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अनुशासन, परिपक्वता और कोण का कमाल - कैसे मोहम्मद सिराज बने गेंदबाज़ी क्रम के नायक

चौथे तेज़ गेंदबाज़ के रूप में सिराज अपने टेस्ट करियर के पहले ही साल में एक अहम कड़ी बन चुके हैं

Mohammed Siraj struck twice in two balls in the final session, England vs India, 2nd Test, Lord's, London, 5th day, August 16, 2021

सिराज ने अपने आप को काफी कम समय में एक बेहतरीन गेंदबाज़ के रूप में साबित किया है।  •  Getty Images

मैदान के बाहर से मैच देखना हमेशा अलग होता है। हाल ही में रिटायर हुए खिलाड़ी कॉमेंट्री बॉक्स में पहुंचते हैं तो उन्हें इस बात पर आश्चर्य होता है कि जब पुछल्ले बल्लेबाज़ों के साथ एक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज़ बैटिंग कर रहा है तो विपक्षी कप्तान क्यों अपना सारा ध्यान पुछल्ले बल्लेबाज़ को आउट करने में लगा देता है। अक्सर मैच काफ़ी नज़दीकी हो तो कोई भी कप्तान 20-30 अतिरिक्त रन भी नहीं देना चाहेगा। भले ही कोई स्थापित बल्लेबाज़ बार-बार पांचवीं या छठी गेंद पर सिंगल ले लेता है तब भी विपक्षी कप्तान उन रनों को ज़ाया नहीं करना चाहेगा।
लॉर्ड्स में जब इंग्लैंड की टीम पहली पारी में बल्लेबाज़ी कर रही थी तब एक दिलचस्प घटना हुई। इंग्लैंड अपने आठ विकेट गंवा चुका था और रूट 160 रन बना कर खेल रहे थे। दूसरी नई गेंद तब तक लगभग 40 ओवर पुरानी हो चुकी थी और रूट लगातार वुड और एंडरसन को आउट होने से बचाना चाह रहे थे। टेस्ट में भारतीय टीम के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय था। दिन ख़त्म होने को था और सीरीज़ में अब तक की सबसे बढ़िया बल्लेबाज़ी हो रही थी। इंग्लैंड की टीम भारत के स्कोर के काफ़ी क़रीब थी। रूट सीमित ओवरों के बेहतरीन बल्लेबाज़ भी हैं। स्ट्राइक में उनका सफल हेरफेर संभवत: भारत को टेस्ट से बाहर कर सकता था।
मोहम्मद सिराज ने लगातार तीन ओवरों में रूट को एक छोर पर बांध कर रख दिया। जिसमें सिर्फ एक चौका शामिल था, इसके अलावा कोई सिंगल नहीं, कोई बाउंसर नहीं, कोई यॉर्कर नहीं। सिराज लाइन और लेंथ से रूट को झकझोरने में क़ामयाब रहे। लाइन और लेंथ इतनी अच्छी थी कि अगर रूट स्ट्राइक में हेरफेर करना चाहते तो यह अनुचित जोखिम होता। दूसरे छोर पर अन्य गेंदबाज़ों को टेलेंडर्स के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करने का मौका मिलता रहा। मार्क वुड रन आउट हुए और जसप्रीत बुमराह को एंडरसन को एक पूरा ओवर करने का मौक़ा मिला।
कोई भी गेंदबाज़ अगर ऐसा करना चाहे तो उसके लिए उसे एक ख़ास पिच की ज़रूरत पड़ सकती है जो गेंदबाज़ों को मदद कर रही हो और यह पिच बिल्कुल भी वैसा नहीं था। इसके लिए अगर आप किसी भी विशेषज्ञ बल्लेबाज़ को एक छोर पर रोक कर रखना चाह रहे हैं तो उसके लिए कौशल की ज़रूरत होती है। सिराज ने लगातार सात ओवरों तक ग़ज़ब की गेंदबाज़ी की। एक छोटे से करियर में सिराज ने अपने आप को एक बेहतरीन गेंदबाज़ के रूप में सिद्ध किया है। उदाहरण को तौर पर इसी मैच के शुरुआती और अंतिम क्षणों में उन्होंने 2 गेंदों में दो विकेट लिया था। यह धीरज और परिपक्वता का एक कारनामा था, जो तेज़ गेंदबाज़ी के स्वर्णिम युग में उन्हें अलग बनाता है। यह वह तीव्रता थी, जो इंग्लैंड के पास नहीं थी, ख़ास कर तब जब उनके पास पांचवें दिन सुबह भारतीय निचले क्रम को धराशायी करने का मौक़ा था।
इस तरह की गेंदबाज़ी का एक हिस्सा भारत के गेंदबाज़ी आक्रमण में बेहतर गहराई से आता है, लेकिन इसका श्रेय खुद गेंदबाज़ को भी जाता है। सिराज अपने निपबैकर (अंदर आने वाली गेंद) करने में कामयाब रहे जो ऑफ़ स्टंप के काफ़ी क़रीब समाप्त हो रहे थे। उनकी गेंद ड्राइव करने के लिए पर्याप्त नहीं थे और ना ही वो गेंदें इतनी शॉर्ट थी कि उस पर पंच या पुल लगाया जाए। बिल्कुल सही लाइन और लंबाई से की गई ये गेंदें किसी भी बल्लेबाज़ को मुश्किल में डालने के लिए काफ़ी थे। टेस्ट मैचों में गेंदबाज़ी ठीक इसी तरीक़े से की जानी चाहिए। आप एक लंबी अवधि के लिए जोखिम मुक्त रनों को बटोरने से बल्लेबाज़ को रोक देते हैं और बाक़ी का काम आप अपनी गेंदबाज़ी के कौशल पर छोड़ देते हैं। सिराज ने अपने टेस्ट करियर का पहला शिकार मार्नस लाबुशेन को बनाया था। उन्होंने लाबुशेन को लेग स्लिप पर आउट कराया था। हो सकता है कि उनके पहले विकेट में टीम प्लान का एक बड़ा रोल था लेकिन उनका दूसरा विकेट उनके कौशल पर पूर्ण रूप से आधारित था जब उन्होंने कैमरन ग्रीन को कई बाहर की तरफ़ जाने वाली गेंद डाले और फिर एक इनस्विंग गेंद से पगबाधा आउट कर दिया था। भारत में भी रूट को उन्होंने कुछ उसी तरीक़े से आउट किया था।
लॉर्ड्स में जॉस बटलर के साथ सिराज ने इसका ठीक उल्टा किया। उन्होंने नए स्पैल के लिए वापस आने से पहले दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को लगातार अंदर आने वाली गेंदें फेंकी जो बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए बाहर जा रही थी। उन्होंने अपना एक पूरा स्पेल इसी तरह से गेंदबाज़ी करते हुए बिता दिया। इसके बाद बटलर बल्लेबाज़ी कर रहे थे। वह गेंदों को अच्छी तरह से छोड़ रहे थे लेकिन निपबैकर का ऐसा डर था कि वह बाहर जाने वाली गेंद पर भी खेलने के लिए मजबूर हो गए।
बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के लिए उनकी निपबैकर ज़्यादा खतरनाक है, यही वजह है कि सिराज का उनके ख़िलाफ़ सिर्फ़ 16.7 का औसत है। अभी शुरुआती दिन हैं और उन्होंने सिर्फ़ 10 बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को आउट किया है, लेकिन उनकी इस तरह की गेंद से जो खतरनाक कोण बनाती है, उसके बारे में उनके डेब्यू से पहले ही बात की जा चुकी है। मिडिल स्टंप पर और पैर के आसपास वह लगातार गेंदबाज़ी करते रहते हैं। ऐसे में अगर आप कोई भी गेंद सीधी फेंकते हैं तो लेग साइड में आपके ख़िलाफ़ रन बटोरे जा सकते हैं और अगर गेंद की लाइन ज़्यादा बाहर हो तो बल्लेबाज़ गेंद को छोड़ देता है। सिराज उस सटीक चैनल पर गेंदबाजी करते हैं जहां बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को उनके ख़िलाफ़ खेलते रहना होता है। मोईन अली के साथ भी ठीक उसी तरीके से आउट हुए।
यहां एक बात तो साफ़ है कि सिराज जसप्रीत बुमराह नहीं हैं, फिर भी उन्हें जो मूवमेंट मिलता है वह क्लासिक नहीं है। यह क्लासिक स्विंग-बॉलिंग एक्शन से नहीं आता है। यह सभी उन्हें उनके कोण और त्वरित हाथ की गति से प्राप्त होता है। वह स्क्रैम्बल सीम गेंदबाज़ी करते हैं। इसलिए मूवमेंट प्राप्त करना आसान नहीं है क्योंकि यह देर से आता है और अप्रत्याशित भी है। सिराज तो अब ऑफ़कटर का भी सहारा लेने लगे हैं। बेशक़ सिराज को एक विश्व स्तरीय गेंदबाज़ी इकाई के द्वारा बनाए गए दबाव का फायदा मिलता है, यह एक ऐसा लाभ है जो उनसे पहले कई भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों को नहीं मिलता था। जब से उन्होंने पदार्पण किया है, उन्होंने भारत के किसी भी तेज़ गेंदबाज़ की तुलना में 30 से 80 ओवर पुरानी गेंद से बेहतर औसत के साथ विकेट लिए हैं और अधिक ओवर फेंके हैं। इतनी पुरानी गेंद से केवल हसन अली ने उनसे अधिक विकेट लिए हैं।
2018 में इंग्लैंड का दौरा करने वाले भारतीय टीम और अब के टीम में सबसे बड़ा अंतर यह है कि सिराज पूरी तरह से चौथे तेज गेंदबाज़ के रूप में फ़िट बैठ रहे हैं। वह भारत के गेंदबाज़ी यूनिट में इस हद तक गहराई जोड़ते है कि टीम प्रबंधन कम बल्लेबाज़ों को टीम में शामिल करने से भी परहेज़ नहीं करती है। यहां तक कि अश्विन जैसे महान गेंदबाज़ को भी टीम से बाहर बैठना पड़ता है।
सिराज अपने विकेट की ख़ुशी में 'हेटर्स' मतलब उन्हें नापसंद करने वालों का ज़िक्र करते हैं मगर ऐसे लोग हैं कहां? क्योंकि जैसा कि हम देख रहे हैं कि भारत के गेंदबाज़ी कोच भरत अरूण से लेकर कप्तान कोहली इंटरनेशल लेवल पर लगातार उनकी बड़ाई कर रहे हैं। सभी लोग उनका भरपूर सपोर्ट कर रहे हैं और यह बिना किसी कारण के नहीं हो सकता है।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।