मैच (11)
ईरानी कप (1)
WC Warm-up (3)
एशियाई खेल (पुरुष) (4)
Shield (3)
फ़ीचर्स

हम भारत के ख़िलाफ़ निडर होकर खेलना चाहते हैं : डेव हाउटन

ज़िम्बाब्वे के कोच ने कहा कि उनकी टीम भारत के इस दौरे को लेकर उत्साहित है

"मैंने खिलाड़ियों से कहा है कि वे निडर होकर क्रिकेट खेलें'  •  AFP/Getty Images

"मैंने खिलाड़ियों से कहा है कि वे निडर होकर क्रिकेट खेलें'  •  AFP/Getty Images

कुछ महीने पहले तक ज़िम्बाब्वे क्रिकेट की हालत ठीक नहीं थी। जून, 2022 में उन्हें अफ़ग़ानिस्तान के हाथों अपने ही घर में टी20 और वनडे दोनों सीरीज़ में क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा। उन्होंने पूर्व कप्तान डेव हाउटन को मुख्य कोच नियुक्त किया। इसके बाद से टीम ने ज़बरदस्त वापसी की है। उन्होंने टी20 विश्व कप क्वालीफ़ायर में अपराजेय रहकर ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप में जगह बनाई और फिर बांग्लादेश के ख़िलाफ़ भी टी20 और वनडे सीरीज़ जीती।
हाउटन ने ज़िम्बाब्वे क्रिकेट के इस पतन और उत्थान की कहानी के बारे में ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बात की और भविष्य की तैयारियों के बारे में भी जानकारी साझा की। आपने टीम में आते ही परिणाम दिया है, आप क्या सोचते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?
मैं स्थानीय फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट में कोच रह चुका हूं तो मैं इन खिलाड़ियों को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। मुझे पता है कि उनमें बहुत प्रतिभा और कौशल है। हालांकि जब वह ज़िम्बाब्वे के लिए खेलते हैं तो अपना शत प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। मैंने बस उनसे कहा कि वे निडर होकर क्रिकेट खेलें। मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वे ग़लतियां करेंगे तो उन पर कोई दोषारोपण नहीं होगा। ग़लतियां करना भी सीखने का एक तरीक़ा होता है। मैंने उन्हें बस यही मंत्र दिया और मुझे लगता है कि यही मंत्र अभी तक का टर्निंग प्वाइंट साबित हो रहा है। अब हम ख़ासकर टी20 में आक्रामक क्रिकेट खेल रहे हैं। खिलाड़ियों में असफल होने का डर था, इसलिए वे अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे।
"मुझे लगता है यह टीम हारने की आदी हो गई थी। जिस तरह से मैच जीतना एक आदत होती है, उसी तरह हारना भी। एक कोच के तौर पर इस आदत को बदलना भी बहुत मुश्किल होता है।"
लालचंद राजपूत (पूर्व कोच) के जाने के बाद आपने क्या बदलाव किया है और आपको क्या लगता है कि उनके समय में क्या ग़लतियां हो रही थीं?
मैं किसी पुराने कोच की आलोचना नहीं करना चाहता लेकिन मुझे लगता है कि यह टीम हारने की आदी हो गई थी। जिस तरह से जीतना आदत होती है, उसी तरह से हारना भी। एक कोच के तौर पर इस आदत को बदलना भी बहुत मुश्किल होता है। बोर्ड ने इस बात को समझा और मुझे मौक़ा दिया।
आपके कई प्रमुख खिलाड़ी अब उम्रदराज़ हो रहे हैं। क्या आपको लगता है कि आप उनका रिप्लेसमेंट ढूंढ़ पाएंगे?
देश में फ़्रैंचाइज़ी क्रिकेट है और पांच फ़्रैंचाइज़ी टीमों के 20-20 खिलाड़ियों को ही ले लिया जाए तो लगभग 100 क्रिकेटरों का पूल हमारे पास है। तो हमारे पास खिलाड़ियों की कमी नहीं है। हां, हमारे पास मैच-जिताऊ खिलाड़ियों की कमी है। अगर हम अपने अतीत को देखें तो हमारे पास ऐंडी फ़्लावर, हीथ स्ट्रीक, ग्रांट फ़्लावर जैसे मैच-जिताऊ नाम हुआ करते थे और वे अकेले दम पर मैच जिताने की क्षमता रखते थे। अभी हमारे पास ऐसे मैच-जिताऊ खिलाड़ी नहीं हैं। हां, हमारे पास अच्छे खिलाड़ी हैं और मुझे उम्मीद है कि कुछ युवा अगले चार-पांच सालों में मैच-जिताऊ खिलाड़ी बनकर उभरेंगे।
क्या ज़िम्बाब्वे के खिलाड़ियों का विदेश जाकर क्रिकेट खेलना भी एक समस्या है?
हां, यह निराशाजनक है, लेकिन यह नया नहीं है। यह 1980 के दशक से हो रहा है। इसमें ब्रायन डेविस, ग्रीम हिक और केविन करन जैसे बड़े नाम हैं। यह लंबे समय से चलता आ रहा है और आप इसे रोक नहीं सकते।
"अगर हम अपने अतीत को देखें तो हमारे पास ऐंडी फ़्लावर, हीथ स्ट्रीक, ग्रांट फ़्लावर जैसे मैच-जिताऊ नाम हुआ करते थे और वे अकेले दम पर मैच जिताने की क्षमता रखते थे। अभी हमारे पास ऐसे मैच-जिताऊ खिलाड़ी नहीं हैं। हां, हमारे पास अच्छे खिलाड़ी हैं और मुझे उम्मीद है कि कुछ युवा अगले चार-पांच सालों में मैच-जिताऊ खिलाड़ी बनकर उभरेंगे।"
जब आप 1999 विश्व कप के दौरान ज़िम्बाब्वे के कोच थे तो आपकी टीम पांचवें स्थान पर रही थी, जो कि किसी भी वैश्विक टूर्नामेंट में ज़िम्बाब्वे का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। क्या इस बार भी आपकी टीम ऐसा ही कुछ चमत्कार दिखा सकती है?
अभी ऐसा कहना मुश्किल है क्योंकि उस समय हालात ही अलग थे। वेतन और भुगतान को लेकर विवाद चल रहा था और खिलाड़ियों ने एक महीने से अभ्यास नहीं किया था। लेकिन हमने वहां भारत और साउथ अफ़्रीका को हराया, जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं था। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमने निडर होकर क्रिकेट खेला था। मैं अभी भी खिलाड़ियों को वैसा ही क्रिकेट खेलने की सलाह दे रहा हूं।
ज़िम्बाब्वे क्रिकेट के फ़ैंस को आप क्या कहना चाहेंगे?
मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे स्टेडियम आए और हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करें। विश्व कप क्वालीफ़ायर फ़ाइनल के दौरान वहां 10 से 11 हज़ार दर्शक उपस्थित थे और वे हमारे लिए गाने गा रहे थे, चिल्ला रहे थे, चीयर कर रहे थे। वह अद्भुत माहौल था। मैं दर्शकों से कहना चाहूंगा कि वे ऐसा करना जारी रखें। इससे खिलाड़ियों को अच्छा करने का प्रोत्साहन मिलता है।
काफ़ी लंबे समय बाद भारत, ज़िम्बाब्वे आ रहा है। आप कितने उत्साहित हैं?
बहुत ज़्यादा। शहर में अभी से इस दौरे की चर्चा है, लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं। यह मुझे उस दौर की याद दिलाता है जब मैं पहली बार विश्व कप में खेला था और डेनिस लिली और जेफ़ थॉमसन जैसे गेंदबाज़ों का सामना किया था। उसके पहले मैंने और मेरे साथी खिलाड़ियों ने उन्हें बस टीवी पर देखा था। यह भारतीय टीम भी हमारे खिलाड़ियों के लिए कुछ वैसी ही है, जो आईपीएल सहित दुनिया भर में अपने बेहतरीन क्रिकेट खेलने के कारण मशहूर है। मैं अपने खिलाड़ियों से कहना चाहूंगा कि उनका सम्मान करें लेकिन ये भी ना भूलें कि वे आपके प्रतिद्वंदी हैं। मुझे इस सीरीज़ के शुरू होने का इंतज़ार है।

दनयाल रसूल ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं