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सारांश के लक्ष्य: रणजी चैंपियन बनना, पापा की मुस्कान और नीली जर्सी

मध्यप्रदेश के ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर ने अब तक मिले अवसरों को दोनों हाथों से भुनाया है

Saransh Jain tosses one up Mumbai vs Rest of India, Irani Cup, Lucknow, 5th day, October 5, 2024

सारांश 2022 की मध्य प्रदेश की रणजी चैंपियन टीम का हिस्सा थे  •  Tanuj/Ekana Cricket Stadium

2014 में मध्य प्रदेश की टीम ऑस्ट्रेलिया के एक क्लब टीम के ख़िलाफ़ पांच मैचों की सीरीज़ खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाती है। उस टीम में सारांश जैन भी होते हैं। उसके कुछ महीने पहले ही उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी में धमाकेदार डेब्यू किया था। ऑस्ट्रेलिया से जब वह अपने घर फ़ोन करते थे तो काफ़ी सामान्य बात होती थी लेकिन लंबी नहीं होती थी। घर कॉल करने पर अक्सर जवाब आता था - "हम थोड़ा व्यस्त हैं।" इस बात को लेकर वह थोड़ा व्याकुल ज़रूर होते हैं लेकिन पांच मैचों की श्रृंखला पर सारा ध्यान होने चलते स्वदेश से दूर सारांश इस बारे में ज़्यादा नहीं सोच पाते। सारांश की टीम 3-0 से वह सीरीज़ जीत कर भारत आती है।
घर पर पहुंचने के बाद पूरी तस्वीर ही बदल जाती है। जैसे ही सारांश अपने पिता के कमरे में जाते हैं, एक पल के लिए सब कुछ थम जाता है। पिता बिस्तर पर लेटे हुए हैं। चेहरे पर सर्जरी हुई है। कमरे में हर किसी के चेहरे पर मायूसी है। हज़ारों सवालों के साथ आंसुओं की एक बौछार होती है। "क्या हुआ है पापा को? कब हुआ? मुझे क्यों नहीं बताया गया?"
उनके पिता को कैंसर हुआ था। सब अपने हिसाब से जवाब देते हैं। लेकिन एक जवाब सारांश को शांत करने में सफल हो जाता है। पापा एक काग़ज़ और कलम मंगवाते हैं और उस पर लिखते हैं - "बेटा मैं अब ठीक हूं। तू बस और अच्छा खेलेगा तो मैं और जल्दी ठीक हो जाऊंगा।"
मध्यप्रदेश के पूर्व रणजी खिलाड़ी और सारांश के पिता सुबोध जैन के द्वारा लिखा गया वह संदेश आज भी सारांश के पास है। यही उनकी सफलता का राज़ है। यही काग़ज़ का टुकड़ा उन्हें 2021-22 में रणजी चैंपियन बनने के लिए प्रेरित करता है और 2022-23 में रणजी ट्रॉफ़ी के बेस्ट ऑलराउंडर का ख़िताब जीतने में मदद करता है। इस सीज़न सारांश ने 362 रन बनाए थे और कुल 35 विकेट झटके थे।
उनके इसी प्रदर्शन को देखते हुए, उन्हें इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ भी भारतीय ए टीम में चयनित किया जाता है। जहां तीन मैचों की सीरीज़ में एक ही मैच मिलता है और उसमें वह दोनों पारियों में अर्धशतक लगाते हैं।
छोटे-छोटे मौक़ों को भुनाना, सारांश की सबसे बड़ी ख़ासियत है। 2021-22 में जब मध्यप्रदेश की टीम रणजी जीतती है तो सारांश को तीन मैच मिलते हैं - क्वार्टर फ़ाइनल, फ़ाइनल और सेमीफ़ाइनल। तीनों मैचों में सारांश अच्छा प्रदर्शन करते हैं और टीम को मुश्किल परिस्थिति से निकालने का सफल प्रयास करते हैं।
इस सीज़न में भी वह इस लय को बरक़रार रखना चाहते हैं। सारांश 2024-25 के रणजी सीज़न के बारे में कहते हैं, "पिछले सीज़न मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि ज़रूरी यह है कि अब मैं फिर से अच्छा प्रदर्शन करूं और जब भी मौक़ा मिले मैं कुछ अच्छा करने का प्रयास करूं। क्रिकेट के मैदान से मुझे करियर में एक ही सीख मिली है कि हर रोज़ कुछ नया सीखने का प्रयास करना है। तभी आगे कुछ अच्छा होने की उम्मीद की जा सकती है।"
सारांश ने हालिया ईरानी कप में मुंबई के ख़िलाफ़ छह विकेट लिए थे। इसके अलावा उन्होंने दलीप ट्रॉफ़ी के दौरान भी कमाल का प्रदर्शन किया था। इन दोनों टूर्नामेंट में उन्होंने कुल चार मैच खेले और 14 विकेट निकाले। गेंदबाज़ी में अपने हालिया प्रदर्शन के बारे में सारांश कहते हैं, "मैंने पिछले कुछ समय में जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे मुझे अच्छा महसूस ज़रूर हुआ है लेकिन मैं पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हूं और यह संतुष्टि मुझे नीली जर्सी पहनने के बाद ही मिलेगी, जिसके लिए मुझे लगातार मेहनत करनी है।"
साथ ही सारांश को इस बात को पूरा इल्म है कि आज कल के दौर में जिस तरह से क्रिकेट आगे बढ़ रहा है, उसमें एक ऑफ़ स्पिनर को अपनी बल्लेबाज़ी पर भी काफ़ी ध्यान देना होता है।
वह ऑफ़ स्पिनरों की बदलती भूमिका के बारे में कहते हैं, "मेरे हिसाब से एक अच्छी खिलाड़ी को हमेशा परिस्थितियों के अनुसार ढलने का प्रयास करना चाहिए। मैं एक ऑफ़ स्पिनर हूं और मेरा सबसे पहला काम विकेट लेना है लेकिन मुझे चंद्रकांत (पंडित) सर हमारी पहली मुलाक़ात में ही कहा था कि जब मैं मैदान पर गेंदबाज़ी करूं तो एक गेंदबाज़ के तौर पर सोचूं लेकिन जब मैं बल्लेबाज़ी करूं तो एक बल्लेबाज़ के तौर पर सोचूं और प्रयास करूं कि ज़्यादा से ज़्यादा रन बनाऊं। मैं बस इसी सरल सी रणनीति के साथ खेलने का प्रयास करता हूं।"
"मैं जानता हूं कि ऑफ़ स्पिनर होने के तौर पर मुझे अपनी बल्लेबाज़ी पर कितना ध्यान देना है। वह बहुत ज़रूरी है लेकिन मेरे लिए सबसे पहला काम विकेट निकालना है। मैं अक्सर आर अश्विन भैया को देखता हूं। मुझे उनसे काफ़ी प्रेरणा मिलती है। मैं चाहता हूं कि उन्हीं के जैसी लगन के साथ अपने क्रिकेट को आगे बढ़ाऊं।"
किसी के खेल में अक्सर कहा जाता है कि एक अगर कोच अच्छा मिल जाए तो किसी भी खिलाड़ी को बेहतर से बेहतरीन तक सफर तय करने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगता। सारांश के साथ भी ऐसा ही हुआ। 2019-20 में चंद्रकांत पंडित मध्य प्रदेश के कोच बनते हैं और तब से सारांश के खेल में अलग निखार आता है।
वह कहते हैं, "चंद्रकांत सर का हमारी टीम में कोच बन कर आना, मेरे जीवन की सबसे अच्छी घटनाओं में से एक है। शायद उन्होंने ही मुझे ख़ुद पर भरोसा करना सिखाया। टीम में उनके होने से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है और इस सीज़न मैं उनके साथ कुछ अच्छा करना चाहता हूं। उनके टीम में होने से मुझे अलग ही आत्मविश्वास मिलता है।"
सारांश ने रणजी के आगामी सीज़न पर बात करते हुए कहा, "इस सीज़न मुझे दो कारणों से टीम को चैंपियन बनते हुए देखना है। एक तो यह है कि जब हमारी टीम 2021-22 में रणजी चैंपियन बनी तो चंद्रकांत सर ने जिस तरह से मुझे गले लगाया था, वह मुझे आज भी याद है। उनके आंखों में अलग ही ख़ुशी थी। और हम जब ट्रॉफ़ी लेकर वापस आ रहे थे तो एयरपोर्ट पर मेरे पिता और मेरा पूरा परिवार आया हुआ था। जैसे ही पापा ने मुझे देखा, वह मेरी तरफ़ तेज़ क़दमों से आए और मुझे गले लगा लिया। यह मेरे जीवन के सबसे अच्छे पलों में से है। इसे मैं कभी नहीं भूलना चाहता। ऐसा लगा कि पापा उस दिन सबसे ज़्यादा ख़ुश हुए हैं। मैं अपने पिता और चंद्रकांत सर को एक बार फिर से वही ख़ुशी देना चाहता हूं। उतना ही ख़ुश देखना चाहता हूं।"
सारांश की क्रिकेट यात्रा का सार यही है कि पिछले दो-तीन सालों में उनके प्रदर्शन ने उन्हें एक ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर के तौर पर चयनकर्ताओं के नज़र में ला दिया है। वह फ़िलहाल देश के सबसे अच्छे माने जाने वाले ऑफ़ स्पिन ऑलराउंडर में से एक हैं। वह अच्छी लय में हैं। उनका प्रदर्शन काफ़ी अच्छा है लेकिन नीली जर्सी की यात्रा को तय करने के लिए उन्हें अपनी निरंतरता को जारी रखना होगा

राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं