कर 303 और फिर 502 हो गई।
रहाणे ने कोटियान के बारे में कहा, "मुझे लगता है कि वह एक बहुत अच्‍छा टीम मैन है। यह उसकी सबसे अच्छी गुणवत्ता है क्योंकि जब भी टीम को ज़रूरत होती है तो वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर कहता है, 'मैं टीम के लिए यह करूंगा।' पिछले दो-तीन सीज़न में जब भी हमने उनसे कहा है कि यह उनकी भूमिका है, वह हमेशा उसे करने के लिए तैयार रहते हैं। वह बहुत मेहनती हैं और उसे अपनी गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दोनों क्षमताओं पर पूरा भरोसा है।"
एक दुबले-पतले ऑफ़स्पिनर कोटियन को मुंबई बिरादरी में अगले अश्विन के रूप में लेबल किया जा रहा है, इसका मुख्य कारण यह है कि वह तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके गेंदबाज़ी शस्‍त्रों में उनकी सबसे बड़ी ताक़त 85 से 90 किमी प्रति घंटा की गति है, जिस पर उन्हें टर्न और अतिरिक्त उछाल मिलता है, जो इस तथ्य का परिणाम हो सकता है कि वह स्कूल के दिनों में भी तेज़ गेंदबाज़ी करते थे। एक आधे-पेशेवर टेनिस और लेदर-बॉल पूर्व खिलाड़ी का बेटा कोटियान मुंबई में विक्रोली की गलियों में खेलते हुए बड़ा हुआ। सीखने की क्षमता के साथ-साथ कोटियान भी बड़े होकर मिश्रित हिंदी और अंग्रेजी बोलते थे, जिसमें कुछ अपशब्द भी शामिल थे जो आप मुंबई की हलचल भरी सड़कों पर आप सुनते हैं।
उन्‍होंने कहा, "वो टेनिस बॉल का गेम्‍स जैसा स्‍ट्रीट स्‍मार्टनेस रहने का और क्विक गेम्‍स रहने का तो हर बार शनिवार और रविवार को मैच बनेगा तो डेड के साथ जाने का था। स्‍कूल गेम्‍स या लोकेल‍टी में भी खेलने का तो फ्रेंड्स के साथ खेलके गेम थोड़ा बहुत अच्‍छा हुआ करते करते।
यह शायद उनके शुरुआती दिनों के बल्लेबाज़ी की शुरुआत, तेज़ गेंदबाज़ी और स्पिन तीन-आयामी योगदान हैं जिसने उन्हें एक सच्चा टीम मैन बनाया जिसके लिए रहाणे अब उनकी प्रशंसा करते हैं। जब वह सेंट जोसेफ़ स्कूल से वीएन सुले स्कूल में चले गए, तब वह किशोरावस्था में पहुंचने ही वाले थे। इस समय उन्होंने अपने ऑफ़स्पिन पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया और उन्हें बहुत कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। हैरिस और जाइल्स शील्ड्स ने उन्हें उच्च स्तर तक पहुंचने में मदद की।
उन्‍होंने कहा, "ऑफ़ स्पिन में फ‍िर मेरे को आत्‍मविश्‍वास आने लगा, विकेट आने लगा, फ‍िर ऑफ़ स्पिन में मैं सुधरता चला गया, मुंबई की अंडर-14, अंडर-16, अंडर-19 टीम में सेलेक्‍ट हो गया।"
2017 में मलेशिया में हुए एशिया कप में उन्‍होंने भारत की अंडर-19 टीम के लिए डेब्‍यू किया, जहां पर अभिषेक शर्मा, अर्शदीप सिंह और रियान पराग जैसे खिलाड़ी थे। फ‍िर 2018 में उन्‍होंने 20 साल की उम्र में रणजी डेब्‍यू किया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 75 विकेट और क़रीब 43 की औसत से 1100 रन और कुछ ही समय बाद मुंबई को रणजी ट्रॉफ़ी ख़‍िताब दिलाना। यही कारण था कि उन्‍हें राजस्‍थान रॉयल्‍स के साथ IPL करार मिल गया। उन्‍होंने ऐडम ज़ैम्‍पा की जगह ली। कोटियान अश्विन से सीखने के लिए बहुत उत्‍साहित थे। जब IPL की चकाचौंध के बीच वे मिले तो कोटियान ने लाल गेंद क्रिकेट को लेकर अश्विन से काफ़ी कुछ सीखा। कोटियान ने अश्विन को लेकर कहा, "जिस तरह से वह माइंड गेम्‍स खेलते हैं और लाल गेंद क्रिकेट में अलग-अलग बल्‍लेबाज़ों के लिए रणनीति बनाते हैं वह बहुत अलग है। मैंने यह उनसे सीखने की कोशिश की कि कैसे वह लाल गेंद में गेंदबाज़ों को पढ़ते हैं और विकेट का प्‍लान करते हैं।
"उन्‍होंने मुझे फ़ील्‍ड सजावट की अहम सलाह दी और बताया कि कैसे सीम अलग रखने से अलग परिणाम मिलते हैं। मैं आमतौर पर ग्रिप को बहुत कड़े से पकड़ता हूं : उन्‍होंने मुझे इसे थोड़ा हल्‍का रखने को कहा -ग्रिप को हल्‍का सा बदलने के बाद गेंद को छोड़ो।"
"यहां तक कि जब मैं उनके ख़‍िलाफ़ नेट्स में बल्‍लेबाज़ी कर रहा था तो मैं देख सकता था कि गेंद कैसे अलग गति से आ रही है। मैंने उनसे सीखा कि अगर आपको शीर्ष स्‍तर पर खेलना है तो आपको हर गेंद को अलग-अलग तरीक़े से करना होगा।"
कोटियान को IPL 2024 में गेंदबाज़ी का मौक़ा नहीं मिला, लेकिन नेट्स में उन्‍हें युज़वेंद्र चहल और केशव महाराज जैसे बड़े स्पिनरों के साथ काम करने का मौक़ा मिला।
रहाणे ने कहा कि अगर कोटियान को एक गेंदबाज़ के रूप में अगले स्तर पर आगे बढ़ना है, तो उन्हें सीखना होगा कि स्पिनरों के लिए अनुकूल स्थिति न होने पर भी विकेट कैसे लेना है।
"यह जरूरी है कि वह वहां ऑस्‍ट्रेलिया ए के ख़‍िलाफ़ खेलकर अनुभव लेगा। जब वह अधिक से अधिक खेलेगा तो वह खु़द ब ख़ुद चीज़ों को समझेगा कि बाउंस कैसा है और किस लाइन और लेंथ पर गेंदबाज़ी करनी है।"
जब उनसे पूछा गया कि कैसे कोटियान एक विशुद्ध स्पिनर बन सकता है, तो उन्‍होंने कहा, "आप लगातार एक तरह की गेंद नहीं कर सकते हैं। अगली गेंद में सुधार होना होगा। एक गेंदबाज़ के तौर पर आपको बायें हाथ या दायें हाथ के बल्‍लेबाज़ के ख़‍िलाफ़ एंगल का इस्‍तेमाल करना होगा, अगर विकेट से आपको कुछ नहीं मिल रहा तो आप क्‍या करोगे, कैस रफ़ का इस्‍तेमाल करोगे, और अगर ऐसा होगा तो जब परिस्‍थि‍ति आपके पक्ष में नहीं होगी तो कैसे दबाव बनाना है। उसके पास सभी क्षमता है, लेकिन ये वे चीज़ें हैं जिनके बारे में उसको जागरूक रहना होगा, कि कैसे अलग स्थितियों और परिस्‍थतियों में ढलना है। उसको आगे ले जाने के लिए उसका गेम काफ़ी है, उसको कुछ बदलने की ज़रूरत नहीं है।"
ऑस्‍ट्रेलिया से आने के बाद कोटियान दोबारा से घरेलू क्रिकेट में पहुंच जाएंगे, IPL नीलामी भी 24 और 25 नवंबर को है। हो सकता है अंतर्राष्‍ट्रीय डेब्‍यू में अभी उनको इंतज़ार करना पड़े, लेकिन कोटियान उम्‍मीद करेंगे कि उनको यादगार IPL करार मिले।