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पूर्व ICC अध्यक्ष बार्कली : क्रिकेट कैलेंडर व्यस्त होने का कारण- सदस्य देशों का निजी स्वार्थ

ग्रेग बार्कली ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान से पूर्ण सदस्यता ना लेने का फ़ैसला एकदम सही था

ICC chairman Greg Barclay speaks to the Australia women after their win, Australia vs England, Women's World Cup 2022 final, Christchurch, April 3, 2022

ग्रेग बार्कली: "मुझे पूरी उम्मीद है कि शाह भारत के क़द का फ़ायदा उठाते हुए खेल को इस संकट की स्थिति से निकालने में सफल साबित होंगे"  •  Kai Schwoerer/ICC/Getty Images

ICC के पूर्व अध्यक्ष ग्रेग बार्कली ने स्वीकारा है कि जिस खेल पर उन्होंने चार वर्षों तक शासन किया, उसमें काफ़ी जटिलताएं पैदा हो गई हैं और उन्होंने आने वाले समय में वर्तमान अध्यक्ष जय शाह को भी इन चुनौतियां के संबंध में आगाह किया है। टेलीग्राफ़ को दिए गए एक साक्षात्कार में दो बार दो-दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले बार्कली ने शाह को भारत द्वारा विश्व क्रिकेट को दबाव में लाए जाने के प्रति भी सचेत किया।
चैंपियंस ट्रॉफ़ी के आयोजन स्थल को लेकर बनी अनिश्चितता की स्थिति के बीच बार्कली ने 1 दिसंबर को अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था और उन्होंने यह भी स्वीकारा कि आज के समय में इतनी क्रिकेट हो रही है कि उन्हें ख़ुद भी नहीं पता कि कौन सी टीम किसके ख़िलाफ़ खेल रही है। उनके कार्यकाल में तीन अन्य फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट अस्तित्व में आईं। USA, UAE और साउथ अफ़्रीका में फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट की शुरुआत ने पहले से ही व्यस्त क्रिकेट कैलेंडर को और भी व्यस्त कर दिया। उन्होंने इस स्थिति के लिए सदस्य देशों के निजी स्वार्थ को ज़िम्मेदार ठहराया।
बार्कली ने कहा, "मैं इस खेल के शीर्ष पद पर था और मैं आपको यह नहीं बता सकता हूं कि विश्व भर में कौन सी टीम किसके ख़िलाफ़ खेल रही है। जब तक मैंने आज सुबह मार्को यानसन द्वारा लिए गए सात विकेट के बारे में नहीं पढ़ा था, तब तक मुझे यह बात नहीं पता थी कि इस समय श्रीलंका, साउथ अफ़्रीका में है। यह इस खेल के लिए अच्छा नहीं है। इसमें जटिलता पैदा हुई है। कैलेंडर इतना व्यस्त है और निजी स्वार्थ की भावना इतनी ज़्यादा है कि इसे सुलझाना और भी कठिन है क्योंकि कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है।
बार्कली ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि शाह भारत के क़द का फ़ायदा उठाते हुए खेल को इस संकट की स्थिति से निकालने में सफल साबित होंगे। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि भारत को खेल को दूसरे स्तर पर ले जाने के क्रम में उन्हें यह सुनहरा अवसर मिला है लेकिन उन्हें यह विश्व क्रिकेट पर बिना भारत के दबाव बनाए सुनिश्चित करना होगा। भारत के होने से हम सभी भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्होंने (भारत ने) इस खेल के प्रति तमाम तरह से बहुत बड़े योगदान दिए हैं लेकिन सारी शक्ति एक देश के पास होने से अन्य नतीजे भी प्रभावित होते हैं, जो कि वैश्विक विकास के लिए सही नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "जय के पास भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और बढ़ावा देने की क्षमता है। ऐसी कई चीज़ें हैं, जिसमें भारत खेल को वैश्विक स्तर पर खेल को बढ़ावा देने और एकजुटता की भावना को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। इसमें ब्रॉडकास्टिंग अधिकारों, छोटे पूर्ण सदस्य देशों और उभरते हुए देशों को अवसर देने के लिए अपनी टीमों का उपयोग करना और नए क्षेत्रों को खोलने में अपने प्रभाव का उपयोग करना शामिल है।"
बार्कली के कार्यकाल के दौरान एक अन्य ज्वलंत मुद्दा तालिबान सरकार द्वारा अफ़ग़ानिस्तान की महिला टीम को ना खेलने देने का भी था। महिला टीम को मैदान में उतारना पूर्ण सदस्यता हासिल करने के लिए ठोस आधार में से एक है। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान टीम की सदस्यता रद्द करने के तमाम मांगों के बीच बार्कली ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की सदस्यता रद्द ना करने का फ़ैसला सही था।
उन्होंने कहा, "इसमें अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) की ग़लती नहीं है। उनके पास महिला टीम हुआ करती थी। मुझे लगता है हमारा फ़ैसला सही था। अफ़ग़ानिस्तान को बाहर करना आसान होता लेकिन बोर्ड ने कोई भूल नहीं की थी। वे सिर्फ़ आदेशों और नियमों के अधीन थे। मुझे नहीं लगता कि उन्हें बाहर निकालने से वहां की सत्ताधारी दल को कोई फ़र्क पड़ेगा। मैं थोड़ा नासमझ हो सकता हूं लेकिन मुझे लगता है कि वहां भलाई के लिए क्रिकेट एक बड़ी ताक़त है और यह कई लोगों के चेहरे पर खुशी लाता है।"
हालांकि बार्कली ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) जैसे क्रिकेट बोर्ड के दोहरे रवैए पर भी टिप्पणी की, जब CA ने कई अवसर पर अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ द्विपक्षीय श्रृंखला तो रद्द कर दिए लेकिन उन्हें ICC टूर्नामेंट में अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ खेलने से ऐतराज़ नहीं था।
"अगर आप वास्तव में कोई राजनीतिक संकेत देना चाहते हैं तो आप विश्व कप में भी उनके साथ मत खेलिए। भले ही इसके चलते आपको सेमीफ़ाइनल की जगह गंवानी पड़े लेकिन सिद्धांत तो सिद्धांत होते हैं।"