कड़ी मेहनत, ख़ामोश क़ामयाबी: शुभम शर्मा की कहानी, जो उनके आंकड़े बताते हैं
शुभम ने 2021-22 के घरेलू सीज़न से शीर्ष-स्तरीय प्रथम श्रेणी घरेलू प्रतियोगिताओं में कम से कम 40 पारियां खेलने वाले किसी भी बल्लेबाज़ की तुलना में सबसे ज़्यादा रन (2849) बनाए हैं
हिंमांशु अग्रवाल
03-Sep-2025 • 2 hrs ago
PTI
शुभम शर्मा एक क्रिकेटर के तौर पर बहुत ही साधारण ज़िंदगी जीते हैं। उन्हें अब तक IPL खेलने का मौक़ा नहीं मिला है और वह मध्य प्रदेश (MP) की T20 टीम में भी एक नियमित खिलाड़ी के तौर पर अपनी जगह नहीं बना पाए हैं। ऐसे भी T20 का प्रारूप शुभम शर्मा के लिए ज़्यादा अनुकूल नहीं है और वह उनकी ताक़त भी नहीं है। लेकिन क्रिकेट के बड़े प्रारूप में उन्हें घंटों की जद्दोजहद के साथ रन बंटोरना आता है।
अगर शुभम की शैली और उनके ट्रिगर मूवमेंट को देखा जाए तो अक्सर वसीम जाफ़र की याद आ जाती है। वह सटीक तरह से झुकते हुए अपने शॉट्स लगाते हैं और ड्राइव करते वक़्त ऐसा प्रतीत होता है कि वह बिल्कुल ही अंतिम समय पर अपना शॉट लगाते हैं।
शुभम ने 2013-14 में अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला था। साथ ही पिछले दो साल से वह मध्य प्रदेश की टीम के कप्तान हैं। शुभम के कई जूनियर खिलाड़ियों ने भारत की अंडर 19 टीम से खेलते हुए, क्रिकेट का स्नातक पूरा किया था और फिर उन्हें प्रथम श्रेणी में जगह मिली थी। शुभम 2012 में अंडर 19 विश्व कप के लिए भारत के संभावित खिलाड़ियों में से एक थे, हालांकि अंतिम सूची में उनका नाम नहीं था। उस साल भारत ने उन्मुक्त चंद के नेतृत्व में ट्रॉफ़ी उठाई थी।
घरेलू क्रिकेट में शुभम का सफ़र काफ़ी लंबा रहा है, लेकिन इसके बावजूद वह इंडिया ए के सेट अप में नहीं पहुंच पाए हैं। हालांकि वह इस सच को स्वीकारते हुए ही आगे बढ़ रहे हैं। हालिया कुछ वर्षों में उनकी टीम के कई साथी (रजत पाटीदार, वेंकटेश अय्यर, आवेश ख़ान और कुलदीप सेन) भारतीय टीम के लिए खेल चुके हैं। लेकिन शुभम अब उस तरफ़ न देखते हुए घरेलू क्रिकेट में अपनी लिए विशेष जगह बनाने की ख़्वाइश लिए आगे बढ़ रहे हैं।
पिछले सप्ताह शुभम ने सेंट्रल ज़ोन (CZ) के लिए दलीप ट्रॉफ़ी के सेमीफ़ाइनल में नॉर्थ ईस्ट ज़ोन (NEZ) को हराने के बाद ESPNcricinfo से कहा, "इतने लंबे समय तक घरेलू क्रिकेट से जुड़े रहना अच्छा एहसास है, और मैं निरंतरता के साथ इस मंच पर अच्छा प्रदर्शन करते रहना चाहता हूं।"
भले अख़बार के पन्नों में शुभम कारनामों का जिक्र बार-बार नहीं आता या डिजिटल दुनिया की लाइम लाइट उनसे थोड़ी दूर है लेकिन उनके आंकड़े उनकी बेहतरीन कौशल की गवाही देती है और यह बताती है कि घरेलू क्रिकेट में वह किस तरह की प्रतिभा के खिलाड़ी है।
2021-22 के घरेलू सीज़न के बाद से शीर्ष-स्तरीय प्रथम श्रेणी घरेलू प्रतियोगिताओं में कम से कम 40 पारियां खेलने वाले किसी भी बल्लेबाज़ की तुलना में सबसे ज़्यादा रन (2849) बनाए हैं। उनके नौ शतक इस अवधि में संयुक्त रूप से दूसरे सबसे ज़्यादा हैं, और उनका औसत 52.75 है।
NEZ के ख़िलाफ़ भी शुभम ने दूसरी पारी में 215 गेंदों में 122 रनों की धैर्यपूर्ण पारी खेली। शुभम ने कहा, "एक युवा खिलाड़ी के तौर पर, मैं बहुत अटल था। मैंने यह देखा है कि आज के बहुत से युवा खिलाड़ी भी अपने खेल के तरीक़ों को लेकर बहुत दृढ़ हैं। लेकिन कोच बहुत अनुभवी होते हैं। वे लंबे समय से क्रिकेट देख रहे हैं। (युवा खिलाड़ियों को) पहली सलाह यह है कि आपको हमेशा अपने कोचों की बात सुननी चाहिए, और वे जो कहते हैं उसे करने की कोशिश करनी चाहिए। तब आपके पास तेज़ी से आगे बढ़ने का मौक़ा होगा।"
2021-22 में मध्य प्रदेश पहली बार रणजी ट्रॉफ़ी जीतने में सफल रहा था। उस वक़्त उन्होंने छह मैचों में 608 रन बनाए थे। उस सीज़न उन्होंने नौ पारियों में चार शतक और एक अर्धशतक लगाया था, जिसमें मुंबई के ख़िलाफ़ फ़ाइनल में एक शतक भी शामिल है। उस वक़्त उन्होंने नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करते हुए, 116 रन बनाए थे, जिससे MP पहली पारी में बढ़त लेने में सफल रहा था।
"उन्होंने मुझे सिखाया है कि किसी भी मैच के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से ख़ुद को कैसे तैयार करना है।"राहुल द्रविड़ के साथ हुई बातचीत पर
शुभम ने बताया कि राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी (NCA, अब सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस) बेंगलुरु में एकबार उन्हें राहुल द्रविड़ से मिलने का मौक़ा मिला था। तब द्रविड़ बातें सुनकर बड़े मैचों की तैयारी के बारे में काफ़ी कुछ सीख लिया था।
उन्होंने कहा, "राहुल सर ने NCA में हमारे अंडर-16 के कैंप में हमें प्रशिक्षण देने आए थे। उस समय मैंने उनसे मानसिकता के बारे में बहुत से सवाल पूछे, और उन्होंने मुझे ऐसी बातें बताईं जो आज मेरे लिए काफ़ी कारगर हैं।
"उस समय मैं बहुत छोटा था। उस उम्र में आप आम तौर पर खेल से जुड़ी कई ऐसी चीज़ें हैं, जिससे आप डरते हो। तो मैंने वह राहुल सर के साथ साझा किया।उन्होंने मुझे सिखाया है कि किसी भी मैच के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से ख़ुद को कैसे तैयार करना है।"
शुभम, शमी को एक ऐसा गेंदबाज़ मानते हैं, जिनके सामने उन्हें काफ़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। शुभम का शमी से एक प्रथम श्रेणी मैच और एक लिस्ट ए मैच में सामना हुआ है, और उन दोनों मैचों में उन्होंने काफ़ी कुछ सीखा है।
दलीप ट्रॉफ़ी के सेमीफ़ाइनल में शुभम का सामना शार्दुल ठाकुर और तुषार देशपांडे जैसे मझे हुए गेंदबाज़ों से होगी•PTI
पिछले सीज़न रणजी ट्रॉफ़ी में शमी नेमध्य प्रदेश और बंगाल के बीच खेले गए मैच की पहली पारी में आउट किया था।
शुभम ने कहा, "शमी का सामना करना काफ़ी मुश्किल है लेकिन उनके ख़िलाफ़ मुझे बल्लेबाज़ी करना काफ़ी पसंद है। जब हम पिछले सीज़न रणजी ट्रॉफ़ी में बंगाल के ख़िलाफ़ खेल रहे थे, तब उन्होंने दूसरी पारी में पांच ओवर का स्पेल किया था, और उन्होंने मुझे सिंगल भी नहीं लेने दिया। यह मेरे लिए एक सीख की तरह थी।
"वनडे मैच में हम 270 रनों का पीछा करते हुए काफ़ी मुश्किल में थे। सिर्फ़ दो रन पर हमारे दो बल्लेबाज़ आउट हो चुके थे। उस मैच में मैं 99 पर आउट हो गया। उस मैच में मुझे शमी भाई की गेंदबाज़ी खेल कर काफ़ी अच्छा महसूस हुआ था। उनकी बैकस्पिन बहुत अच्छी है, और वह गेंद को देर से स्विंग कराते हैं। जब आप उनके जैसे विश्व स्तरीय गेंदबाज़ का सामना करते हैं, तो आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। तब आपको लगता है कि आप किसी भी गेंदबाज़ के ख़िलाफ़ खेल सकते हैं।"
शुभम के पास शायद वह प्रसिद्धि नहीं है, न ही उनके पास T20 के सफल खिलाड़ियों की शोहरत है लेकिन उन्हें पता है कि उनकी क्या ताक़त है। वह मैदान पर आसानी से ख़ुद को समय दे सकते हैं। वह संयम के साथ एक सही जगह पर पहुंचने की पूरी क्षमता रखते हैं। गुरुवार को जब उनकी टीमदलीप ट्रॉफ़ी सेमीफ़ाइनल वेस्ट ज़ोन का सामना करेगी, तो इन गुणों की एक बार फिर ज़रूरत होगी।