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टेस्ट क्रिकेट का बोरिंग ना होना बहुत ज़रूरी है : चैपल

बल्ले और गेंद के बीच की प्रतिस्पर्धा ही इस प्रारूप के बोरियत को खत्म कर सकती है

Pakistan reviewed but there was no bat on Usman Khawaja's reverse sweep, Pakistan vs Australia, 2nd Test, Karachi, March 13, 2022

रावलपिंडी की पिच को पूर्व कप्तान स्टीवन स्मिथ ने "निर्जीव और पाटा" बताया था  •  AFP/Getty Images

टेस्ट क्रिकेट एक गंभीर रूप से चुनौतीपूर्ण प्रारूप है और इस खेल को समृद्ध बनाने के लिए इसे गंभीर परामर्श की आवश्यकता है।
पांच दिनों के टेस्ट के लिए पहली पारी में विशाल स्कोर, पाटा विकेट या फिर हद से ज़्यादा एक तरफ़ा मैच आदर्श नहीं हैं। पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले टेस्ट के लिए रावलपिंडी की पिच को पूर्व कप्तान स्टीवन स्मिथ ने "निर्जीव और पाटा" बताया था।
टेस्ट क्रिकेट केवल एक सांख्यिकीय अभ्यास नहीं है और अधिकांश खेलों में बल्ले और गेंद के बीच एक अच्छी प्रतियोगिता होनी चाहिए। ऐसे में क्रिकेट जगत के प्रशासकों का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि इस खेल के कानून/नियम इस प्रतियोगिता के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करें।
लंबे खेलों में प्रतिभागियों को पहली गेंद से जीत हासिल करने की ललक की आवश्यकता होती है। अगर एक टीम को अंततः पता चलता है कि वह जीत हासिल नहीं कर सकती तो उसको ड्रॉ के लिए खेल को आगे बढ़ाना स्वीकार्य है। पिछले कुछ वर्षों में ड्रॉ हुए कुछ रोमांचक टेस्टों के परिणामस्वरूप अंतिम कुछ ओवरों में घमासान और रोमांचकारी संघर्ष हुआ है।
मैं ऐसा नहीं हूं जो यह मानता है कि घरेलू टीम को ऐसी पिचें बनानी चाहिए जो वांछित परिणाम हासिल करने में मदद करें। सबसे अच्छी पिचें बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के ग्राउंड्समैन द्वारा तैयार की जाती हैं और फिर यह टीमों पर निर्भर करता है कि वे एक अच्छी प्रतियोगिता प्रदान करें। पिच का स्तर कोई भी हो, किसी भी टीम के टॉस जीतने की गारंटी नहीं होती है।
टेस्ट टीमों को अच्छी तरह से संतुलित पक्षों का चयन करने का प्रयास करना चाहिए, और आदर्श रूप से इसमें अच्छी स्विंग और कलाई की स्पिन गेंदबाज़ी को ज़रूर शामिल करना चाहिए। दोनों आवश्यकताएं टेस्ट क्रिकेट का एक सुखद हिस्सा हैं।
इयन चैपल
किसी भी मैच में जीत प्राप्त करने के मौके के अलावा, यह बहुत ही ज़रूरी है कि सभी योग्य टीमों को एक स्वीकार्य मानक बनाए रखना चाहिए। साथ ही उन टीमों का बुनियादी ढांचा भी बढ़िया स्तर का होना चाहिए। भविष्य के दौरे के कार्यक्रम में संतुलन और प्रतिस्पर्धा को प्रतिबिंबित करना होगा, और उम्मीद है कि इससे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप प्रतियोगिता और भी अधिक सार्थक होगी।
भारत के मामले में, टीम सभी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी है, और जहां उनकी पिचें अच्छे स्पिनरों को प्रोत्साहित करती हैं, वहीं वे परिणाम भी प्रदान करती हैं। अच्छी स्पिन गेंदबाज़ी करना कोई विदेशी कला नहीं होनी चाहिए। यदि कई टीमें स्पिन गेंदबाज़ी को बेहतर तरीके से खेलतीं, तो वे भारत में अधिक प्रतिस्पर्धी होतीं और वे पिचें इस तरह के सिरदर्द साबित नहीं होतीं।
यह देखना भी परेशान करने वाला है कि कैसे कई देशों में स्पिन गेंदबाज़ी का मानक काफ़ी नीचे आ गया है।
बहुत सी टीमों की सोच अच्छे स्पिन गेंदबाज़ पैदा करने से हटकर रिवर्स स्विंग की सख्त तलाश में स्थानांतरित हो गई है। इसके परिणामस्वरूप कुछ मध्यम तेंज़ गेंदबाज़ को टेस्ट में इस आधार पर चुना गया कि वे मैच में पुरानी गेंद को स्विंग करा सकते हैं।
टेस्ट टीमों को अच्छी तरह से संतुलित पक्षों का चयन करने का प्रयास करना चाहिए, और आदर्श रूप से इसमें अच्छी स्विंग और कलाई की स्पिन गेंदबाज़ी को ज़रूर शामिल करना चाहिए। दोनों आवश्यकताएं टेस्ट क्रिकेट का एक सुखद हिस्सा हैं।
इस संतुलन को हासिल करने के लिए स्पिन गेंदबाज़ी पर एक मज़बूत और दूरदर्शी कोचिंग की आवश्यकता होगी। इसमें कोचिंग टीम को समझना होगा कि कैसे बढ़िया स्पिन गेंदबाज़ों का प्रयोग किया जाए और कैसे बढ़िया स्पिन गेंदबाज़ों को बनाया जाए।
यदि मजबूत कप्तानों के पास बढ़िया सतह है, तो एक रोमांचक प्रतियोगिता हो सकती है। यह दुनिया भर के प्रशासकों का लक्ष्य होना चाहिए, और अगर वे इस प्रारूप के भविष्य के बारे में गंभीर हैं, तो टेस्ट क्रिकेट को प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है।
एक टेस्ट मैच तब ही संतोषजनक है, जब यह प्रतिस्पर्धी है। 21वीं सदी के खिलाड़ी क्रिकेट के इस प्रारूप में भाग लेने और इसके रोमांच का आनंद लेने के अवसर के पात्र है। हालांकि इस प्रारूप में बोरियत की अवधि को कम करने के लिए विचार करने की आवश्यकता है।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान इयन चैपल एक स्तंभकार हैं। अनुवाद Espncricinfo हिंदी के सब ए़़डिटर राजन राज ने किया है।