मैच (20)
ENG-U19 vs IND-U19 (1)
ENG-W vs IND-W (1)
MAX60 (9)
ज़िम्बाब्वे T20I त्रिकोणीय सीरीज़ (1)
BAN vs PAK (1)
WI vs AUS (1)
Blast Women League 2 (4)
WCL (2)
फ़ीचर्स

मैनचेस्टर में कभी नहीं जीता है भारत, क्या इस बार बदलेगा इतिहास?

2014 के बाद से ओल्ड ट्रैफ़र्ड में पहली बार कोई टेस्ट खेलेगा भारत, यहां अब तक खेले गए भारत के टेस्ट मैचों का लेखा जोखा

Sachin Tendulkar saved India from defeat with his maiden Test century, England v India, 2nd Test, Old Trafford, August 14, 1990

सचिन तेंदुलकर का पहला टेस्ट शतक मैनचेस्टर के मैदान पर आया था  •  Getty Images

लॉर्ड्स टेस्ट में मिली रोमांचक हार के बाद भारतीय टीम अब मैनेचेस्टर में इंग्लैंड से भिड़ेगी। इस मैदान पर भारतीय टीम का टेस्ट रिकॉर्ड कुछ ख़ास नहीं रहा है और टीम को यहां नौ में से चार मुक़ाबलों में हार मिली है, जबकि पांच मैच ड्रॉ रहे हैं। आइए डालते हैं यहां के इतिहास पर एक नज़र।
भारतीय टीम ने इस मैदान पर पहला मुक़ाबला 1936 में खेला था, तब टीम के कप्तान विजयनगरम के महाराजा हुआ करते थे। यह मैच ड्रॉ रहा था, लेकिन दूसरी पारी में भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज़ों विजय मर्चेंट और मुश्ताक़ अली ने शानदार शतक लगाया था और पहले विकेट के लिए 203 रनों की साझेदारी की थी। यह वही मुश्ताक़ अली हैं, जिनके नाम पर भारत का घरेलू T20 टूर्नामेंट सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी खेला जाता है।
यह पहली बार था, जब भारत के दो बल्लेबाज़ों ने एक ही पारी में शतक लगाए हों।
1946 में खेला गया यह मैच भी ड्रॉ रहा था, लेकिन इस मैच को लाला अमरनाथ और वीनू मांकड़ के पंजे के लिए जाना जाता है। यह पहली बार था, जब भारत के किन्हीं दो गेंदबाज़ों ने एक ही पारी में पंजा हासिल कर पूरी टीम को पवेलियन भेजा हो। भारतीय टीम के इतिहास में ऐसा सिर्फ़ पांच बार और हुआ है।
टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम ने मध्यम तेज़ गेंदबाज़ अमरनाथ और बाएं हाथ के स्पिनर मांकड़ की मदद से इंग्लैंड को सिर्फ़ 294 रनों पर सिमेट दिया था। हालांकि भारतीय टीम सिर्फ़ 170 रन पर सिमट गई, जिसमें एक बार फिर मर्चेंट और मुश्ताक़ के बीच शतकीय साझेदारी शामिल थी। दूसरी पारी में दोबारा अमरनाथ ने तीन और मांकड़ ने दो विकेट लिए, लेकिन अंत में यह मैच ड्रॉ रहा।
इस टेस्ट की पहला पारी में भारतीय टीम फ़्रेड ट्रूमैन के घातक गेंदबाज़ी (8 विकेट) के सामने सिर्फ़ 58 रन पर सिमट गई थी, जो उस समय का भारत का संयुक्त रूप से न्यूनतम टेस्ट स्कोर था। 1947 में भारत, ऑस्ट्रेलिया के सामने ब्रिस्बेन में भी 58 रन पर ऑलआउट हुई थी।
ख़ैर, पहली पारी में 58 पर ऑलआउट होने के बाद दूसरी पारी में भी कुछ ख़ास नहीं कर सकी और 82 रन पर ऑलआउट हो गई, जो उस समय भारतीय टेस्ट क्रिकेट का न्यूनतम तीसरा स्कोर था। इस बार एलेक बेडसर ने इंग्लैंड की टीम की ओर से पंजा लिया और इंग्लैंड की टीम पारी और 207 रनों से यह मैच जीत गई।
इस मैच में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए इंग्लैंड ने सुरेंद्र नाथ के पंजे के बावजूद 490 का बड़ा स्कोर खड़ा किया, जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में सिर्फ़ 208 रन ही बना सकी। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में आठ विकेट के 265 के स्कोर पर अपनी पारी घोषित कर दी और भारत को 548 का बड़ा लक्ष्य दिया। भारत की तरफ़ से दूसरी पारी में पाली उमरीगर (118) और अब्बास अली बेग़ (112) ने शानदार शतक लगाया, लेकिन दोनों भारतीय टीम को 171 रनों की एक बड़ी हार से बचा नहीं सके।
पिछले लगातार दो मैचों में मिली हार के बाद मैनचेस्टर का यह मैच ड्रॉ हुआ था। इस मैच में इंग्लैंड ने पहली पारी में कप्तान रे इलिंगवर्थ की शतक की मदद से 386 का स्कोर खड़ा किया। जवाब में भारतीय टीम सिर्फ़ 212 रनों पर ही सिमट गई, जिसमें सुनील गावस्कर और एकनाथ सोल्कर का अर्धशतक शामिल था।
गावस्कर की यह सिर्फ़ दूसरी टेस्ट सीरीज़ थी और उन्होंने 57 रनों की पारी को अपने करियर का टर्निंग प्वाइंट माना था। कारण यह पिच एकदम ग्रीन टॉप विकेट थी और बादल से घिरे ठंडी हवाओं के झोकों में उन्हें जॉन प्राइस और पीटर लीवर जैसे तेज़ गेंदबाज़ों के नई गेंद का सामना करना था। लीवर ने पहली पारी में 88 रन बनाने के अलावा पांच विकेट लिए।
इंग्लैंड ने दूसरी पारी में तीन विकेट पर 245 रन पर पारी घोषित कर भारत को 420 रन का लक्ष्य दिया, लेकिन भारी बारिश होने और मैदान पर पानी भरने के कारण पांचवें दिन को रद्द घोषित कर दिया गया।
गावस्कर ने अपने पहले इंग्लैंड दौरे पर दो अर्धशतक तो लगाए थे, लेकिन अंग्रेज़ी धरती पर उनके नाम कोई शतक नहीं था। यह हुआ उनके दूसरे इंग्लैंड दौरे के पहले मैच में जब उन्होंने मैनचेस्टर में 101 रनों की पारी खेली। दूसरी पारी में भी गावस्कर ने अर्धशतक लगाया, लेकिन अन्य बल्लेबाज़ों का साथ ना मिलने से भारत यह मैच 100 से अधिक रन के अंतर से हार गया।
1983 विश्व कप से एक साल पहले भारतीय टीम गावस्कर के कप्तानी में इंग्लैंड गई हुई थी। इस टीम के अधिकतर खिलाडी वही थे, जिन्होंने बाद में विश्व कप खेला। यह मैच बारिश और ख़राब मौसम की भेंट चढ़ गया और दोनों ही टीमें सिर्फ़ एक ही पारी खेल पाईं। इस मैच को संदीप पाटिल के शतक के लिए जाना जाता है, जब उन्होंने नाबाद 129 रनों की पारी खेली और कपिल देव (65) के साथ सातवें विकेट के लिए 96 और मदद लाल (26) के साथ आठवें विकेट के लिए 97 रन जोड़े। हाल ही में दुनिया को अलविदा कह गए दिलीप दोशी ने यहां पंजा खोलते हुए छह विकेट लिए थे।
सचिन तेंदुलकर ने विश्व क्रिकेट में सर्वाधिक 51 टेस्ट शतक लगाए हैं, लेकिन उनका पहला टेस्ट शतक मैनचेस्टर में आया था। यह तेंदुलकर का नौवां टेस्ट मैच था। उन्होंने कुछ अर्धशतक लगाकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी बल्लेबाज़ी क्षमता की झलक तो दिखाई थी, लेकिन इस पारी से लगा कि यह युवा बल्लेबाज़ बड़ी पारियां भी खेल सकता है।
पहली पारी में 68 रन बनाने के बाद जब तेंदुलकर दूसरी पारी में उतरे तो भारत 408 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए अपनी आधी टीम को 128 रनों पर खो चुका था। तेंदुलकर ने इसके बाद कपिल देव (26) के साथ 57 रनों की साझेदारी की और फिर मनोज प्रभाकर (67) के साथ नाबाद 160 रन जोड़ भारत को हार से बचा लिया। यह तेंदुलकर का पहला प्लेयर ऑफ़ द मैच प्रदर्शन भी था।
यह इस सदी में इस मैदान पर भारतीय टीम का पहला और अभी तक का एकमात्र मैच है। स्टुअर्ट ब्रॉड ने पहली पारी में छह विकेट लिए और भारतीय टीम को सिर्फ़ 152 पर सिमेट दिया। भारत के छह बल्लेबाज़ ख़ाता नहीं खोल पाए और महेंद्र सिंह धोनी (71) ने टीम का सम्मान बचाया। आर अश्विन ने 40 रन बनाकर उनका बख़ूबी साथ दिया।
जवाब में इंग्लैंड की टीम ने जो रूट के 77 और जॉस बटलर के 70 रनों की मदद से 367 रन बना दिए। इस पारी के दौरान वरूण ऐरन का एक बाउंसर पुल करने के चक्कर में ब्रॉड चोटिल हुए और दूसरी पारी में गेंदबाज़ी करने नहीं आए। लेकिन इंग्लैंड का यह स्कोर भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए काफ़ी था। भारतीय टीम दूसरी पारी में भी 161 के स्कोर से आगे नहीं बढ़ पाई और पारी व 54 रनों से यह मुक़ाबला हार गई। अश्विन ने दूसरी पारी में भी संघर्ष करते हुए नाबाद 46 रनों की पारी खेली।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं.