पुजारा : मैं स्वार्थी क्रिकेटर नहीं जो प्लेइंग XI में बने रहने के लिए खेले
बल्लेबाज़ ने टेस्ट टीम से ड्रॉप होने पर निराशा और आत्म-संदेह को स्वीकारा लेकिन विश्वास जताया कि वह आगे योगदान भी दे सकते हैं
'द फ़ाइनल वर्ड' पॉडकास्ट पर बात करते हुए इंग्लैंड में ससेक्स के लिए क्रिकेट खेल रहे पुजारा ने कहा, "पिछले कुछ सालों में मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे। जब आप 90 टेस्ट मैच खेलने के बाद भी ड्रॉप होते हैं, तो आप को पुनः साबित करना पड़ता है कि आप उस श्रेणी के खिलाड़ी हैं। यह अलग तरह की चुनौती होती है। आप को थोड़ी निराशा तो होती ही है, जब आप 90 टेस्ट मैच खेलकर पांच-छह हज़ार रन बना चुके होते हैं। यह आसान नहीं।"
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2021-23 के डब्ल्यूटीसी चक्र में विराट कोहली के 932 रनों के बाद भारत के लिए पुजारा ने ही सर्वाधिक 928 रन बनाए थे, हालांकि उनकी औसत केवल 32.00 की थी। उन्होंने फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 14 और 27 बनाए। इसके बाद वेस्टइंडीज़ के दौरे पर बाहर किए जाने पर सुनील गावस्कर ने पुजारा का समर्थन करते हुए कहा था कि उन्हें "बलि का बकरा" बनाया जा रहा है।
पुजारा ने कहा, "मैं ख़ुद को आश्वासन देता रहता हूं कि मैं उच्च स्तर का बल्लेबाज़ ही हूं। मुझे पता है भारतीय क्रिकेट में मेरा कितना बड़ा योगदान रहा है। मैंने एक आंकड़ा देखा था कि जब मैं 70 या 80 का स्कोर बनाता हूं तो भारत 80% मैच जीतता है, या उसे हारना नहीं पड़ता। मुझे पता है जब मैं रन बनाता हूं तो अमूमन भारत हारता नहीं।"
वैसे आंकड़ा यह है कि जब पुजारा ने किसी टेस्ट में कम से कम एक बार 70 का स्कोर पार किया है, तब भारत 34 में से 23 टेस्ट मैच जीता है और केवल छह में हारा है। इसकी तुलना में जब कोहली ने 70 का स्कोर पार किया है, तब भारत 18 टेस्ट जीता है लेकिन 10 हारा भी है। हालांकि हारे टेस्ट में रन बनाना अक्सर ज़्यादा कठिन होता है, क्योंकि विरोधी टीम की क्षमता और परिस्थितियां, दोनों बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल नहीं होती।
भारत के लिए आठवें सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने बल्लेबाज़ अब चयन के बारे में सोचने के बजाय अपनी गेम पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "मेरे क्रिकेट करियर में ऐसा कई बार हुआ है कि मैं दबाव में आया हूं और ड्रॉप भी किया गया हूं। आप किसी स्थान के लिए नहीं, हमेशा टीम के लिए खेलते हैं। मैं चीज़ों को आसान रखना पसंद करता हूं क्योंकि मैं कोई स्वार्थी क्रिकेटर नहीं जो सिर्फ़ प्लेइंग XI में स्थान को बनाए रखने के लिए खेले।
"अगर मैं फ़िलहाल टीम में योगदान नहीं दे रहा हूं, तो मैं घर पर बैठने के लिए तैयार हूं। उदाहरण के तौर पर अगर मैं 20 या 30 बनाकर आउट हो जा रहा हूं, लेकिन अगर कोई 20-30 और बनाकर अर्धशतक लगा देता हैं लेकिन भारत नहीं जीतता तो क्या फ़ायदा? शायद ऐसी सोच मुझे व्यक्तिगत तौर पर लाभ पहुंचाए, लेकिन मैंने कभी ऐसे नहीं सौचा। मेरे लिए भारतीय टीम को मैच जीताने की क्षमता सर्वोपरि है। आप प्लेइंग XI में बने रहने के लिए नहीं खेल सकते। टीम में अगर रहें तो टीम के लिए कुछ प्रभाव डालना ज़रूरी है।"
श्रेष्ठ शाह ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं @sreshthx, अनुवाद ESPNcricinfo के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है