मैच (12)
IPL (2)
त्रिकोणीय वनडे सीरीज़, श्रीलंका (1)
County DIV1 (3)
County DIV2 (4)
QUAD T20 Series (MAL) (2)
फ़ीचर्स

चैंपियंस ट्रॉफ़ी के इतिहास पर एक नज़र

साउथ अफ़्रीका ने जो एकमात्र ICC ख़‍िताब जीता है वो इस टूर्नामेंट का पहला एडिशन था

The Champions Trophy on bright display at Diwan-e-Aam, Lahore, February 16, 2025

Champions Trophy के इतिहास पर एक नज़र  •  ICC via Getty Images

चैंपियंस ट्रॉफ़ी की शुरुआत 1998 में हुई थी। शुरुआत में इसे फ़ुटबॉल के कंफ़ेडरेशन कप की तरह टेस्ट ना खेलने वाले देशों में क्रिकेट के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आयोजित किया जाता था। इसलिए आप देखेंगे कि पहला दो चैंपियंस ट्रॉफ़ी क्रमशः बांग्लादेश और केन्या में हुआ था। हालांकि बाद में इसे क्रिकेट खेलने वाले शीर्ष आठ देशों के बीच सीमित कर दिया गया। आइए डालते हैं इस टूर्नामेंट के इतिहास पर एक नज़र
बांग्लादेश में हुए टूर्नामेंट का नाम विल्स इंटरनेशनल कप था और इसमें क्रिकेट खेलने वाली शीर्ष नौ टीमों ने भाग लिया था, जिसमें मेज़बान बांग्लादेश शामिल नहीं था। यह एक नॉकआउट टूर्नामेंट था, इसलिए इसका एक नाम ICC नॉकआउट भी था। इस टूर्नामेंट को साउथ अफ़्रीका ने वेस्टइंडीज़ को फ़ाइनल में चार विकेट से हराकर जीता था, जो कि साउथ अफ़्रीका का एकमात्र ICC ख़िताब है। इस टूर्नामेंट से प्राप्त धन को टेस्ट ना खेलने वाले देशों में क्रिकेट के विस्तार के लिए बांटा गया।
सचिन तेंदुलकर के शतक की मदद से ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर-फ़ाइनल में हराकर भारत सेमीफ़ाइनल में पहुंचा, लेकिन सेमीफ़ाइनल में उन्हें वेस्टइंडीज़ के हाथों छह विकेट की करारी हार मिली और भारत का सफ़र वहीं रूक गया।
2000 का ICC नॉकआउट केन्या में खेला गया और इस बार मेज़बान केन्या के साथ-साथ बांग्लादेश ने भी इस टूर्नामेंट में भाग लिया। तब तक बांग्लादेश को टेस्ट दर्जा मिल गया था, हालांकि उन्हें अपना पहला टेस्ट खेलना बाक़ी था। वहीं केन्या को मेज़बान होने की वजह से जगह मिली थी।
11 देशों के इस टूर्नामेंट में नीचे के छह देशों के बीच रैंकिंग के आधार पर पहले तीन प्री क्वार्टर-फ़ाइनल मुक़ाबले खेले गए। इसके बाद क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबलों का सिलसिला शीर्ष आठ देशों के बीच शुरू हुआ। भारत ने फिर ऑस्ट्रेलिया को हराकर सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया और इस बार वे वहां से भी आगे बढ़ने में सफल रहें। हालांकि फ़ाइनल में कप्तान सौरव गांगुली के शतक के बावजूद उन्हें न्यूज़ीलैंड ने चार विकेटों से हरा दिया।
इस टूर्नामेंट को सौरव गांगुली के लिए याद रखा जाता है और उन्होंने चार पारियों में 116 की औसत से 348 रन बनाए थे, जिसमें सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल का शतक शामिल है। इस टूर्नामेंट के जरिए युवराज सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में क़दम रखा था और ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय पारी में ही नाबाद 84 रन ठोक डाले थे।
2000 में श्रीलंका में हुए इस टूर्नामेंट को बृहद स्तर पर खेला गया था और नीदरलैंड्स, केन्या सहित कुल 12 देशों में इसमें हिस्सा लिया था। पहली बार यह टूर्नामेंट नॉकआउट ना होकर राउंड-रॉबिन के आधार पर खेला गया और चार पूल की शीर्ष चार टीमों ने सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया।
भारत फिर से सेमीफ़ाइनल में साउथ अफ़्रीका को हराकर लगातार दूसरी बार फ़ाइनल में पहुंचा, वहीं मेज़बान श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया को हराकर फ़ाइनल में था। हालांकि दोनों टीमें दुर्भाग्यशाली थीं कि लगातार दो दिन दो अलग-अलग मैच होने के बावजूद भी विजेता का फ़ैसला नहीं हो पाया और दोनों टीमों को अंत में संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया गया।
दरअसल सितंबर के महीने में कोलंबो में आयोजित इस फ़ाइनल में लगातार बारिश की बाधा आती रही और रिज़र्व डे होने के बावजूद मैच पूरा नहीं हो सका। हालांकि उस समय के नियमों के अनुसार रिज़र्व डे पर मैच पिछले दिन से ही शुरू होने की बजाय एक नया मैच शुरू हुआ। श्रीलंका की टीम ने दोनों दिन पहले बल्लेबाज़ी करते हुए पूरे 50 ओवर बल्लेबाज़ी किए, लेकिन भारतीय टीम दोनों दिन 10 ओवर भी नहीं खेल पाई।
एक साथ ट्रॉफ़ी पकड़कर फ़ोटो खिंचाते सनत जयसूर्या-सौरव गांगुली की फ़ोटो अब भी काफ़ी वायरल होती है।
इस बार फिर से इस टूर्नामेंट में 12 टीमें थीं, हालांकि नीदरलैंड्स की जगह पहली बार USA ने इस टूर्नामेंट में भाग लिया था। 2002 की तरह चार पूल में टीमों ने राउंड रॉबिन मुक़ाबला खेला और फिर सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले हुए।
भारत, पाकिस्तान और केन्या के साथ पूल C में था। उन्होंने केन्या को तो आसानी से 98 रनों से हरा दिया, लेकिन पाकिस्तान की चुनौती से नहीं निपट पाए। आख़िरी ओवर तक चले एक रोमांचक मुक़ाबले में मोहम्मद यूसुफ़ के नाबाद 81 रनों की मदद से पाकिस्तान ने भारत को तीन विकेट से मात दी और पहली बार भारत इस टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल में नहीं पहुंचा।
फ़ाइनल में मेज़बान इंग्लैंड को दो विकेट से हराकर वेस्टइंडीज़ ने पहली बार इस टूर्नामेंट को जीता।
पहली बार यह टूर्नामेंट भारत में आयोजित हुआ था और लगातार दूसरी बार ऐसा हुआ कि भारत इस टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल में नहीं पहुंचा। इस बार टेस्ट खेलने वाले 10 देशों ने इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था और ग्रुप मुक़ाबलों के अंकों के आधार पर सेमीफ़ाइनलिस्ट का फ़ैसला हुआ।
भारत ने इंग्लैंड को चार विकेट से हराकर टूर्नामेंट की अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन वेस्टइंडीज़ और ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें लगातार मैचों में हराकर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। दिन-रात्रि के इन दोनों मैच में भारत को पहले बल्लेबाज़ी का नुक़सान हुआ और बाद में बल्लेबाज़ी करने वाली विपक्षी टीमों ने ओस का पूरा फ़ायदा उठाया।
फ़ाइनल में वेस्टइंडीज़ को आठ विकेट से हराकर ऑस्ट्रेलिया ने भले ही पहली बार यह ख़िताब जीता हो, लेकिन दिल क्रिस गेल ने जीता, जिन्होंने टूर्नामेंट में तीन शतकों की मदद से कुल 474 रन बनाए। इस टूर्नामेंट को इसलिए भी याद किया जाता है क्योंकि टूर्नामेंट जीतने के बाद पोडियम पर ट्रॉफ़ी को जल्दी लेने के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम, जिसमें कप्तान रिकी पोंटिंग और डेमियन मार्टिन सबसे आगे थे, ने BCCI अध्यक्ष को धक्का दिया था। बाद में पोंटिंग और टीम को इसके लिए उनसे माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी।
पहली बार यह टूर्नामेंट दो की बजाय तीन साल पर आयोजित हुआ और इसमें अब शीर्ष आठ देश ही भाग लेने लगे। T20 विश्व कप के आने के बाद ICC अपने आयोजनों में प्रयाप्त अंतर रखना चाहती थी, इसलिए इसे 2008 की बजाय 2009 में आयोजित किया गया था।
भारत एक बार फिर नॉकआउट राउंड में नहीं पहुंच पाया क्योंकि उन्हें पहले मैच में ही पाकिस्तान से 54 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपने आख़िरी लीग मुक़ाबले में विराट कोहली की 79 रनों की पारी की मदद से भले ही वेस्टइंडीज़ को सात विकेट के बड़े अंतर से हराया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मुक़ाबला बारिश के कारण रद्द होने की वजह से वे अंकों की दौड़ में पिछड़ गए।
लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया ने इस टूर्नामेंट को जीता और उन्होंने फ़ाइनल में अपने पड़ोसी देश न्यूज़ीलैंड को हराया। पांच मैचों में 72 की औसत से 288 रन बनाकर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ बने, वहीं शेन वॉटसन ने भी दो शतकों की मदद से 265 रन बनाने के साथ-साथ छह विकेट भी लिए।
यह पहली बार था जब यह टूर्नामेंट चार साल बाद आयोजित हुआ और इसकी वजह ICC टूर्नामेंट में पर्याप्त अंतर बनाना था। इंग्लैंड में आयोजित दूसरी बार इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम पहले मैच से हावी रही और उन्होंने अपने तीनों ग्रुप मुक़ाबले क्रमशः साउथ अफ़्रीका, वेस्टइंडीज़ और पाकिस्तान को हराकर जीते।
शिखर धवन ने पहले ही मैच में शतक लगाकर टोन सेट कर दिया, जिसे वह आख़िरी मैच तक लेकर गए। पूरे टूर्नामेंट में गब्बर नाम से मशहूर इस बल्लेबाज़ ने दो शतकों की मदद से 90.75 की औसत से 363 रन बनाए और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहली बार अपनी छाप छोड़ी। बारिश से प्रभावित फ़ाइनल के 20-20 ओवरों के मुक़ाबले में भारत ने आख़िरी गेंद पर इंग्लैंड को पांच रनों से हराया और दूसरी बार इस प्रतिष्ठित ख़िताब को अपना बना लिया।
लगातार दूसरी बार यह टूर्नामेंट चार साल बाद और इंग्लैंड में आयोजित हो रहा था और फिर से इसमें एक बार शीर्ष आठ ही टीमें हिस्सा ले रही थीं। हालांकि इस बार वेस्टइंडीज़ रैंकिंग के आधार पर इस टूर्नामेंट के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर पाई थी और बांग्लादेश लगभग 11 साल बाद टूर्नामेंट का हिस्सा बन रहा था।
भारत ने पाकिस्तान को 124 रनों के बड़े अंतर से हराकर टूर्नामेंट की बेहतरीन शुरूआत की थी और वे श्रीलंका के ख़िलाफ़ एक मैच को छोड़कर सभी को जीत फ़ाइनल में पहुंचे थे। लेकिन फ़ाइनल में उन्हें पाकिस्तान ने इस बार 180 रनों से हराकर पिछली हार का बदला ले लिया। उनकी इस जीत के नायक उनके सलमी बल्लेबाज़ फ़ख़र ज़मान और तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद आमिर व हसन अली रहे। जहां ज़मान ने एक बेहतरीन शतक लगाया, वहीं आमिर और हसन ने तीन-तीन विकेट लिए।
एक शतक और दो अर्धशतकों की मदद से शिखर धवन ने फिर से टूर्नामेंट में सर्वाधिक 338 रन बनाए, लेकिन वह भी फ़ाइनल में भारत के अन्य बल्लेबाज़ों की तरह असफल रहे। यह ICC टूर्नामेंट में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की दुर्लभ हार थी, लेकिन फ़ाइनल की इस हार को भुलाना उनके लिए सबसे कठिन रहा होगा।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95