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फ़ीचर्स

कोहली की 'विराट' कप्तानी पर एक नज़र

सात वर्षों की टेस्ट कप्तानी में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे और भारत को एक शक्तिशाली टीम के रूप में विकसित किया

पहला स्वाद
जनवरी 2014
विराट कोहली भारतीय टेस्ट टीम के उत्तराधिकारी थे जब 2014 के एडिलेड टेस्ट मैच में उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी की ग़ैरमौजूदगी में टीम की कप्तानी की थी। उस मैच से ही उन्होंने यह बात साफ़ कर दी थी कि वह कठिन फ़ैसले लेने से नहीं डरते हैं। कलाई की स्पिन को उंगलियों की स्पिन से अधिक घातक विकल्प मानते हुए उन्होंने रविचंद्रन अश्विन को टीम से बाहर किया और कर्ण शर्मा को डेब्यू करवाया। फिर उस मैच में उन्होंने दो शतक भी जड़े। भारत को अंतिम दिन 98 ओवरों में जीत के लिए 365 रनों की आवश्यकता थी और उन्होंने जीतने का भरपूर प्रयास किया। हालांकि नेथन लायन ने उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया, कोहली की भारतीय टीम ने बता दिया कि वह किसी से कम नहीं थी।
लंका में बजाया डंका
अगस्त 2015
कोहली का संकल्प हार के बाद और दृढ़ होता चला गया। विशेष रूप से 2015 में गॉल में मिली हार ने उनके कप्तानी करियर को आकार दिया। भारत ने उस मैच पर मज़बूत पकड़ बनाई थी और पहली पारी में 192 रनों की बढ़त ली थी। लेकिन दिनेश चांदीमल और रंगना हेराथ ने उस स्थिति से भी टीम को वापसी करवाई और सबसे महान पलटवारों में से एक को अंजाम दिया। हाथ में आए मैच को गंवाने के बाद कोहली निराश थे और उन्होंने अपना सारा ध्यान टीम को बदलने में लगाया। वह एक ऐसी टीम बनाना चाहते थे जो न केवल एक पारी के दौरान बल्कि पूरे टेस्ट मैच में हावी हो सके। इसलिए उन्होंने फ़िटनेस के उच्चतम मानकों की मांग की। साथ ही उन्होंने भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण को मज़बूत बनाने पर ज़ोर दिया। भले ही वह दौरा एक हार के साथ शुरू हुआ था, अंततः भारत 22 वर्षों में पहली बार श्रीलंका में टेस्ट सीरीज़ जीतने में सफल रहा।
"मैंने यह नहीं कहा"
मार्च 2017
वेस्टइंडीज़ में सीरीज़ जीत और 11 पारियों में तीन दोहरे शतक। सब कुछ कोहली के लिए सही जा रहा था जब 2017 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत का दौरा किया। उनकी अथक गेंदबाज़ी पूरी सीरीज़ में कोहली के बल्ले को शांत रखने में क़ामयाब हुई लेकिन एक घटना के कारण वह आग-बबूला हो उठे। स्मिथ ने इसे "ब्रेन फ़ेड" कहा। पगबाधा आउट करार दिए जाने के बाद रिव्यू पर फ़ैसला करने के लिए उन्होंने ड्रेसिंग रूम से मदद मांगी। कोहली के अनुसार वह पहले भी हो चुका था और उन्होंने स्वंय विपक्षी खिलाड़ियों को ऐसा करते हुए देखा था। उन्होंने कहा, "मैं उस शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहता लेकिन यह उसी के दायरे में आता है। मैदान पर मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा।"
जब पूछा गया कि क्या वह शब्द धोखाधड़ी है जिसका वह उल्लेख नहीं करना चाहते, कोहली ने उत्तर दिया, "मैंने यह नहीं कहा, आपने कहा।" भारत ने 2-1 से सीरीज़ अपने नाम की। स्मिथ ने पुणे में दो शानदार शतक बनाए जबकि पांच पारियों में कोहली ने केवल 15 रन बनाए।
कोहली बनाम कुंबले
मई 2017
कप्तान कोहली और कोच अनिल कुंबले के साथ आने के बाद अब कौन भारतीय टीम को रोक सकता है? एक महान भारतीय खिलाड़ी का आगमन ऐसे ड्रेसिंग रूम में हुआ था जो पहले से अद्भुत चीज़ें कर रहा था। यह तो ख़ुशी का मौक़ा है। लेकिन 2017 चैंपियंस ट्रॉफ़ी से पहले अशांति की अफ़वाहें फ़ैलने लगी। कप्तान और कोच के बीच दरार आ गई थी जिसे दुरुस्त करने के लिए बीसीसीआई ने भरपूर प्रयास किया। वह सचिन तेंदुलकर को लेकर आए, वीवीएस लक्ष्मण को और सौरव गांगुली को भी लेकिन चीज़ें संभली नहीं। कोहली बदलाव चाहते थे। वह भारतीय क्रिकेट के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे और वह जानते थे कि अगर वह किसी फ़ैसले पर अड़ गए तो वह क्या कर सकते हैं।
कुंबले ने अंततः यह कहते हुए इस्तीफ़ा दे दिया कि कप्तान के साथ उनकी साझेदारी "अस्थिर" हो गई थी। रवि शास्त्री वापस आए और वहां से उन्होंने कार्यभार संभाला।
पहाड़ की चोटी पर पहुंचना
जनवरी 2018
सेंचूरियन में उन्होंने ख़ूबसूरत बल्लेबाज़ी की लेकिन किसी और ने उनका साथ नहीं दिया। सीरीज़ उनके हाथ से फिसल गई और फिर आया एक क्रूर टेस्ट मैच। वॉनडरर्स की पिच इतनी घातक थी कि जब एक गेंद जाकर डीन एल्गर के हेल्मेट पर जा लगी तो मैच को रद्द किए जाने के आसार नज़र आ रहे थे। हालांकि कोहली और उनकी टीम ने ऐसा होने नहीं दिया क्योंकि उन्होंने बिना किसी शिकायत के बल्लेबाज़ी की थी। अंत में भारत को जीत मिली और सुनील गावस्कर और धोनी को पछाड़ते हुए कोहली भारत के लिए सर्वाधिक रन बनाने वाले कप्तान बन गए।
कोहली 2.0
जुलाई-अगस्त 2018
भारत के इंग्लैंड दौरे पर सभी की निगाहें एक ही महामुक़ाबले पर टिकी हुई थी - कोहली बनाम एंडरसन। सभी देखना चाहते थे कि क्या 2014 की तरह इस बार भी एंडरसन कोहली पर हावी होंगे। एंडरसन के कई बार कोहली के बल्ले को बीट किया लेकिन विकेट उनके हाथ नहीं लगी। कोहली ने दो शानदार शतक जड़ते हुए 2014 की यादों को भुला दिया लेकिन उनकी टीम अब भी इन परिस्थितियों में जीतने के लिए तैयार नहीं थी। इंग्लैंड ने 4-1 से सीरीज़ अपने नाम की।
मेहनत का फल
जनवरी 2019
इस दौरान भारतीय टीम सीख रही थी और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। उसे ऐसे खिलाड़ी मिल रहे थे जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए पहले से तैयार थे। आईपीएल और टेस्ट क्रिकेट में निवेश करने का लाभ हो रहा था। हार को झेलना कठिन था लेकिन कोहली जानते थे कि वह अंतिन लक्ष्य के क़रीब पहुंचते जा रहे थे : विदेशी धरती पर जीतना। 7 जनवरी 2019 को उन्होंने आख़िरकार वह कर दिखाया। कोहली ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान बन गए।
एक से भले दो
दिसंबर 2020-जनवरी 2021
एडिलेड : 36 ऑल आउट। गॉल की तरह भारत मैच में मज़बूत स्थिति में था लेकिन अजीबोगरीब अंदाज़ में उसे हार का सामना करना पड़ा। इस मैच के बाद कोहली अपने बच्चे के जन्म के लिए अपनी पत्नी के साथ रहने हेतु घर वापस लौट गए। उन्होंने कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि टीम अगले टेस्ट मैच में जमकर वापसी करेगी।" कुछ दिनों बाद, एक नए पिता के रूप में, वह गर्व से भरे दिल के साथ ट्वीट कर रहे थे जब अजिंक्य रहाणे एक चोट-ग्रस्त टीम को अविश्वसनीय गौरव की ओर ले गए।
राजा और मुकुट (जो फिसल गया)
जून 2021
अपने बेहतरीन गेंदबाज़ी आक्रमण के दम पर भारत अब विश्व क्रिकेट की ताक़तवर टीम बन गई थी। 2019 के वेस्टइंडीज़ दौरे पर जसप्रीत बुमराह ने मेज़बान बल्लेबाज़ों को परेशान कर दिया था। लग रहा था कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की स्थापना के बाद सही समय पर भारत एक शक्तिशाली रूप धारण कर रहा है। भारत ने फ़ाइनल में जगह बनाई लेकिन कोहली ने हरी पिच पर दो स्पिनरों के साथ जाने का निर्णय लिया जो ग़लत साबित हुआ। एक अतिरिक्त गेंदबाज़ी विकल्प के लिए वह लगातार एक बल्लेबाज़ को त्यागने को तैयार थे और सबसे अहम मैच में भी उन्होंनै ऐसा ही किया। न्यूज़ीलैंड ने भारत को हराकर ताज अपने नाम किया।
फिर एक बार करेंगे वार
अगस्त-सितंबर 2021
कोहली को हमेशा से ही तेज़ गेंदबाज़ी पसंद हैं। वह कई बार उन टीमों का हिस्सा रह चुके हैं जिन्हें तेज़ गेंदबाज़ों ने धराशाई किया था। अब वह स्वंय ऐसा एक आक्रमण चाहते थे। कोहली ने फ़िटनेस पर ज़ोर इसलिए दिया था क्योंकि इसी से वह विपक्षी टीमों को मात देने और कठिन परिस्थितियों में अतिरिक्त प्रयास करने में क़ामयाब हो पाते। टीम ने पिछले साल इंग्लैंड में ऐसा ही किया। बुमराह के नेतृत्व में तेज़ गेंदबाज़ों ने टीम को 2-1 से सीरीज़ में बढ़त दिलाई लेकिन इससे पहले कि वह आधिकारिक तौर पर जीत का स्वाद चख पाते, कोरोना ने दस्तक दी। अपने सहयोगी स्टाफ़ के एक सदस्य के संक्रमित होने के बाद भारत ने मैनचेस्टर टेस्ट खेलने से मना कर दिया।
अंत
जनवरी 2022
सीरीज़ 1-1 की बराबरी पर थी और केपटाउन में साउथ अफ़्रीका के सामने जीत के लिए 212 रनों का लक्ष्य रखा गया था। केवल तीन बार इस मैदान पर 200 से अधिक का लक्ष्य हासिल किया गया था। और तो और गेंदबाज़ी के लिए अनुकूल पिच तथा विश्व स्तरीय गेंदबाज़ी क्रम के विरुद्ध चौथी बार ऐसा करने के आसार कम ही नज़र आए होंगे ना? जी नहीं।
साउथ अफ़्रीका ने जोहैनेसबर्ग में 240 रनों का सफलतापूर्ण पीछा किया था और वह दोबारा जीत सकते थे। मैच रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुका था और कोहली ने विपक्षी बल्लेबाज़ों को याद दिलाया कि वह उनके दिलों की धड़कन सुन सकते हैं।
इसके बाद डीआरएस ने बताया अश्विन की गेंद, जिस पर एल्गर पगबाधा करार दिए गए थे, स्टंप्स के ऊपर से निकल जाती। गेंदबाज़ अश्विन, कप्तान कोहली और उपकप्तान केएल राहुल समेत सभी खिलाड़ियों ने अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने जानबूझकर स्टंप माइक में आकर यह सारी बातें कही ताकि पूरी दुनिया को वह सुनाई दे।
साउथ अफ़्रीका ने संयम बरक़रार रखा और जीत अपने नाम की। 24 घंटे बाद कोहली ने कप्तानी से इस्तीफ़ा दे दिया।

अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।