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पुजारा टीम से बाहर हुए हैं हारे नहीं

शुक्रवार को पुजारा ने अपने प्रथम श्रेणी करियर का 60वां शतक लगाया और अपनी सभी क्‍वालिटी को दिखाया

Cheteshwar Pujara has his eyes on you, Australia vs India, WTC final, 4th Day, The Oval, London, June 10, 2023

पुजारा ने शुक्रवार को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 60वां शतक लगाया  •  AFP/Getty Images

बेंगलुरु के क़रीब अलुर एक कस्‍बा है, जहां दर्शकों में काम के समय में क्रिकेट देखने का वह लालच नहीं है, फ‍िर चाहे दलीप ट्रॉफ़ी मैच में सूर्यकुमार यादव, पृथ्‍वी शॉ और चेतेश्‍वर पुजारा जैसे सितारे पूरे दिन मैदान पर हों।
जो कुछ दीवार पर चढ़कर कुछ देर मैच देखते हैं, वे वह लोग हैं बराबर में स्थित सीमेंट की फ़ैक्‍ट्री से छोटा ब्रेक मिलता है। जैसे ही सायरन बजा वे वापस लौट गए। कुछ कुछ ऐसा ही जैसा पुजारा कर रहे थे। उन्‍होंने शुक्रवार को 278 गेंद में 113 रन की पारी खेलकर अपना 60वां प्रथम श्रेणी शतक लगाया।
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि सीमेंट फै़क्ट्री के विपरीत, यह काम पुजारा पर नहीं थोपा गया है। जैसे ही उन्हें पता चला कि वह भारत की टेस्ट टीम के साथ कैरेबियन के लिए विमान में नहीं जा रहे हैं, तो उन्होंने स्वेच्छा से इसे करना चुना।
अब 103 मैच खेल चुके अनुभवी टेस्‍ट खिलाड़ी पुजारा यहां से अपने करियर में एक या हो सकता है दो प्रथम श्रेणी मैच खेलें। आप स्कोर करते हैं और वे कहते हैं, 'लेकिन अरे, नया क्या है?' आप ऐसा नहीं करेंगे और वे शायद कहेंगे, 'यही कारण है कि वह टीम में नहीं है।'
हालांकि, पुजारा के लिए यह सब मायने नहीं रखता है, वह भी तब जब अपनी मेहनत से खेल का पूरा आनंद ले रहे हैं। किसी के लिए 35 साल की उम्र में इस तरह की पारी खेलना बेहद सराहनीय है, वह भी तब ज पुजारा जानते हैं कि भारतीय टीम में वापस जाने का रास्‍ता इतना आसान नहीं है।
वह पहली पारी में कड़ी मेहनत करने के बाद भी ख़राब शॉट खेलकर आउट हो गए। वह एक और मौक़े को गंवाना नहीं चाहते थे। शुक्रवार को तीसरे दिन सेमीफ़ाइनल में पुजारा की अप्रोच ताज़ा लगी, वह भी तब जब वह पिछली शाम 50 रन बनाकर नाबाद लौटे थे। एक ओपनिंग स्‍पेल था जिसको वह भुनाना चाहते थे।
सुबह के समय जब गेंद सीम कर रही थी और श‍िवम मावी व आवेश ख़ान लगातार सवाल पूछ रहे थे तो एक घंटे तक संयम की ज़रूरत थी। जब शॉ, प्रियांक पांचाल और सूर्यकुमार सभी आउट हो गए थे तो पुजारा को अपने अनुभव का लाभ उठाना था।
पहले सत्र में उन्‍होंने केवल एक ही ग़लत शॉट खेला और वह दोबारा से फ़ोकस में चले गए। उन्‍होंने आवेश की छठे या सातवें स्‍टंप्‍स की गेंद पर ड्राइव लगानी चा‍ही। वह पिच तक गए और थोड़ा बल्‍ले से थपथपाया और दोबारा से ताज़ा गार्ड लिया।
गेंदबाज़ी बहुत अनुशासित हो रही थी और पहले 75 मिनट के खेल में पुजारा कल रात के स्‍कोर में केवल नौ ही रन जोड़ पाए। वह सात ओवर तक कोई रन नहीं बनाए थे और वेस्‍ट ज़ोन के पास 92 रन की बढ़त थी, लेकिन रन बनाना उस समय फ़ोकस में नहीं था।
सौरभ कुमार के ख़‍िलाफ़ उन्‍होंने थोड़ा बदलाव किया। वह बायें हाथ के स्पिनर को सीधे बल्‍ले से खेलना चाहते थे। ख़ासतौर पर जब वह आगे निकले तो बैट सही तरीक़े से आगे निकले। जब गेंद अधिक टर्न हो तो वह अपने बॉटम हैंड का इस्‍तेमाल कर रहे थे।
सरफ़राज़ ख़ान सुबह के समय सौरभ की एक फ़्लाइटेड लेंथ गेंद पर अपना विकेट खो बैठे थे और पुजारा सौरभ को एक और मौक़ा नहीं देना चाहते थे। वह आगे निकलते और फ़्लाइटेड लेंथ बॉल को डिफ़ेंस कर देते। वह लगातार गेंदबाज़ को सोचने पर मजबूर कर रहे थे। सौरभ जल्‍द ही सोचने लगे की पुजारा काउंटर के लिए तैयार हैं और फ़्लैट हो गए। यह पुजारा के लिए फ़ायदेमंद रहा और उन्‍होंने प्‍वाइंट के पीछे दो कट निकालकर बाउंड्री निकाली, इससे पहले कि सौरभ अपने प्‍लान ए पर आते।
यही अनुशासन तब दिखा जब वह आवेश को खेलते दिखे, क्‍योंकि वह लगातार शॉर्ट लेंथ गेंद करते दिखे। पुजारा के बारे में जो बात सबसे ख़ास थी, वह थी अपने तरीक़ों पर अटूट विश्वास, भले ही कभी-कभी यह हास्यास्पद लगता था कि लाखों रनों वाला एक अनुभवी खिलाड़ी वास्तव में खु़द को कैसे पा रहा है, लेकिन उन्‍होंने खु़द को चुनौती दी और सफलता हासिल की।
90 तक पुजारा जब तक नहीं पहुंचे वह आक्रामक नहीं दिखे। उन्‍होंने सारांश जैन पर इन साइड आउट ड्राइव लगाई और बाउंड्री निकाली, जब गेंद शॉर्ट रही तो उन्‍होंने दो लगातार प्‍वाइंट के पीछे कट निकालकर अपना शतक लगाया।
उनका जश्‍न भी बिल्‍कुल शुद्ध पुजारा वाला ही था। उन्‍होंने ड्रेसिंग रूम की ओर बल्‍ला उठाया और आसमान में देखकर शुक्रिया किया और दोबारा से काम पर लग गए। आठ विकेट गिरते ही वह आक्रामक हो गए। पहले वह डिफ़ेंस के लिए आगे निकल रहे थे लेकिन अब वह क्‍लीन हिट के लिए जा रहे थे और गैप को ढूंढ रहे थे।
वहां पर स्‍वीप थी, रिवर्स स्‍वीप भी थी। चार घंटे का संयम दिखाने के बाद पुजारा अब आख़ि‍रकार क्‍लीन ह‍िट का लुत्‍फ़ उठा रहे थे।
बारिश आई और पुजारा का फ़ोकस थोड़ा भंग हो गया। वह ग़लत तरीक़े से रन आउट हो गए, लेकिन इस पूरी पारी में यही एक ख़राब चीज़ उन्‍होंने की, वरना इस पारी के दौरान सभी वह तत्‍व थे जिन्‍होंने पिछले 12 साल तक उन्‍हें नंबर तीन की दीवार बनाकर रखा।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।