2010 के दूसरे भाग में टेस्ट क्रिकेट में टेस्ट क्रिकेट में फ़ैब फ़ोर का दबदबा था, और उसकी गवाही देते हैं ये आंक़ड़े: ये सभी
एक अलग मुक़ाम पर थे 2014-19 के दौरान इस सभी की औसत 50 से ऊपर की थी। इतना ही नहीं, इन चार और पांच साल के दौरान ये सभी टेस्ट क्रिकेट में 57 से ज़्यादा की औसत से रन बना रहे थे और सभी ने 40 से ज़्यादा टेस्ट भी इस दौरान खेले थे।
लेकिन पांच साल बाद तस्वीर अलग है। केन विलियमसन और जो रूट का जहां बेहतरीन फ़ॉर्म जारी है - रूट ने तो अभी-अभी
लॉर्ड्स पर श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक ही मैच में दो शतक लगा डाला। तो वहीं विराट कोहली और स्टीव स्मिथ अपने पुराने फ़ॉर्म को दोहरा पाने में संघर्ष कर रहे हैं। बल्कि रूट ने पिछले हफ़्ते जितने शतक लगा दिए उतने शतक कोहली ने 2020 से 2024 के बीच पिछले चार सालों में लगाए हैं।
एक नज़र डालते हैं फ़ैब फोर के उन प्रमुख आंकड़ों पर, जो बताते हैं कि पिछले पांच सालों में उनके बीच का अंतर कैसा रहा है।
बल्लेबाज़ी औसत
शुरुआत करते हैं 2014 से 2019 के बीच के दौर से, इस दौरान एकमात्र बल्लेबाज़ जो फ़ैब फ़ोर के साथ खड़े थे वह थे डेविड वॉर्नर। स्मिथ ने 56 टेस्ट मैचों में अविश्वसनीय 24 शतक बनाए। जबकि विलियमसन और कोहली दोनों इस मामले में स्मिथ से पीछे थे। रूट भी उतने तेज़ नहीं थे, लेकिन फिर भी उनकी औसत 50 से ज़्यादा थी, हालांकि रूट की औसत का अंतर उनसे ऊपर खड़े फ़ैब फ़ोर के बल्लेबाज़ से पांच रन कम था।
2020 के बाद से बहुत कुछ बदल गया है। हालांकि विलियमसन और रूट ने अपने फ़ॉर्म को बनाए रखा है, और उनमें सुधार भी किया है। स्मिथ पहले अगर अर्श पर थे तो वह उस मापतंड में फ़र्श पर आ गए हैं, और कोहली की स्थिति में तो और भी गिरावट आई है। 2020 की शुरुआत से अब तक 24 बल्लेबाजों में से जिन्होंने कम से कम 1600 टेस्ट रन बनाए हैं, उनमें केवल ज़ैक क्रॉली की औसत कोहली के 33.59 से कम है। दूसरी ओर, विलियमसन की औसत इस अवधि में कोहली के दोगुने से भी अधिक है।
ज़ाहिर है इन प्रदर्शनों की वजह से
कोहली और
स्मिथ की करियर औसत पर भी गहरा असर हुआ है। कोहली की औसत अक्तूबर 2019 में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ टेस्ट के बाद - 81 मैचों में 55.10 की थी। जो अब गिर कर 49.15 की हो गई है - इतना ही नहीं फ़ैब फ़ोर में वह अब अकेले हैं जिनकी औसत 50 से कम है। तो वहीं स्मिथ की औसत एक समय जो अविश्वस्नीय 64.81 की थी वह अब 109 मैचों के बाद गिर कर 56.97 की हो गई है। हालांकि फिर भी स्मिथ को इस औसत पर गर्व होगा।
जबकि
रूट की करियर औसत उल्टी दिशा में जा रही है: नवंबर 2019 में रूट की औसत जहां 47.35 की थी तो अब उसमें तीन अंकों का उछाल आ गया है - रूट की औसत फ़िलहाल 50.93 की हो गई है। ठीक यही हाल
विलियमसन का भी है - 2019 में उनकी औसत 51.44 की थी जो अब 54.98 की हो गई है।
वहीं दूसरी तरफ़ पिछले पांच सालों में रूट की बदलती हुई औसत (मूविंग ऐवरेज) कभी भी 40 से नीचे नहीं गई। उन्होंने लगातार 17 प्लॉट में 50 की ज़्यादा औसत से रन बनाए हैं। उन्होंने 2020-2022 के बीच
24 टेस्ट के दौरान 52.31 की औसत से रन बनाए। ठीक इसी तरह विलियमसन ने इस दौरान
27 टेस्ट खेले जहां सिर्फ़ अगस्त 2019 में एक बार उनकी औसत 50 से कम रही थी।
टीम के रनों में प्रतिशत योगदान भी यही कहानी बताता है: एक समय जो 16.5% से ज़्यादा का था, अब स्मिथ और कोहली दोनों के लिए यह 13% से कम हो गया है।
किसने बनाए कितने शतक
नीचे दिए आंकड़े का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि रूट ने पिछले चार वर्षों में अन्य तीन बल्लेबाजों को किस तरह से पीछे छोड़ दिया है। 2020 के अंत में रूट के नाम कोहली से 10 और स्मिथ से नौ शतक कम थे। तब से, कोहली ने केवल दो शतक बनाए हैं, और स्मिथ ने छह, जबकि रूट ने इन पिछले कुछ सालों में 17 शतक जड़ दिए हैं।
2021 से, रूट ने उतने ही शतक (17) बनाए हैं जितने अन्य तीन ने मिलकर बनाए हैं। विलियमसन ने इस अवधि में भी नौ शतकों के साथ शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन रूट के 48 की तुलना में उन्होंने केवल 18 टेस्ट खेले हैं। इसलिए, हम ऐसे कह सकते हैं कि रूट और विलियमसन ने 121 पारियों में 26 शतक बनाए हैं, जबकि स्मिथ और कोहली ने 104 पारियों में आठ ही शतक लगाए हैं। .
इसमें कोई शक नहीं है कि इंग्लैंड ने इस अवधि में सबसे ज़्यादा 48 टेस्ट खेले हैं - जबकि भारत ने 35, ऑस्ट्रेलिया ने 34 और न्यूज़ीलैंड ने सबसे कम 25 टेस्ट ही खेले हैं। रूट ने इन मौक़ों का जमकर फ़ायदा उठाया है।
सीरीज़ में सर्वश्रेष्ठ
2014 से 2019 के बीच स्मिथ ने 18 सीरीज़ खेली है, जिसमें से सात बार वह दोनों टीमों में मिलाकर सर्वोच्च स्कोरर रहे हैं। कोहली ने इतनी ही सीरीज़ में ऐसा पांच बार किया है। लेकिन 2020 के बाद से कोहली और स्मिथ ने जितनी भी टेस्ट सीरीज़ खेली है उसमें एक ही बार ऐसा हुआ है जब स्मिथ ने सीरीज़ में सर्वाधिक रन बनाए हों। स्मिथ ने साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 2021-22 में
231 रन बनाए थे। जबकि कोहली ने इस दौरान 11 सीरीज़ खेली है लेकिन किसी में भी सर्वोच्च स्कोरर नहीं रहे हैं।
इस बीच, विलियमसन (12 सीरीज़) और रूट (15 सीरीज़) चार बार टॉप स्कोरर रहे हैं। श्रीलंका के ख़िलाफ़ अब तक दो टेस्ट मैचों में रनों का अंबार लगाने वाले रूट को अपने इस योग को पांचवां करने की पूरी उम्मीद है।
पेस vs स्पिन
2014 से 2019 के बीच ये सभी फ़ैब फ़ोर स्पिन और पेस दोनों के ही ख़िलाफ़ लाजवाब थे। बल्कि रूट की औसत उस दौरान पेस के ख़िलाफ़ 47.48 थी जबकि बाक़ी तीनों की औसत स्पिन और पेस दोनों के ही ख़िलाफ़ 50 से ज़्यादा थी। इसमें तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ स्मिथ की औसत तो 82.15 की थी, तो वहीं स्पिन के ख़िलाफ़ विलियमसन की औसत 86.1 और कोहली की औसत स्पिनरों के ख़िलाफ़ 77.03 की थी।
2020 के बाद से पेस के ख़िलाफ़ स्मिथ की औसत गिरकर 40.41 हो गई है - जो पहले की अवधि के आधे से भी कम है। जबकि कोहली ने पेस और स्पिन दोनों के ख़िलाफ़ 30 के आस पास की औसत से रन बनाए हैं। दूसरी ओर, विलियमसन का पेस और स्पिन दोनों के ही ख़िलाफ़ औसत 60 से अधिक है।
ये सभी आंकड़ें दर्शाते हैं कि पिछले पांच सालों में फ़ैब फ़ोर अब फ़ैब टू तक ही सीमित हैं। कोहली के टेस्ट फ़ॉर्म में सबसे ज़्यादा गिरावट आई है - हालांकि उन्होंने पिछले साल कुछ शतकों के साथ इसे बेहतर करने के संकेत दिए हैं। जबकि स्मिथ अब वह रन-मशीन नहीं रहे, जैसे वह पहले नज़र आते थे। इस बीच, रूट ने उस फ़ॉर्म और भूख को फिर से खोज लिया है जिसने 2010 के अंत में उनका साथ छोड़ दिया था और विलियमसन ने मिले सीमित अवसरों का शानदार इस्तेमाल किया है।
स्मिथ और कोहली के लिए, इस साल के अंत में हाई-प्रोफ़ाइल बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी उनकी खोई चमक को दोबारा हासिल करने के लिए शानदार मंच हो सकता है। ये दोनों भी चाहेंगे कि 2010 के बाद वाले दौर को दोबारा जिया जाए और अपने दबदबे को करियर के इस पड़ाव पर भी दिखाया जाए।
एस राजेश ESPNcricinfo में स्टैट्स एडिटर हैं। @rajeshstats