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एसजेएन : नस्लवाद के ख़िलाफ़ क्रिकेट साउथ अफ़्रीका की एक पहल

इस प्रोजेक्ट ने अतीत की साउथ अफ़्रीकी टीमों के बारें में ऐसी कहानियां सामने लाकर रखी हैं, जिन्होंने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है

Fans celebrate South Africa's win, South Africa v Australia, 2nd T20I, Port Elizabeth, February 23, 2020

सीएसए ने साउथ अफ़्रीकी क्रिकेट में नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों को मदद पहुंचाने के इरादे से एसजेएन सुनवाई शुरू की  •  AFP

एबी डीविलियर्स, मार्क बाउचर, पॉल ऐडम्स और अब क्विंटन डिकॉक - साउथ अफ़्रीकी क्रिकेट के चार बड़े नाम। ये न केवल अपने देश में बल्कि विश्व भर में बड़े पैमाने पर क्रिकेट के एक स्वर्ण युग की याद दिलाते हैं।
पिछले तीन महीनों में पहले तीन खिलाड़ी क्रिकेट साउथ अफ़्रीका (सीएसए) के क्रिकेट फ़ॉर सोशल जस्टिस एंड नेशन बिल्डिंग (एसजेएन) प्रोजेक्ट की सुनवाईयों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। टी20 विश्व कप में साउथ अफ़्रीका टीम के घुटने टेकने के विषय पर पहले टीम से बाहर रहते हुए डिकॉक ने नस्लवाद के मुद्दे पर फिर कुछ विवाद छेड़ें लेकिन गुरूवार को उन्होंने अपने साथियों और समर्थकों से माफ़ी मांगते हुए अपना नज़रिया साफ़ किया। एसजेएन में एक अवकाश के बाद फिर से सुनवाईयों का सिलसिला शुरू हो चुका है और पूर्व वेस्टइंडीज़ तेज़ गेंदबाज़ माइकल होल्डिंग भी शुक्रवार को अपनी राय पेश करेंगे।
इस प्रोजेक्ट ने अतीत की साउथ अफ़्रीकी टीमों के बारें में ऐसी कहानियां सामने लाकर रखी हैं, जिन्होंने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है।
यह एसजेएन प्रोजेक्ट की शुरुआत कैसे हुई?
साउथ अफ़्रीकी क्रिकेट में नस्ल से जुड़े समीकरण हमेशा मुश्किलों से घिरे हुए रहे हैं। एसजेएन की आवश्यकता तब महसूस हुई जब जुलाई 2020 में आयोजित तीन टीमों की क्रिकेट प्रतियोगिता के दौरान तेज़ गेंदबाज़ लुंगिसानी एनगिडी ने कहा था कि यह अच्छा होगा अगर खिलाड़ी वैश्विक "ब्लैक लाइव्स मैटर" आंदोलन का समर्थन करेंगे।
वेस्टइंडीज़ के होल्डिंग भी इस आंदोलन का समर्थन करते हैं। जवाब में, पैट सिमकॉक्स और बोएटा डिप्पेनार जैसे कई पूर्व श्वेत खिलाड़ियों ने एनगिडी की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर यह मुद्दा उठाया जा रहा है तो श्वेत किसानों की दुर्दशा के बारे में भी आवाज़ उठाई जानी चाहिए।
सीएसए ने एकता बहाल करने और साउथ अफ़्रीकी क्रिकेट में नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों को मदद पहुंचाने के इरादे से एक महीने बाद एसजेएन सुनवाई शुरू की। साथ ही एक बहाली कोष (रिस्टोरेशन फ़ंड) स्थापित किया गया और मखाया एनटिनी, गैरी कर्स्टन और लांस क्लूज़नर जैसे लोगों को इस प्रोजेक्ट का एमबैसेडर बनाया गया।
अब तक कौन-कौन गवाही दे चुके हैं?
एसजेएन ने जुलाई 2021 में सुनवाई का सिलसिला शुरू किया था। मूल योजना के तहत परिवर्तन लोकपाल एडवोकेट डुमिसा एनत्सेब्ज़ा के सामने 18 दिनों में 58 उत्तरदाता प्रस्तुत किए जाने थे। इस सूची में पूर्व खिलाड़ी, प्रशासक, चयनकर्ता और मंत्री शामिल हैं।
यह प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है और अगस्त के बाद अक्तूबर में ही इसके तहत सुनवाई शुरू हुई है। गवाही देने वाले खिलाड़ियों में पूर्व तेज़ गेंदबाज़ रॉजर टेलेमैकस, पूर्व स्पिनर्स ओमर हेनरी, ऐरन फैंगिसो और ऐडम्स, पूर्व बल्लेबाज़ लूट्स बॉसमैन और ऐश्वेल प्रिंस कुछ प्रमुख नाम हैं। इन सुनवाईयों में डीविलियर्स और बाउचर का नाम सामने आया हैं, जिनसे स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
किस तरह के आरोप लगाए गए हैं?
ऐडम्स ने बताया कि कैसे उनके साथी उन्हें एक अपमानजनक नाम से संबोधित करते थे। उन्होंने कहा कि कैसे इस उपनाम का इस्तेमाल गानों में और टीम की कुछ बैठकों के दौरान किया जाता था। एक अपरंपरागत एक्शन के साथ गेंदबाज़ी करने वाले ऐडम्स ने यह भी महसूस किया कि उनके एक्शन के बारे में भी रूढ़िवादी नस्लीय ढंग से सोचा जाता था। मीडिया के कुछ वर्गों ने उनके ऐक्शन की तुलना "गाड़ियों के हबकैप्स की चोरी" से की थी।
1990 के दशक में स्पिनर के स्थान के लिए ऐडम्स और सिमकॉक्स के बीच प्रतिस्पर्धा चलती थी। ऐडम्स को लगा कि बेहतर आंकड़े होने के बावजूद उन्हें नज़रअंदाज़ किया गया। उन्होंने 45 टेस्ट मैचों में 32.87 की औसत से 134 विकेट और 24 वनडे मैचों में 28.10 की औसत से 29 विकेट लिए थे, जबकि सिमकॉक्स के नाम 20 टेस्ट मैचों में 37 और 80 वनडे मैचों में 72 विकेट थे। हालांकि वह ऐडम्स से बेहतर बल्लेबाज़ थे। उन्होंने महसूस किया कि टीम उन्हें "दबा" रही थी। ऐडम्स ने उस घटना का भी उल्लेख किया जब 2020 अंडर-19 विश्व कप में ज़िम्बाब्वे टीम से हारने के बाद एक पूर्व श्वेत खिलाड़ी ने टीम के मुख्य कोच को पूर्व खिलाड़ियों के बीच निजी वॉट्सऐप चैट पर "बंदर" कहा था।
टेलेमैकस ने "बिग फ़ाइव" नामक श्वेत खिलाड़ियों के एक समूह के बारे में बात की, जो टीम चयन और रणनीति जैसे निर्णयों को नियंत्रित करते थे। उन्होंने बताया कि कैसे वह 2007 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ विश्व कप का सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला खेलने के लिए उत्सुक थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि उन्हें अथवा एनटिनी में से सिर्फ़ एक को चुनने के लिए राजनीतिक दबाव था। अंततः दोनों में से किसी को भी नहीं चुना गया और ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ़्रीका को करारी शिकस्त दी।
फ़ैंगिसो ने बताया कि कैसे 2014 के टी20 विश्व कप और अगले साल वनडे विश्व कप में उन्हें एक भी मैच ना खिलाकर टीम प्रबंधन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। उन्होंने कहा कि उनके हस्तक्षेप करने से पहले तक एक रिज़र्व खिलाड़ी की मैच फ़ीस को सभी चार खिलाड़ियों में विभाजित किया जा रहा था। हेनरी और बॉसमैन ने ख़ुद को साबित करने का मौक़ा मिले बिना टीम से बाहर किए जाने की बात की।
सलामी बल्लेबाज़ प्रिंस ने बताया कि कैसे उन्हें "कोटा खिलाड़ी" कहा जाता था, जो सिर्फ़ निर्धारित अश्वेत खिलाड़ियों का कोटा पूरा करने के लिए टीम में शामिल किए गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे 2002 में अपना डेब्यू करते समय कोच या खिलाड़ियों ने टीम में उनका स्वागत तक नहीं किया था। इसलिए 2009 में टीम में वापसी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 150 रन बनाने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपने परिवार, अपनी पत्नी, स्टेडियम में मौजूद समर्थकों का अभिवादन करने के बाद ही ड्रेसिंग रूम की तरफ़ बल्ला उठाया था।
पूर्व चयनकर्ता हुसैन मानक ने गवाही दी कि 2015 में भारत के ख़िलाफ़ सीरीज़ के दौरान खाया ज़ॉन्डो को टीम से बाहर रखने के पीछे डीविलियर्स का हाथ था। चोटिल जेपी डुमिनी की जगह ज़ॉन्डो को टीम में शामिल किया जाना था लेकिन डीविलियर्स ने डीन एल्गार को चुना। मानक के अनुसार डीविलियर्स 2016 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ वांडरर्स टेस्ट से पहले कगिसो रबाडा को ड्रॉप करना चाहते थे। लेकिन चयनकर्ता अपने फ़ैसले पर अड़े रहे और उन्होंने हार्डस विल्योन के साथ-साथ 20 वर्षीय रबाडा को टीम में चुना। रबाडा ने जोहैनेसबर्ग में पहली बार किसी पारी में पांच विकेट अपने नाम किए और अगले टेस्ट में 13 विकेट झटके जबकि विल्योन फिर कभी साउथ अफ़्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट नहीं खेले।
क्या प्रतिक्रियाएं रही?
वर्तमान में पुरुष टीम के मुख्य कोच, बाउचर ने अपने किसी भी साथी को ठेस पहुंचाने में अपनी भूमिका के लिए 23 अगस्त को माफ़ी मांगी। हालांकि उन्होंने ऐडम्स को वह उपनाम देने से इनकार किया, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने टीम के गीतों में उसका इस्तेमाल किया हैं। बाउचर ने यह भी बताया कि कैसे अधिकारियों ने उनकी पीढ़ी को अपने खेलने के दिनों में टीम के भीतर एक समावेशी संस्कृति की आवश्यकता के बारे में कभी भी संवेदनशील नहीं बनाया।
डीविलियर्स ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बात की और रबाडा को टीम से बाहर करने की बात से इनकार किया। हालांकि, ज़ॉन्डो के गैर-चयन को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि वह टीम की भलाई के लिए किया गया था।
टीम के कप्तान तेम्बा बवूमा ने बताया है कि टीम प्रबंधन सभी के लिए एक नई समावेशी संस्कृति बनाने की कोशिश कर रहा है। वह साउथ अफ़्रीका की कप्तानी करने वाले पहले अश्वेत खिलाड़ी हैं। इस विश्व कप में डिकॉक के वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ ना खेलने के फ़ैसले पर बवूमा ने सबसे पहले अपने स्टार खिलाड़ी का समर्थन किया था। शायद डिकॉक के आज के बयान से टीम में एकता और समावेशी संस्कृति का नया युग देखने को मिलेगा।

देबायन सेन ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर असेस्टिंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख हैं।