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ऑस्‍ट्रेलिया की स्पिन चुनौती पर वॉटसन : अश्विन, जाडेजा और अक्षर को कैसे संभालें?

ऑस्‍ट्रेलिया के पूर्व ऑलराउंडर ने बताया कि मेहमानों को भारत में क्या करने की आवश्यकता है

Ravindra Jadeja and R Ashwin celebrate Lahiru Kumara's wicket, India vs Sri Lanka, 1st Test, Mohali, 3rd day, March 6, 2022

ऑस्‍ट्रेलिया के ख़‍िलाफ़ धमाल मचा सकती है अश्विन-जाडेजा की जोड़ी  •  BCCI

ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ बेंगलुरु में लगभग सप्ताह भर के प्रशिक्षण शिविर के दौरान भारत की परीक्षा के लिए तैयार रहने की कोशिश कर रहे हैं। स्पिन सतह पर आर अश्विन, रवींद्र जाडेजा और अक्षर पटेल की परीक्षा संभवत: नागपुर में उनकी प्रतीक्षा कर रही है।

यह एक ऐसी परीक्षा है, जिसका ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ऑलराउंडर शेन वॉटसन ने पहले सामना किया है। वह स्वतंत्र रूप से स्वीकार करते हैं कि उन्‍हें चुनौती दी गई थी। वह भारत के चार टेस्ट मैचों के दौरे पर गए और मोहाली में शतक बनाया। वह 2010 में अपने चरम पर सलामी बल्लेबाज़ के रूप में हरभजन सिंह और प्रज्ञान ओझा का सामना कर रहे थे।

2013 में अश्विन और जाडेजा को वह मध्‍य क्रम में खेल रहे थे, जो बिल्‍कुल अलग था। अगर वॉटसन के पास फिर से समय होता, तो वह अलग तरह से सोचते और अलग तरीके़ से खेलते।

वॉटसन ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से कहा, "एक चीज जो मैंने वास्तव में [भारत में] नहीं की, वह यह थी कि किसी और के बनने की कोशिश करने के बजाय उस समय मेरे पास जो कुछ था, उसे स्वीकार करता। मैं सोच रहा था, क्‍या मुझे आगे निकलने के लिए अपने पैरों का इस्‍तेमाल करना चाहिए और गेंद को स्पिन होने से रोकना चाहिए या क्‍या मुझे क्रीज़ के अंदर जाकर गेंद को खेलना चाहिए। तब ऐसा नहीं हो पाया, लेकिन ठीक है, यह वही है जो मुझे अभी मिला है और यह मेरे लिए प्रयास करने और सफलता पाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है।"

"मेरे लिए विशेष रूप से बैकफु़ट से क्रॉस-बैट शॉट्स का उपयोग नहीं करना था, जो कि टर्निंग परिस्थितियों के बाहर मेरी ताक़त में से एक है।"

"सीधे बल्‍ले से आप बैकफ़ुट पर जाकर ऑफ़ साइड या लेग साइड पर हिट कर सकते हो। काश मैंने इसे तब समझा होता और फिर उस वृत्ति को पहले विकसित किया होता क्योंकि इसमें बहुत कम जोखिम है। सभी अच्छे खिलाड़ी विशेष रूप से भारत से, बहुत कम ही क्रॉस-बैट शॉट का उपयोग करते हैं, विशेष रूप से पुल शॉट के लिए। वे इसे लेग साइड पर हिट करने में सक्षम होने के लिए सीधे बल्ले से मारेंगे।"

जाडेजा ऑस्ट्रेलिया के दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों पर हावी हैं

2013 सीरीज़ में दिल्‍ली में वॉटसन का जाडेजा की बायें हाथ की स्पिन से सामना हुआ था, जहां जाडेजा ने कुल सात विकेट लिए थे और उन्‍होंने आईपीएल में राजस्‍थान रॉयल्‍स और चेन्‍नई सुपर किंग्‍स में उनके साथ खेला है। वॉटसन मानते हैं कि जाडेजा की गति और निरंतरता टर्निंग पिच पर उन्‍हें बहुत ख़तरनाक बनाती है।

वॉटसन ने कहा, "जब गेंद टर्न नहीं कर रही होती है उसकी तुलना में जब गेंद टर्न ले रही होती है तो उनका सामना करना बहुत अलग-अलग है। यह ऐसा है कि आप अलग गेंदबाज़ को खेल रहे हैं क्‍योंकि वह फ़्लैटर हैं, वह तेज़ हैं और वह निरंतर एक ही जगह पर गेंद करते हैं, वह हमेशा स्‍टंप्‍स में गेंद करते हैं।"

"एक गेंद टर्न होगी और दूसरी स्किड होती हुई सीधी रहेगी। एक दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के रूप में काम करने में सक्षम होना बहुत कठिन है। एक ऐसा तरीक़ा खोजने के लिए जो न केवल जीवित रहेगा बल्कि रन भी बनाएगा।

हां ऑस्‍ट्रेलिया के पास स्‍टीवन स्मिथ और मार्नस लाबुशेन जैसे बल्‍लेबाज़ हैं जो स्पिन को अच्‍छा खेलते हैं। उनके पास कुछ बायें हाथ के बल्‍लेबाज़ भी हैं जिनके लिए जाडेजा की गेंद अंदर आएगी। अगर मेरा समय दोबारा आता तो मैं सीधे बल्‍ले से जाडेजा को खेलता।"

अक्षर ऑस्‍ट्रेलिया के लिए जान अंजान चेहरा

अक्षर अपनी गेंदबाज़ी से भारत आने वाली टीमों की नाक में दम कर देते हैं, ऐसा उन्‍होंने 2021 में इंग्‍लैंड के ख़‍िलाफ़ भी किया था। किसी भी ऑस्‍ट्रेलियाई खिलाड़ी ने उन्‍हें अब तक टेस्‍ट क्रिकेट में नहीं खेला है। वॉटसन ने आईपीएल में अक्षर का सामना किया और पाया कि वह जाडेजा से अलगह हैं, लेकिन तब भी वह उतने ही असहज थे।

वॉटसन ने कहा, "अक्षर का कोण ही है जो जिसमें उनके पकड़ पाना मुश्किल है। मैंने उन्‍हें टेस्‍ट क्रिकेट में कभी नहीं खेला लेकिन टी20 क्रिकेट में भी अपने रिलीज़ प्‍वाइंट के कारण उन्‍हें खेलना बहुत मुश्किल है। उनके पास नीचा राउंड आर्म नहीं है लेकिन वह राउंड आर्म आते हैं और क्रीज़ के बहुत दूर से गेंद करते हैं इस एंगल से गेंद अंदर की ओर आती है जिसे मैं कभी भी नहीं समझ सका। और अगर गेंद टर्न हो रही है तो एंगल के कारण लगता है कि गेंद बहुत टर्न हो रही है।"

"यह जाडेजा से अलग है क्‍योंकि जाडेजा अक्‍सर स्‍टंप्‍स के करीब से गेंद करते हैं और वह अपने रिलीज़ प्‍वाइंट से दायें हाथ के बल्‍लेबाज़ों के लिए एंगल नहीं बनाते हैं।"

"अक्षर हमेशा स्‍टंप्‍स में गेंद करते हैं और यह बहुत चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। वह थोड़े लंबे हैं और उनका रिलीज़ प्‍वाइंट ऊंचा रहता है। लेकिन आपको ऐसा नहीं लगता कि उनकी उछाल इतनी ख़तरनाक है क्योंकि वह गेंदों को स्किड करवाते हैं।"

"लड़कों को उस एंगल का आदी होना होगा और गेंद की लाइन में आने का प्रयास करना होगा। एक बार जब बल्‍लेबाज़ ऐसा कर लेंगे तो यह ठीक होगा लेकिन इस पर काम करने में समय लगेगा।"

अश्विन का कौशल हमेशा चुनौती देता है
ऑस्‍ट्रेलिया के पास शीर्ष सात में कम से कम चार बायें हाथ के बल्‍लेबाज़ हैं। वे पांच भी खिला सकते हैं अगर कैमरन ग्रीन फ़‍िट नहीं होते हैं और मैट रेनशॉ को नंबर छह पर बल्‍लेबाज़ी करने का मौक़ा मिलता है, जिन्‍होंने हाल ही में सिडनी में साउथ अफ़्रीका के ख़‍िलाफ़ टेस्‍ट क्रिकेट में वापसी की।

वॉटसन के अनुभव से अश्विन का कौशल और उनका कंट्रोल उन्‍हें ऑस्‍ट्रेलिया के दायें हाथ के बल्‍लेबाज़ों के ख़‍िलाफ़ भी ख़तरनाक बनाता है, ख़ासतौर पर अगर बाउंस हो और अधिक टर्न मिले।

वॉटसन ने कहा, "यह दायें हाथ के बल्‍लेबाज़ों के लिए थोड़ा आसान है लेकिन जब गेंद टर्न हो रही है और जब गेंद रफ़ हिस्‍से या विकेट के ताज़ा हिस्‍से पर डलकर भी उछाल के साथ हा रही हो तो वह बेहद ख़तरनाक हो जाते हैं। वह आपको शायद ही रन बनाने के लिए कमजोर गेंद करते हैं।"

"उनके पास अद्भुत कौशल है। वह कभी कभार गेंद को टर्न नहीं कराते हैं। उनके पास फ्लाइट और गति के साथ कमाल की विविधता है, वह जहां गेंद कराना चाहते हैं करा देते हैं। तो दायें हाथ के बल्‍लेबाज़ों के‍ लिए भी अगर गेंद नहीं टर्न हो रही है तो यह थोड़ी आसान चुनौती है। मैं सिर्फ़ ऑफ़ स्टंप पर बल्लेबाज़ी करता था और सीधे लेग साइड पर हिट करता था, यह जानते हुए कि जब तक कोई वास्तव में ग़लती नहीं होती है और मैं बैट एंड पैड में नहीं फंसता हूं तब तक मैं उन पर आउट नहीं हो सकता।"

"जब भी गेंद टर्न हो रही होती थी तो मैं स्‍टंप्‍स में पीछे की ओर आ जाता था। जब बल्‍ले के आसपास इतने खिलाड़ी हों तो पीछे जाकर गेंद को कवर करना इतना भी आसान नहीं होता।"

सक्रियता ही कुंजी है

वॉटसन ने स्वीकार किया कि सतह की गुणवत्ता के कारण उन्हें अपने मोहाली शतक के दौरान सक्रिय होने की आवश्यकता नहीं थी।

वॉटसन ने कहा, "वह बहुत शानदार विकेट था। गेंद अधिक टर्न नहीं हो रही थी। मैंने हरभजन सिंह को उस पारी में बहुत खेला और मैं काफ़ी संयम रख पा रहा था। यह काफ़ी धीमा शतक था। उस समय मैं स्पिन के ख़‍िलाफ़ अधिक सक्रिय नहीं हो रहा था, मैं बस ख़राब गेंद का इंतज़ार कर रहा था।"

"जब ऐसा विकेट हो तो यह आसान हो जाता है। अन्‍य समय में जब मैंने भारत का दौरा किया तो पहली पारी में भी विकेट के ताज़ा हिस्‍से से भी गेंद टर्न होती थी और इससे गेंदबाज़ के पास आपको आउट करने के अधिक मौक़े बन जाते हैं। लेकिन कोशिश करना और संयम बनाए रखकर ख़राब गेंद का इंतज़ार करना भी आसान नहीं है क्‍योंकि वे लगातार आपको आउट करने की ओर देख रहे होते हैं।"

जबकि वॉटसन ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ों के अपने तरीके़ खोजने और उस पर टिके रहने के हिमायती हैं, उनका मानना ​​है कि जिस तरह से उनकी टीम के कुछ साथी भारत के पिछले दौरों पर खेले थे, उसका खाका वहां मौजूद है।

वॉटसन ने कहा, "जिन लोगों ने इसे सबसे अच्छा किया है वे हैं जो या तो अपने पैरों पर वास्तव में तेज़ हैं और नीचे उतरते हैं और स्पिन को कवर करते हैं और या वे वास्तव में पीछे जाकर गेंद को स्पिन होने और फिर गेंद को खेलने देने में अच्छे हैं।"

"मुझे लगता है कि 2004 की सीरीज़ में डेमियन मार्टिन ने ख़ासतौर पर चेन्‍नई में बहुत अच्‍छा किया था जहां पर वह पीछे जाते और गेंद को स्पिन होने देते थे। मुझे लगता है कि मैथ्‍यू हेडन ने स्पिन के ख़‍िलाफ़ बहुत सुधार किया जहां वह या तो स्‍वीप लगाते थे या गेंद फ्लाइटेड होने पर कदम निकालते और सीधे बल्‍ले से स्‍ट्रेट खेल देते। माइकल क्‍लार्क स्पिन के कमाल के बल्‍लेबाज़ थे। जब गेंद हल्‍की फ्लाइट होती थी तो उनमें कदम निकालकर खेलने की क़ाबिलियत थी, तब गेंद फ्लाइटेड नहीं होती थी तो वह क्रीज़ के अंदर जाते और गेंद को स्पिन होने देते थे। यह वह खिलाड़ी थे जिन्‍हें तब सफलता मिली जब गेंद अधिक टर्न हो रही थी।"

उन्होंने आगे कहा, "उनके पास अच्‍छा तरीक़ा था लेकिन वह स्‍ट्राइक बदलने में सक्र‍ियता दिखाते थे, जिससे गेंदबाज़ पर भी दबाव बनता था। लेकिन टेस्‍ट मैचों में हर गेंद पर हर समय सक्रिय रहना शारीरिक रूप से लेकिन विशेष रूप से मानसिक रूप से आपसे बहुत कुछ छीन लेती है क्योंकि आपको हर समय वास्तव में तेज़ होना पड़ता है।"

ऐलेक्‍स मैल्‍कम ESPNcricinfo में एसोसिएट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।