भारतीय क्रिकेट में ऐसी एक धारणा बन रही है कि रणजी ट्रॉफ़ी में बेहतर प्रदर्शन करना भारतीय टेस्ट टीम में जगह पाने की गारंटी नहीं है। दबाव झेलने की क्षमता का पैमाना IPL के प्रदर्शन को माना जाता लेकिन एक ऐसा खिलाड़ी क्या करे जिसके पास IPL का बुलावा न आए?
शम्स मुलानी से पूछिए।
2022 से लेकर अब तक रणजी ट्रॉफ़ी में किसी अन्य गेंदबाज़ ने मुलानी से अधिक विकेट नहीं लिए हैं, इस दौरान मुलानी 21.92 की औसत से 198 विकेट चटका चुके हैं। इसमें 16 बार उन्होंने पंजा निकाला है और तीन बार 10 या उससे अधिक विकेट लिए हैं। मुलानी के बाद इस दौरान सर्वाधिक 157 विकेट धर्मेंद्रसिंह जाडेजा ने लिए हैं।
इस अवधि में मुलानी ने सफ़ेद गेंद क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। 2022-23 में जब
मुंबई ने पहली बार
सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी जीता था तब मुलानी ने 10 मुक़ाबलों में 16 विकेट हासिल किए थे। लेकिन इसके बावजूद अब तक मुलानी के लिए IPL के दरवाज़े नहीं खुले हैं जिन्होंने अपने दोनों मुक़ाबले मुंबई इंडियंस के लिए खेले।
मुलानी ने ESPNcricinfo से कहा, "आप अपना 100 फ़ीसदी देने का प्रयास करते हैं लेकिन अगर आपकी मांग नहीं होती तो भी आपको मेहनत करते रहना चाहिए। IPL एक अहम मंच है लेकिन अगर वहां मौक़ा नहीं मिलता तो आप इस चीज़ को ख़ुद पर हावी होने नहीं दे सकते। जो चीज़ आपके पास नहीं होती उसके बारे में सोचना आसान है लेकिन मुझे मुंबई का क्रिकेटर होने पर गर्व है जहां आपको कुछ भी आसानी से नहीं मिलता और आप संघर्ष का आनंद लेना सीखते हैं।"
मुलानी कुछ इसी मानसिकता के साथ अगले सप्ताह शुरू हो रहे सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में खेलने उतरेंगे, जहां कई और खिलाड़ी नीलामी से पहले नज़र में आने की कोशिश करेंगे।
मुलानी को इतनी दूर तक पहुंचने की उम्मीद नहीं थी। वह कहते हैं, "उसकी ख़ुशी अलग ही होती है जब कोई ऐसी चीज़ आपको मिलती है जिसकी आपने उम्मीद नहीं की होती है। मुंबई के लिए खेलना साथ में दबाव लेकर आता है और यही दबाव मुझे बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है।"
इस पूरी यात्रा में मुलानी ने आलोचनाओं के साथ जीना भी सीख लिया है। "एक ख़राब मैच, एक ख़राब सत्र और शाम तक लोग आपके बारे में बात करने लग जाते हैं। मैंने लोगों को यह कहते सुना है, 'वो अब समाप्त हो गया है या अब उसमें दम नहीं रहा' (वैसे ही जब उन्हें सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी के नॉकआउट स्टेज में टीम से बाहर कर दिया गया था)। मैं बस ख़ुद को शांत रखने और दिनचर्या पर रहने का प्रयास करता हूं। अब चाहे पंजा निकालूं या असफल हो जाऊं, मेरे लिए चीज़ें नहीं बदलती।"
रणजी ट्रॉफ़ी 2025-26 भी मुलानी के लिए अब तक शानदार रहा है और वह अब तक इस सीज़न
तीसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। जम्मू और कश्मीर के ख़िलाफ़ मुक़ाबले में जब आक़िब नबी ने मुंबई की बल्लेबाज़ी को परेशानी में डाल दिया था तो पहले मुलानी ने दूसरी पारी में 41 रनों की पारी खेलकर मुंबई को 183 के स्कोर पर पहुंचाया और मुंबई की टीम ने जम्मू और कश्मीर को 243 का लक्ष्य दिया। इसके बाद मुलानी ने 46 रन देकर सात विकेट हासिल करते हुए मुंबई को जीत दिला दी।
दो सप्ताह बाद
हिमाचल के ख़िलाफ़ चौथे राउंड में एक बार फिर उन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से कमाल दिखाया। 73 पर चार विकेट गंवा चुकी मुंबई को उन्होंने 69 रनों की पारी खेलकर संभाला और फिर अंतिम दिन पंजा निकालकर अपनी टीम की जीत सुनिश्चित की। मुलानी कहते हैं कि वह इसी मानसिकता के साथ मैदान में उतरते हैं कि रन नहीं देना है और गेम को अपने नियंत्रण में लाना है। मुलानी के लिए सबकुछ उस वक़्त बदला जब उन्होंने 2021 के मध्य में
अमोल मजूमदार के साथ काम करना शुरू किया, इसी समय मजूमदार मुंबई के कोच बने थे।
"उन्होंने मुझे चुनौती दी। उनके अपने विचार थे और मेरे अपने विचार थे। उनका मानना था कि सिर्फ़ संयम मुझे अलग स्तर तक नहीं ले जा सकता। हमने बीच का रास्ता निकाला और इस बदलाव से मुझे काफ़ी मदद मिली।"
2021-22 के सीज़न में मुंबई फ़ाइनल में पहुंची और उस सीज़न मुलानी ने छह मैचों में 45 विकेट हासिल किए। "मेरा माइंडसेट बदल गया और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अमोल ने मेरा समर्थन किया। और अभी भी ओमकार साल्वी (मुंबई के मौजूदा मुख्य कोच) और धवल कुलकर्णी (गेंदबाज़ी कोच) मुझे लगातार बढ़िया करने के लिए प्रेरित करते हैं।"
और तकनीकी तौर पर क्या बदला?
मुलानी ने कहा, "मैं हमेशा से बाएं हाथ से राउंड द विकेट सीधे आते हुए गेंदबाज़ी किया करता था। लेकिन अधिकतर बाएं हाथ के गेंदबाज़ एक्रॉस द क्रीज़ आते हैं या एंगल बनाने के लिए साइड ऑन जाते हैं। अमोल ने मुझे वैसा ही करने के लिए कहा लेकिन मुझे शक था क्योंकि मैं काफ़ी समय से ऐसी ही गेंदबाज़ी करते आया था। लेकिन उन्होंने मुझसे चिंता छोड़ने के लिए कहा और यह कहते हुए मेरा हौसला बढ़ाया कि वह मुझे बैक करेंगे।"
वह दोनों इस राय पर एकमत हुए : स्पेल की शुरुआत नए एंगल के साथ करनी है और अगर यह काम नहीं करता है तो वापस पुराने ढर्रे पर आ जाना है।
"मैं एक महीने के बाद यह बात मान पाया। लेकिन जब इसकी आदत हो गई तो यह अच्छा लगने लगा। गेंद अब अधिक तेज़ी से हाथ से छूट रही थी और कांटा बदल रही थी। थोड़ा अधिक साइड ऑन होने से कोण बनाने में मदद मिलती है। संतुलन (न पूरी तरह से साइड ऑन और न पूरी तरह से सीधे) ने बहुत बड़ा बदलाव किया है।"
इन वर्षों में मुलानी को धारणा बदलने की लड़ाई भी लड़नी पड़ी है। शुरुआत में उनकी पहचान एक सफ़ेद गेंद गेंदबाज़ के रूप में बन गई थी। लेकिन अब लाल गेंद में उनकी सफलता ने उनकी पहचान एक लाल गेंद गेंदबाज़ के रूप में स्थापित कर दी है। युवा मुलानी भले ही इन चीज़ों से परेशान हो जाते लेकिन 28 वर्षीय मुलानी की सोच अलग है।
मुलानी ने कहा, "अगर मैं आगे की ओर देखूं तो बस मैं मुंबई की जीत दिलाने के लिए अभ्यास करता हूं। इसके बाद जो कुछ भी होगा वो इसी मेहनत का प्रतिफल होगा।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo के वरिष्ठ संवाददाता हैं।