टी20 विश्व कप पहली बार एशिया में आयोजित हो रहा था न?
हां, अफ़्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका होकर टी20 विश्व कप का कप पहली बार एशिया महाद्विप में आगमन हो रहा था। श्रीलंका में आयोजित हुए इस विश्व कप में आप सोच रहे होंगे स्पिनरों और एशियाई टीमों का बोलबाला रहा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ियों में शीर्ष दस में छह तेज़ गेंदबाज़ और सेमीफ़ाइनल में दो ग़ैर-एशियाई देश पहुंचे थे।
भारत का प्रदर्शन कैसा रहा था?
पहला टी20 विश्व कप ख़िताब जीतने के बाद भारत अगले दो संस्करणों में सेमीफ़ाइनल तक भी नहीं पहुंच पाया था और इस बार भी सेमीफ़ाइनल में पहुंचते-पहुंचते रह गया। भारतीय टीम 2012 टी20 विश्व में खेले कुल पांच मुक़ाबलों में से चार में जीत के बावजूद सेमीफ़ाइनल में क़दम नहीं रख सकी थी। यहां मामला नेट रन रेट का पर फंस गया था।
ऑस्ट्रेलिया-पाकिस्तान-भारत कोई दिलचस्प कहानी ?
हां, हुआ ये था कि सुपर 8 में अपने पहले दोनों मुक़ाबले जीतकर अपने ग्रुप में टॉप पर चल रही ऑस्ट्रेलिया का सामना पाकिस्तान से हो रहा था। कंगारू टीम को सेमीफ़ाइनल में पहुंचने के लिए 150 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 112 रन बनाने थे और ऐसा लगा जैसे वह 112 रन को ही अपना लक्ष्य मान कर चल रहे थे।
ऑस्ट्रेलिया ने पूरे 20 ओवर बल्लेबाज़ी करते हुए सिर्फ़ 117 रन बनाए और सेमीफ़ाइनल का टिकट कटाया। पाकिस्तान यह मुक़ाबला सहित दो जीत के साथ ग्रुप में दूसरे स्थान पर विराज़मान हो गया।
भारत को सुपर 8 के अंतिम मैच में
साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ सिर्फ़ जीत ही नहीं बल्कि बड़ी जीत की ज़रूरत थी, क्योंकि उसे सुपर 8 के पहले मैच में शेन वॉटसन के पराक्रम के कारण ऑस्ट्रेलिया के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी थी, जिससे अगले मैच में चिर प्रद्विंद्वी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आसान जीत के बावजूद उसका रन रेट - 0.452 का था। भारत को पहले बल्लेबाज़ी मिली और उसने 152 रन बनाए। टीम इंडिया को अपने ग्रुप में दूसरे स्थान पर मौजूद पाकिस्तान से बेहतर रन रेट करते हुए सेमीफ़ाइनल में पहुंचने के लिए साउथ अफ़्रीका को 121 के नीचे रोकना था, लेकिन फ़ाफ़ डुप्लेसी की अर्धशतकीय पारी की वजह से जैसे ही साउथ अफ़्रीकी टीम 121 रन के आंकड़े को पार की आर प्रेमदासा में मौजूद पाकिस्तानी फ़ैंस जश्न मनाने लगे थे।
वेस्टइंडीज़ के चैंपियन बनने का सफ़र कैसा रहा?
टी20 के धुरंधरों की मौजूदगी के बावजूद वेस्टइंडीज़ ने पिछले तीन संस्करणों में सिर्फ़ एक बार सेमीफ़ाइनल का सफ़र तय किया था। इस विश्व कप में टीम ने गिरते-पड़ते सेमीफ़ाइनल में क़दम रखा।
सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में टूर्नामेंट की प्रबल दावेदार मानी जा रही ऑस्ट्रेलिया को वेस्टइंडीज़ अपने तूफ़ान में ले उड़ी और ट्रॉफ़ी की ओर क़दम बढ़ाए। लेकिन
फ़ाइनल की शुरुआत बेहद ख़राब रही, पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी कैरेबियाई टीम का पावरप्ले के बाद स्कोर था 14 रन पर 2 विकेट। मार्लोन सैमुअल्स ने खूटा गाड़ते हुए 56 गेंदों में 78 रनों की करिश्माई पारी खेल अपनी टीम को 137 रन तक पहुंचाया। लड़ने लायक स्कोर देख गेंदबाज़ों ने कमान संभाली और मेज़बान श्रीलंका की चुनौति को थाम लिया। 36 रन की जीत के साथ वेस्टइंडीज़ ने पहली बार टी20 चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
कौन खिलाड़ी था जो छाया रहा?
चैंपियन वेस्टइंडीज़ बना, लेकिन इस विश्व कप के अव्वल खिलाड़ी रहे शेन वॉटसन। वह टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने के अलावा विकेट चटकाने के मामले में भी दूसरे स्थान पर रहे। टी20 विश्व कप के इतिहास में वॉट्सन पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिनकी टीम फ़ाइनल नहीं खेली और वह प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट रहे हों।