मैच (18)
SL vs IND (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
MLC (1)
TNPL (2)
One-Day Cup (1)
Women's Hundred (2)
Men's Hundred (2)
Canada T20 (4)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
फ़ीचर्स

अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर वापसी कर रहे पृथ्वी शॉ पर रहेगी सबकी नज़र

अंतरिम कोच द्रविड़, चयनकर्ता और भारतीय टीम प्रबंधन, श्रीलंका में शॉ के प्रदर्शन पर कड़ी नजर रखेंगे

Prithvi Shaw slammed 50 off 18 balls, Delhi Capitals vs Kolkata Knight Riders, IPL 2021, Ahmedabad, April 29, 2021

पृथ्वी शॉ आईपीएल के पहले हाफ में शानदार फॉर्म में थे।  •  BCCI/IPL

पृथ्वी शॉ को वास्तव में अभी किसी भी छोटे-विवाद का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं थी। शॉ के लिए जुलाई का महीना वैसे भी काफी खास होने वाला है क्योंकि वह अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी कर रहे हैं। हां, एक सच यह भी है कि शुभमन गिल के चोट के बाद कि इंग्लैंड में भारतीय टेस्ट टीम ने थोड़ी देर से ही सही लेकिन यह मांग की थी कि उन्हें श्रीलंका से लाया जाए। यह इस बात के साफ संकेत हैं कि भारतीय टीम मेनेजमेंट पृथ्वी के करियर में आए कई उतार-चढ़ाव के बावजूद उनके टेलेंट को मौका देना चाहती है। .
कई बार पृथ्वी की तुलना सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा और वीरेंद्र सहवाग से हुई है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया में एक टेस्ट के बाद उन्हें टीम से बाहर भी रखा गया जिसके कारण उन्हें मानसिक रूप से काफी परेशानी भी हुई होगी। 21 साल की छोटी उम्र में शॉ ने कई समस्याओं का सामना किया है। हालांकि इस छोटे से करयिर में काफी सफलता भी हासिल की है। टेस्ट में प्लेयर ऑफ द सीरीज़ बनने से लेकर आईपीएल फाइनलिस्ट, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी विजेता टीम हिस्सा बनने से लेकर उनके पास अन्य कई उपलब्धिया हैं। हालांकि उनके फिटनेस और स्वभाव पर भी कई बार सवाल उठ चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि यह उनकी पसंद थी लेकिन यह बात भी है कि इंटरनेशल क्रिकेट में वापसी कर रहे शॉ कहां खेलना चाहते थे? ड्यूक बॉल के साथ, जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड के खिलाफ या फिर कमजोर श्रीलंकाई पक्ष के खिलाफ सीमित ओवरों की श्रृंखला में दमदार प्रदर्शन कर के टी 20 विश्व कप में अपने चयन का दावा पेश किया जाए।
शॉ के लिए यह फैसला किया गया है कि उन्हें तीन वनडे और तीन टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए श्रीलंका में रहना है। असाइनमेंट के लिए उन्हें अपने अंडर -19 और भारत ए कोच राहुल द्रविड़ के साथ फिर से जोड़ा गया है। भारत की ओर से बाहर किए जाने के बाद से शॉ ने सचिन तेंदुलकर के साथ बातचीत की थी ताकि अपनी गलतियों पर काम कर सकें।
शॉ जो करते हैं, वह एक मुश्किल काम है। टेस्ट क्रिकेट में पारी की शुरुआत करना इतना कठिन कभी नहीं रहा। आज के समय में गेंदबाज़ी आक्रमण मजबूत हो रहे हैं और घरेलू पक्ष अपने हिसाब से पिच तैयार कर रहे हैं। अगर किसी खिलाड़ी के तकनीक में थोड़ी भी कमी हो तो वो ऐसी पिचों पर टिक नहीं पाते हैं। घर में सनसनीखेज पदार्पण के कुछ ही समय बाद, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में यह स्पष्ट हो गया शॉ के पैर ठीक से नहीं चलते। वो खड़े-खड़े अपने शॉट्स लगाते हैं। यही वो कमजोरी है जो शॉ को लगातार परेशान कर रही है। अगर किसी पिच में गेंद अपना कांटा बदलने लगती है तो ऐसा बल्लेबाज़़ो का आउट करना आसान हो जाता है। शॉ से पहले सहवाग को भी बल्लेबाज़़ी के दौरान इसी समस्या का सामना करना पड़ता था।
भारत से बाहर छह पारियों में शॉ ने 102 रन बनाए और ऊपर फेंकी गई गेंदों ने उन्हें काफी परेशान किया। यही नहीं अंदर आती हई और बाहर जाने वाली गेंद पर भी वो दो-दो बार आउट हुए। शायद यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया में उन्हें दूसरे टेस्ट में मौका नहीं मिला। इसका मतलब यह नहीं है कि उनका करियर खत्म हो गया है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कुछ उच्च गुणवत्ता वाली गेंदबाज़ी का सामना किया है, जो हमेशा एक बल्लेबाज़ की कड़ी परीक्षा लेते हैं। जो भी हो, तेंदुलकर और द्रविड़ के साथ परामर्श करने के बाद उनके पास अपने कमजोरियों पर काम करने का बढ़िया मौका है।
हालांकि अभी मुश्किल गेंदबाज़़ी के हालात दक्षिण अफ्रीका दौरे तक उनके रास्ते में नहीं आने वाले हैं। अभी उन्हें सीमित ओवरों के क्रिकेट से निपटना है। सीमित ओवरों के क्रिकेट में, जहां बाद में बल्लेबाज़ी करने की तुलना में पारी की शुरुआत करना ज्यादा आसान काम है। शॉ उनके सामने भारतीय सलामी बल्लेबाज़ों के विपरीत हैं। अप्रैल 2018 में अपने पदार्पण के बाद से, शॉ का 150.19 का स्ट्राइक-रेट से टी- 20 क्रिकेट में किसी भी अन्य भारतीय सलामी बल्लेबाज़ से ज्यादा प्रभावित करने वाला है। हालांकि उन्होंने अन्य तीन नियमित सलामी बल्लेबाज़ों की तुलना में रन भी नहीं बनाए हैं लेकिन यह आधुनिक तर्क है कि यदि आप धीमी बल्लेबाज़ी करते हैं तो आप वास्तव में अ जितनी देर तक बल्लेबाज़ी करते हैं, उतना ही अधिक चोट पहुंचाते हैं।
लिस्ट ए क्रिकेट में, शॉ ने 62.86 की औसत और 128.65 की स्ट्राइक रेट से रन बनाया है। शॉ ने शायद ही कोई वनडे मैच खेला हो। भारत के नियमित सलामी बल्लेबाज़ों से उनकी तुलना करना अनुचित होगा क्योंकि अन्य सलामी बल्लेबाज़़ घरेलू लिस्ट ए मैच काफी कम खेलते हैं। वास्तव में शॉ के पदार्पण के बाद से केवल एक अन्य सलामी बल्लेबाज़ ईशान किशन ने भारत में लिस्ट ए के मैचों में तेज गति से रन बटोरने का काम किया है।
अगर शॉ अपने घरेली फॉर्म को इटरनेशनल क्रिकेट में जारी रख सकते तो शॉ एक गेम-चेंजर खिलाड़ी हैं, जो भारत के सीमित ओवरों के क्रिकेट को अगले स्तर तक ले जा सकते हैं। वह रेड-हॉट फॉर्म में भी रहे हैं। इस साल विजय हजारे ट्रॉफी में शॉ से ज्यादा या तेज किसी ने रन नहीं बनाए। आईपीएल के पहले हाफ में सिर्फ तीन बल्लेबाज़ों ने ही उनसे से ज्यादा रन बनाए हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि वह सभी प्रारूपों में खेलते रहें और फॉर्म को न खोएं, दिल्ली कैपिटल्स के कोच रिकी पोंटिंग के शब्दों में, उन्हें नेट्स में सिर्फ बल्लेबाज़ी और बल्लेबाज़ी और बल्लेबाज़ी करने के लिए रखिए। द्रविड़ और राष्ट्रीय चयनकर्ता इस पर नजर रखेंगे और इंग्लैंड में सीनियर टीम प्रबंधन पर भी नजर रहेगी।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।