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पूर्व में टीम चयन के दौरान सीनियर खिलाड़ियों के हस्तक्षेप का कोई प्रमाण नहीं : क्रिकेट साउथ अफ़्रीका

सोशल जस्टिस और नेशन बिल्डिंग (एसजेएन) की सुनवाई के दौरान सीएसए के एडी खोज़ा ने स्पष्टीकरण दिया

A young South Africa fan waves a flag in support of his country, South Africa v Afghanistan, Cardiff, June 15, 2019

क्रिकेट बोर्ड ने 2014 में अपनाए गए वर्तमान चयन नीति पर भी विश्वास जताया है  •  Alex Davidson/Getty Images

क्रिकेट साउथ अफ़्रीका (सीएसए) ने आज कहा है कि ऐसा "कोई प्रमाण नहीं है" कि कुछ सीनियर खिलाड़ी टीम के चयन में हस्तक्षेप करते थे। इसके अलावा क्रिकेट बोर्ड ने 2014 में अपनाए गए वर्तमान चयन नीति पर भी विश्वास जताया है। सोशल जस्टिस और नेशन बिल्डिंग (एसजेएन) की सुनवाई में सीएसए के क्रिकेट पाथ वे (Cricket Pathway) के अस्थायी प्रमुख एडी खोज़ा ने इस बात का और टीम चयन से जुड़े कई विवादों का स्पष्टीकरण दिया।
पूर्व तेज़ गेंदबाज़ रॉजर टेलेमैकस ने 2007 विश्व कप के दौरान "बिग फ़ाइव" नामक श्वेत खिलाड़ियों के एक समूह के बारे में बात की थी, जो टीम चयन और रणनीति जैसे निर्णयों को नियंत्रित करते थे। खोज़ा ने बताया कि हालांकि उस वक़्त वह ख़ुद सीएसए से नहीं जुड़े थे लेकिन टेलेमैकस के आरोप का कोई प्रमाण पेश नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, "मेरे मन में टेलेमैकस के लिए बहुत श्रद्धा है क्योंकि वह देश के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके हैं। लेकिन हमारे नीतियों के चलते टीम चयन में खिलाड़ियों के गुट बनकर हस्तक्षेप करने की संभावना कम है। हम फिर भी उनके बयान को सत्यापित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम ग़ुलाम [पूर्व मैनेजर ग़ुलाम राजा, जिनका इस वर्ष कोविड-19 के चलते निधन हो गया] के पास नहीं जा सके। मुझे विश्वास है कि चयन के निर्णय नीति के अनुसार ही लिए गए हैं। इस में गुटबाज़ी का कोई प्रमाण हमारे पास नहीं मिला है।"
खोज़ा ने लोकपाल के सहायक सैंडिल जुलाई के बात को माना कि अगर "बिग फ़ाइव" नामक कोई गुट बना भी था तो यह तय करना मुश्किल है कि इस गुट के सदस्य ख़ुद को इस नाम से संबोधित करते थे। उन्होंने यहां तक माना कि उस वक़्त किसी लिखित शिकायत के अनुपस्थिति में ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि टेलेमैकस जैसे खिलाड़ियों का अनुभव ग़लत है। लेकिन उन्होंने कहा, "समय बदल चुका है। कुछ मुद्दों को संभालने के लिए कुछ प्रणाली स्थापित किए गए हैं। साउथ अफ़्रीका क्रिकेटर संघ के साथ हमारा रिश्ता भी बेहतर है। रॉजर टेलेमैकस के खेल जीवन के दौरान आपको मानना पड़ेगा कि खिलाड़ियों के पास संसाधन कम थे। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है। यह ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हे हम अपने हीरो मानते हैं और उनकी यह आपबीती बातें दुखदायी हैं।"
सीएसए के वकील असलम मूसाजी ने माना कि "2014 से पहले रॉजर टेलेमैकस नीतियों के चलते पीड़ित हो सकते थे लेकिन उस समय तक चयन की नीतियों पर कोई ख़ास दिशानिर्देश स्पष्ट नहीं हैं।"
2014 के बाद से कप्तान का मताधिकार चयन से हटा दिया गया है और ऐसा पूर्व चयनकर्ता हुसैन मानक, जो खुद भी एसजेएन के समक्ष गवाही दे चुके हैं, के सुझाव के बाद हुआ था। मानक ने 2015 के भारत दौरे पर अश्वेत बल्लेबाज़ खाया जौंडो के ना चुने जाने में उस समय के कप्तान एबी डीविलियर्स की भूमिका की बात की थी। डिविलियर्स एक ख़राब फ़ॉर्म से लड़ रहे डेविड मिलर को खिलाने पर अड़े हुए थे।
खोज़ा ने कहा कि जौंडो का चयन ना होना एक "गंवाया हुआ मौक़ा" था, जिससे अश्वेत बल्लेबाज़ों को प्रोत्साहन मिल सकता था। उन्होंने पुष्टि की कि इस बारे में एक लिखित याचिका दर्ज हुई थी और इस बात की जांच भी की गई थी। उन्होंने कहा, "जांच समिति के अनुसार यह ग़लत ज़रूर था लेकिन नस्लवाद के आधार पर नहीं हुआ था। फिर भी एक अच्छा मौक़ा गंवाया गया था। टीम चयन किसी भी खेल में एक विकट और पेचीदा काम होता है। इस कारण यह काम स्वतंत्र लोगों के द्वारा करवाया जाता है। यह आवश्यक है कि ऐसे लोग कड़े निर्णय ले सकें लेकिन ज़रूरत पड़ने पर खिलाड़ियों के साथ भी खड़े रह सकें।"
एसजेएन की सुनवाई संभवत: शुक्रवार को समाप्त हो जाएगी और इसमें माइकल होल्डिंग भी संबोधन करेंगे। क्रिकेट निदेशक ग्रैम स्मिथ और डिविलियर्स ने सार्वजानिक तौर पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है लेकिन दोनों ने लिखित शपथ पत्र के ज़रिए अपने जवाब भेजे हैं।

फ़िरदौस मूंडा ESPNcricinfo की साउथ अफ़्रीकी संवाददाता हैं, अनुवाद ESPNcricinfo के सीनियर असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है