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गांगुली और जय शाह 2025 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं

बुधवार को एक सुनवाई में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमा कोहली ने सुनाए कुछ महत्वपूर्ण फ़ैसले

[L to R] BCCi secretary Jay Shah and president Sourav Ganguly

2019 में बीसीसीआई प्रशासन ने बोर्ड के संविधान में कई महत्वपूर्ण संशोधनों की मांग करते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था  •  BCCI

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2018 के फ़ैसले को संशोधित करने और बीसीसीआई संविधान में कूलिंग-ऑफ़ अवधि के मानदंड में ढील देने का इरादा व्यक्त किया है। इससे बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह के नेतृत्व में पदाधिकारियों के मौजूदा समूह को 2025 तक कार्यालय में रहने की अनुमति मिलेगी।
बुधवार को एक सुनवाई में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और हेमा कोहली (दो न्यायाधीशों की पीठ) ने कहा कि वे एक पदाधिकारी को एक ही स्थान पर दो कार्यकाल के लिए पद धारण करने की अनुमति देकर कूलिंग-ऑफ़ अवधि पर मौजूदा नियम पर "विचार" करेंगे। उम्मीद है कि अदालत जल्द ही अपना अंतिम फै़सला प्रकाशित करेगी।
2018 में बीसीसीआई ने एक नया संविधान अपनाया था, जिसे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ द्वारा अदालत के फै़सले के बाद अंतिम रूप दिया गया था। इसके बाद कोई भी पदाधिकारी जिसने राज्य संघ या बीसीसीआई में लगातार दो कार्यकाल (छह साल) के लिए कोई पद धारण किया हो, उसे तीन साल की कूलिंग-ऑफ़ अवधि पूरी किए बिना, कोई और चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है। कूलिंग-ऑफ़ अवधि के दौरान वह व्यक्ति बीसीसीआई या राज्य दोनों स्तरों पर किसी भी क्षमता में सेवा नहीं कर सकता है।
2019 में बीसीसीआई प्रशासन ने बोर्ड के संविधान में कई महत्वपूर्ण संशोधनों की मांग करते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया, जिसे अगर अदालत ने मंजूरी दे दी तो आरएम लोढ़ा समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर 2016 में अदालत द्वारा पारित व्यापक सुधारों को वापस ले लिया जाएगा। बीसीसीआई द्वारा मांगे गए बदलावों में शामिल हैं: बोर्ड के पदाधिकारियों की कूलिंग-ऑफ़ अवधि को कम करना, अयोग्यता मानदंडों को संशोधित करना, बीसीसीआई सचिव को अभूतपूर्व अधिकार देना, और अगर बोर्ड संविधान में बदलाव करना चाहता है तो अदालत को कुछ भी कहने से रोकना।
अपनी 2019 की याचिका में बीसीसीआई ने कहा कि मौजूदा कूलिंग-ऑफ़ अवधि एक "प्रतिबंध" थी, जो "प्रतिभाशाली और अनुभवी हाथों के चयन के लिए एक बड़ा झटका" साबित हो रही थी। बीसीसीआई ने कहा कि कूलिंग-ऑफ़ अवधि तभी लागू की जानी चाहिए जब व्यक्ति एक ही स्थान पर (बीसीसीआई या राज्य संघ) छह साल पूरा कर चुका हो।
यह खंड इसके दो सबसे वरिष्ठ पदाधिकारियों पर लागू होगा: अध्यक्ष और सचिव। शेष तीन पदाधिकारियों (कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष) के लिए बीसीसीआई ने कहा कि उन तीनों को तीन साल का ब्रेक लेने के बजाय नौ साल (तीन कार्यकाल) का अधिकतम कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसा ना हो कि तीन सालों के लगातार दो कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ़ पीरियड पर जाना पड़े।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सुनवाई में कहा, "मौजूदा स्थिति शब्द संयोजन का उपयोग कर रही है। अगर आपने राज्य में एक कार्यकाल और बीसीसीआई में एक कार्यकाल किया हो तो आप बाहर हैं, लेकिन हम जो प्रस्ताव ला रहे हैं वह यह है कि यदि आपने राज्य स्तर पर छह साल काम किया है तो आप तीन साल की कूलिंग-ऑफ़ अवधि (राज्य में) के अधीन हैं। यदि आपने समान स्तर पर छह साल नहीं किए हैं तो आप हैं कूलिंग-ऑफ़ अवधि के अधीन नहीं हैं।"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि एक और "प्रारूप" पर अदालत "संभवतः विचार" कर सकती है, "एक व्यक्ति राज्य में या बीसीसीआई में लगातार दो बार सदस्य हो सकता है। लेकिन अगर आपने प्रत्येक में दोनों में सही कहीं भी लगातार तीन साल के दो कार्यकाल पूरे किए हैं तो वह दो अलग-अलग प्रस्ताव हैं। हमारा पहला प्रस्ताव राज्य में तीन साल, बीसीसीआई में छह साल या राज्य में छह और बीसीसीआई में तीन वर्षों के कार्यकाल के बाद कूलिंग-ऑफ़ अवधि लागू होगी।
"दूसरा, हम एक और अधिक उदार प्रस्ताव दे रहे हैं: आप राज्य में छह साल का कार्यकाल पूरा कर सकते हैं। इसके बाद आप फिर बीसीसीआई में तुरंत छह साल का कार्यकाल भी पूरा कर सकते हैं क्योंकि वे दो अलग-अलग स्तर हैं। लेकिन दो अलग-अलग स्तरों पर लगातार दो कार्यकाल पूरा करने के बाद तीन साल का ब्रेक लेना होगा।"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि एक बार जब व्यक्ति एक स्थान पर छह साल का कार्यकाल समाप्त कर लेता है। वह तीन साल तक उसमें नहीं लौट सकता। और अगर वह व्यक्ति दोनों जगहों पर लगातार 12 साल पूरे कर चुका है। वह तीन साल की अवधि के लिए उस पद पर नहीं लौट सकता।
यदि अदालत अपने फै़सले में इसे पारित करती है तो यह बीसीसीआई के मौजूदा पदाधिकारियों को और तीन साल का कार्यकाल जारी रखने की अनुमति देगा। अक्तूबर 2019 में भारत के पूर्व कप्तान गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष और शाह, जो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं, को सचिव के रूप में चुना गया था। बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष, और मौजूदा भारतीय खेल और युवा कार्यक्रम मंत्री, अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल को बीसीसीआई कोषाध्यक्ष चुना गया, जबकि जयेश जॉर्ज ने संयुक्त सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo के न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।