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आउट होने को लेकर ज़्यादा नहीं सोच सकता, जोखिम तो उठाने होंगे - विराट कोहली

कप्तान कोहली ने पंत का भी बचाव किया और कहा कि आलोचनाओं से अपनी आक्रामक शैली को नहीं बदलना चाहिए

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने कहा कि उनके बल्लेबाज़ों को मुश्किल परिस्थितियों में और भी जोखिम उठाने होंगे ताकि गेंदबाज़ी आक्रमण को मदद मिल सके।
साउथैंप्टन में खेले गए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में कोहली एंड कंपनी को न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ हार मिली और उनकी टीम ने मैच में 217 और 170 रन बनाए। न्यूज़ीलैंड ये मुक़ाबला आठ विकेट से जीतते हुए पहले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की विजेता रही।
भारत ने आख़िरी दिन दो विकेट के नुक़सान पर 64 रन से आगे खेलना शुरू किया था और खिली धूप और शानदार परिस्थितियों के बावजूद पूरी टीम चाय से पहले ही ऑलआउट हो गई। न्यूज़ीलैंड के सभी चार सीमर्स ने आपस में विकेट साझा किए और फिर केन विलियमसन और रॉस टेलर ने 139 रनों का पीछा करते हुए 7.1 ओवर पहले ही टीम को आठ विकेट से जीत दिला दी।
दूसरी पारी में भारत की ओर से सिर्फ़ ऋषभ पंत ने कुछ संघर्ष किया और 88 गेंदों पर 41 रन बनाए, हालांकि पांच पर उन्हें एक जीवनदान भी मिला था। मैच के बाद कोहली ने कहा था कि हम 30-40 रन कम रह गए।
इस बात को आगे बढ़ाते हुए कोहली ने अपने बल्लेबाज़ों का बचाव भी किया और कहा कि न्यूज़ीलैंड की शानदार गेंदबाज़ी लाइन-अप के सामने भारतीय बल्लेबाज़ों के पास आक्रामक रूख़ अपनाना ही एक विकल्प था, जिसकी कोशिश सभी बल्लेबाज़ों ने की।
पंत के आउट होने के तरीक़े पर क्रिकेट गलियारों में ये चर्चा चली कि क्या उस समय पंत को ऐसा जोखिम भरा शॉट खेलना चाहिए था। लेकिन कोहली ने अपने बल्लेबाज़ का बचाव करते हुए कहा कि पंत इसी तरह काउंटर अटैक करने के लिए जाने जाते हैं और यही वह शैली है जो उन्हें और टीम को सफल भी बनाती है। फिर चाहे वह हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक सीरीज़ जीत हो या फिर इंग्लैंड के ख़िलाफ़ घर में मिली जीत हो।
"ऋषभ इस तरह का खिलाड़ी है कि जब भी उसे मौक़ा मिलता है वह खुलकर खेलना पसंद करता है। जब भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है जहां हमारी परीक्षा हो तो पंत उन हालात को बख़ूबी समझता है। जब कभी कुछ आपके पक्ष में नहीं जाता या वह प्रयास सफल नहीं होता तो लोग कहते हैं कि ये ग़लत फ़ैसला था, और ये हर खेल में होता है।"
"हम नहीं चाहते कि पंत पर इन आलोचनाओं का असर और वह अपनी आक्रामक शैली में बदलाव लाएं, क्योंकि यही उसकी ताक़त है। हम हमेशा चाहेंगे कि पंत वैसा ही खेलता रहे और विपक्षी टीम पर अपनी इस शैली से अतिरिक्त दबाव बनाए रहे।"
भारत का अब अगला इम्तिहान अगस्त में मेज़बान इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलना है। कोहली ने साफ़ कहा है कि टीम इस हार से एक बड़ा सबक़ सीखेगी, क्योंकि एक बार फिर उनके सामने न्यूज़ीलैंड की ही तरह एक बेहतरीन गेंदबाज़ी लाइन-अप होगी। जहां जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड जैसे दिग्गज भारतीय गेंदबाज़ों के सामने होंगे, और उनसे चुनौती पाना आसान नहीं होगा।
"आपको उनसे पार पाने के लिए रास्ते तलाशने होंगे, अगर आपने उन गेंदबाज़ों पर दबाव नहीं डाला तो फिर वह इतने फ़िट हैं कि लंबे स्पेल में गेंदबाज़ी कर सकते हैं और दिन भर उन जगहों पर गेंद डालते रहेंगे जहां आपकी कमज़ोरी है। आपकी कोशिश ये होनी चाहिए कि उनके ख़िलाफ़ रन बनाएं, आपको ये बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि ऐसा करने से आप आउट हो सकते हैं। हम जानते हैं कि एक बैटिंग यूनिट के तौर पर अगर हम लगातार 300 रन बनाते रहे तो दबाव विपक्षी टीम पर होगा।"
"हम कोशिश करेंगे कि रन बनाते रहें, सोचा समझा जोखिम उठाते रहें और आउट होने की चिंता छोड़ दें। बस यही एक तरीक़ा है जिससे आप विपक्षी टीम पर दबाव बना सकते हैं, नहीं तो फिर ये सोचना कि आप वहां बस खड़े रहें और उम्मीद करते रहें कि आउट नहीं होंगे, ये सरासर ग़लत है।"

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन (@imsyedhussain) ने किया है।