अश्विन : टॉड मर्फ़ी अपने पहले भारत दौरे पर आए नेथन लायन से '10 से 50 गुना बेहतर'
भारतीय ऑफ़ स्पिनर आर अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया के दूसरे युवा स्पिनर मैथ्यू कुनमन की तारीफ़ करते हुए उनकी शैली पर बात की
अश्विन ने अपने यूट्युब चैनल पर कहा, "नेथन लायन ने सीरीज़ में 20 विकेट लिए, लेकिन दबाव अन्य स्पिनरों के चलते भी बढ़ता रहा। आप शायद सोच रहें हो कि टॉड मर्फ़ी में इतनी ख़ास बात क्या थी? यह उनका पहला भारत दौरा था। मुझे याद है लायन जब 2013 में पहली बार आए थे। वह पहले श्रीलंका में भी खेल चुके थे। उस लायन के मुक़ाबले टॉड मर्फ़ी 10 से 50 गुना बेहतर हैं। यह मैं गुणवत्ता या प्रदर्शन के आधार पर नहीं कह रहा है। लेकिन मैं उनकी क्षमता और धैर्य की बात कर रहा हूं, जो उन्होंने ओवर और राउंड द विकेट दोनों से आते हुए दर्शाया।"
2013 में लायन ने तीन टेस्ट में खेलते हुए 15 विकेट लिए थे और मर्फ़ी की ही तरह एक पारी में सात विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया था। अश्विन ने कहा, "अहमदाबाद टेस्ट में वह [मर्फ़ी] मुख्यतया ओवर द विकेट से गेंदबाज़ी कर रहे थे। हालांकि वह ओवर और राउंड दोनों से सहज दिखे। वह दोनों कोण से स्टंप्स को लगातार अटैक कर रहे थे। नेथन लायन की सबसे बड़ी शक्ति है कि वह मिचेल स्टार्क के पैरों द्वारा बनाए गए निशान का ज़बरदस्त लाभ उठाते हैं। वह छठे और सातवें स्टंप के लाइन का बढ़िया तरीक़े से उपयोग करते हैं। उन्होंने पिछले 10 सालों में यही सबसे बढ़िया किया है। ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में पिच से ज़्यादा मदद नहीं मिलती। उनकी गेंदबाज़ी, गति, दिशा और शरीर का उपयोग इन सब बातों से निर्धारित है।"
अश्विन ने आगे कहा, "टॉड मर्फ़ी ज़्यादा आधुनिक स्पिनर हैं जो लगातार स्टंप्स पर अटैक करते हैं। वह वाइड ऑफ़ द स्टंप्स से आएं या राउंड द विकेट आएं, तब भी स्टंप्स की लाइन ही डालेंगे। कुछ गेंदों को वह बाहर भी निकाल देते हैं। वह साधारण तौर पर तेज़, बैक-ऑफ़-लेंथ गेंद डालते हैं लेकिन अचानक से धीमी गेंद भी डाल देते हैं, जिसे पढ़ना कठिन है।"
अश्विन ने बाएं हाथ के स्पिनर मैथ्यू कुनमन की भी तारीफ़ की, जिन्होंने दिल्ली टेस्ट में अपना डेब्यू किया। अश्विन ने कहा, "कुनमन गेंद को लोड करते हुए अपने कलाई का उपयोग करते हैं। इससे ऐसा लग सकता है कि उनकी कोहनी मुड़ रही है लेकिन ऐसा नहीं है। यह सारा उनके कलाई का खेल है।
"इस कलाई के उपयोग के चलते गेंद काफ़ी तेज़ी से [उनके हाथों में] नीचे आती है। ऐसे में क्या होता है आप गेंद के पीछे कलाई और ऊंगलियों का पर्याप्त ज़ोर नहीं डाल सकते और कभी-कभी गेंद बहुत धीमे से जाती है। अगर विकेट धीमी हो, तो आप उन्हें आसानी से खेल सकते हैं। वह भी अपने पहले भारत दौरे पर थे। उन्होंने दिल्ली और इंदौर में बढ़िया गेंदबाज़ी की। अहमदाबाद जैसे सपाट पिच पर भी उनकी गेंदबाज़ी काफ़ी अनुशासित थी।"