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शशांकः मुंबई को छोड़कर छत्तीसगढ़ से खेलने का फ़ैसला सबसे कठिन था

PBKS के बल्लेबाज़ ने अपने करियर के उतार-चढ़ाव और संघर्ष पर खुल कर बात की

Shashank Singh celebrates the win, Kolkata Knight Riders vs Punjab Kings, IPL 2024, Kolkata, April 26, 2024

शशांक ने इस सीज़न IPL में KKR के ख़िलाफ़ 28 गेंदों में 68 रन बनाकर PBKS के रिकॉर्ड चेज़ में निभाई थी अहम भूमिका  •  AFP/Getty Images

शशांक सिंह, जिन्हें पंजाब किंग्स (PBKS) ने नीलामी में जब ख़रीदा तो वह भी एक अलग सुर्खियां बन गईं थीं। हालांकि IPL नीलामी में उनके लिए ये सब नया नहीं था।
23 दिसंबर, 2022: IPL 2023 की नीलामी का ये दिन वह कभी नहीं भूल सकते। रणजी ट्रॉफ़ी में सर्विसेज़ के ख़िलाफ़ मुक़ाबले के बाद वह दिल्ली से केरल के लिए उड़ान भरने वाले थे। क्योंकि उनकी टीम छत्तीसगढ़ का अगला मुक़ाबला केरल के ही ख़िलाफ़ था।
2017 में दिल्ली कैपिटल्स (DC) और फिर 2019 से 2021 तक राजस्थान रॉयल्स (RR) का हिस्सा रहे शशांक ने आख़िरकार सनराइज़र्स हैदराबाद (SRH) के लिए 2022 में डेब्यू किया। उन्हें उस सीज़न छठे मैच तक इंतज़ार करना पड़ा था और फिर गुजरात टाइटंस (GT) के ख़िलाफ़ जब पहली बार उन्हें बल्लेबाजी का मौक़ा मिला तो उन्होंने लॉकी फ़र्ग्युसन के एक ओवर में लगातार तीन छक्के लगाते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी थी। सोशल मीडिया पर तो उनकी तारीफ़ों का एक सैलाब सा आ गया था "Ye #shashank kaun hai bhai?" [युवराज ने कुछ इस तरह कहा] ये रहा युवराज का वह ट्वीट। हरभजन सिंह से लेकर और भी कई क्रिकेट एक्सपर्ट्स शशांक की तारीफ़ों में क़सीदे गढ़ रहे थे।
हालांकि उस सीज़न शशांक ने फिर वैसी कोई नहीं खेली थी लेकिन टीम मैनेजमेंट से उन्हें काफ़ी सकारात्मक फ़ीडबैक मिल रहा था, जिसमें ब्रायन लाराजैसे दिग्गज भी शामिल थे, जो SRH के बल्लेबाज़ी कोच भी थे। उन्हें अब लगने लगा था कि उनके लिए भी बड़ी बोली लगेगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा और उनपर नीलामी में किसी ने बोली नहीं लगाई।
शशांक ने कहा, "अभी भी मैं जब उस बारे में सोचता हूं, तो बहुत अजीब लगता है। नीलामी के बाद मैं पूरी रात नहीं सो पाया था, मैं बता नहीं सकता उस समय मेरे दो या तीन महीने कैसे गुज़रे हैं।" वह क्रिकेटिंग इमोशंस चले गए थे यार"
"SRH के लिए खेलते हुए 2022 के बाद, मुझे लगा था कि चीज़ें अब ठीक हो जाएंगी। मैंने ख़ुद से और IPL से काफ़ी उम्मीदें पाल ली थी। लेकिन फिर भी मुझपर किसी ने बोली नहीं लगाई, इसके बाद मेरा फ़ॉर्म भी ख़राब हो गया था। दिमाग़ में कई तरह के ख़्याल आने लगे थे। कुछ अच्छा हो रहा था तो भी लगा, ठीक है, क्रिकेट है, और बुरा तो हो ही रहा था। "
एक साल बाद - अब शशांक बन चुके थे PBKS के संकटमोचक, उन्हें कई बार विपरीत परिस्थितियों से जीत की तरफ़ ले जा रहे थे। IPL के दो बिल्कुल अलग-अलग सीज़न ने उनके करियर पर बहुत ज़बर्दस्त प्रभाव डाला।

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शशांक का जन्म छत्तीसगढ़ के भिलाई में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने करियर के शुरुआती कई साल भोपाल में बिताए। वहीं से उन्होंने एज ग्रुप क्रिकेट खेला, उनके पिता भोपाल में ही भारतीय पुलिस में अधिकारी थे। फिर 16 साल की उम्र में वह बेहतर मौक़ों के लिए भोपाल से मुंबई आ गए। अब मुंबई में उनका बड़ा इम्तिहान होने वाला था।
भोपाल में जहां क्रिकेट के लिए वैसी सहूलियतें नहीं थीं, और अब उनके सामने सूर्यकुमार यादव, शिवम् दुबे और शार्दुल ठाकुर जैसे दिग्गजों के साथ क्रिकेटर खेलने की चुनौती थी। उन्हें पता चल चुका था कि जल्दी से जल्दी अब स्तर बेहतर करना होगा। उन्होंने डी वाई पाटिल अकादमी में दाख़िला लिया जहां उन्हें पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ अबेय कुरुविला के तौर पर मेंटॉर मिला।
शशांक आगे बताते हैं, "जब मैं भोपाल में था और स्कूल क्रिकेट खेल रहा था तो उस समय ज़्यादा अंतर्राज्यीय मैच नहीं होते थे। लेकिन जब मैं मुंबई आया तब मुझे असली प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। मैं ये देखकर हैरान था कि यहां सभी में कितनी प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं, फिर चाहे वह फ़िटनेस की बात हो, क्रिकेट कौशल की, अभ्यास की या फिर संघर्ष की… और तभी मैंने ख़ुद से कह दिया था कि जितना मैं कर रहा हूं उतने में काम नहीं चलने वाला।"
"अब मैं डी वाई पाटिल ज्वाइन कर चुका था और कुरुविला सर के साथ ने मेरी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने मुझे पूरी आज़ादी दी। हालांकि मुंबई के शुरुआती दिन मेरे लिए काफ़ी कठिन थे। यहां तक कि जब मैं मुंबई में सेटल हो गया तो भी प्रतिस्पर्धा काफ़ी मुश्किल थी। उस खड़ूस माहौल ने पूरी तरह मुझे बदल दिया।"
अगले दस सालों में शशांक ने वह तमाम प्रतियोगिताओं में शिरकत की जो उनके रास्ते में आएः कांगा लीग, टाइम्स शील्ड, डी वाई पाटिल लीग। इसके बाद फिर शशांक ने मुंबई के लिए 2015 में विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी और सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में डेब्यू किया। मुंबई में प्रतिस्पर्धा का स्तर कितना है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शशांक को लाल गेंद से मुंबई की टीम में जगह नहीं मिल पाई। सफ़ेद गेंद में भी उन्हें लगातार खेलने का मौक़ा नहीं मिला, उन्होंने तीन लिस्ट ए मैच खेले थे और वह सभी 2015 में ही आए थे । जबकि मुंबई के लिए आख़िरी T20 मुक़ाबला उन्होंने 2018 में खेला था।
और अब शशांक ने शायद अपने करियर का सबसे मुश्किल फ़ैसला लिया, 27 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई से किनारा कर लिया और प्रथम श्रेणी मैच खेलने के लिए उन्होंने अपना प्रोफ़ेशनल करियर छत्तीसगढ़ की तरफ़ वापस मोड़ा। इसमें भी शशांक की मदद कुरुविला ने की थी और छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के सचिव से उनके लिए बात की, जल्दी ही शशांक ने 2019-20 सीज़न में अपना रणजी ट्रॉफ़ी डेब्यू किया।
क्या उन्हें लगता है कि ये पीछे जाना था ?
"बिल्कुल 100 प्रतिशत, मैं बहुत रोया था। मुझे आज भी वह रात याद है जब मैं कुरुविला सर के पास गया था और कहा था कि मैं मुंबई नहीं छोड़ना चाहता। मुंबई की टोपी को लेकर मैं बहुत भावुक था, लेकिन कुरुविला सर मुझे लेकर बहुत ईमानदार थे।उन्होंने मुझसे कहा, लाल गेंद में बहुत मुश्किल है क्योंकि अभिषेक नायर वहां है, शिवम् दुबे भी है। सफ़ेद गेंद में हम सभी को खिला सकते हैं लेकिन लाल गेंद में ये संभव नहीं है।"
शशांक ने आगे कहा, "मेरे लिए ये स्वीकर करना कि अब मैं मुंबई के लिए नहीं खेल पाऊंगा, बहुत मुश्किल था। मुझे इस बात को पचाने में काफ़ी समय लगा। लेकिन मैंने छत्तीसगढ़ से खेलने का फ़ैसला इसलिए किया क्योंकि मुझे लाल गेंद से ख़ुद को परखना था।"
शशांक उसके बाद से छत्तीसगढ़ के लिए सभी फ़ॉर्मैट में नियमित तौर पर खेल रहे हैं। 2019 से अब तक उन्होंने 21 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 31.77 की औसत से 858 रन बनाएं हैं और अपनी मध्यम गति की गेंदबाज़ी से 12 विकेट भी झटके हैं। लिस्ट ए क्रिकेट में उनके आंकड़े इससे बेहतर हैं जहां उन्होंने 23 पारियों में 40.90 की औसत से 859 रन बनाएं हैं जबकि 31 विकेट भी लिए हैं। T20 क्रिकेट में उनकी बल्लेबाजी औसत 18.75 की रही है। 2023-24 सीज़न में शशांक ने एक कीर्तिमान भी अपने नाम किया है, वह एक ही लिस्ट ए मैच में 150 रन बनाने वाले और पांच विकेट लेने वाले पहले भारतीय भी बन गए। उन्होंने ये कारनामा विजय हजारे ट्रॉफ़ी में मणिपुर के ख़िलाफ़ किया था।

आशीष पंत ESPNcricinfo में सब -एडिटर हैं।