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श्रीलंका के लिए क्या है भारत के ख़िलाफ़ जीतने का मंत्र?

श्रीलंकाई टीम टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी ही करना चाहेगी

क्या मंगलवार को श्रीलंकाई टीम भारत को हरा सकती है? इतिहास कहता है कि ऐसा करना आसान नहीं होगा। 2018 से श्रीलंका ने भारत के ख़िलाफ़ सात टी20 मुक़ाबले गंवाए हैं, जबकि सिर्फ़ तीन में उन्हें जीत मिली है। इसमें भी दो जीत श्रीलंका को उस समय मिली थी, जब भारत अपनी दूसरे दर्जे की टीम लेकर कोलंबो गया था। लेकिन हाल ही में श्रीलंका ने कुछ आश्चर्यजनक प्रदर्शन दिए हैं, तो आज भी उनसे उलटफेर की उम्मीद की जा सकती है।
बल्लेबाज़ी क्रम
श्रीलंकाई बल्लेबाज़ी क्रम में कोई स्टार बल्लेबाज़ नहीं है, लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी में गहराई है। पिछले दो मैचों में कुसल मेंडिस ने 60 गेंदों में 96 रन बनाए हैं। उनको सलामी बल्लेबाज़ के रूप में भेजना श्रीलंका के लिए काम आया है क्योंकि उन्होंने अपने करियर के 779 टी20 रनों में से 545 टी20 रन सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर ही बनाए हैं। ओपनर के तौर पर उनका टी20 स्ट्राइक रेट भी 125 से बढ़कर 142 हो जाता है। वह सिर्फ़ इस एशिया कप में ही नहीं बल्कि घरेलू टी20 सर्किट में भी श्रीलंका के सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं।
मेंडिस के अलावा पथुम निसंका, दनुष्का गुनातिलका, भानुका राजापक्षा और दसून शानका ने भी बल्ले के साथ उपयोगी योगदान दिया है। कप्तान शानका के नाम 2022 में 142 के स्ट्राइक रेट से 363 टी20 रन है। अगर वह फ़ॉर्म में हों तो वह टीम के सबसे विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ हैं।
स्पिन आक्रमण
इसे कहने में कोई हर्ज नहीं है कि वनिंदु हसरंगा श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। हालांकि उन्हें एशिया कप में अब तक सिर्फ़ तीन विकेट ही मिला है लेकिन वह 7.45 की इकॉनमी के साथ बहुत सस्ते साबित हुए हैं।
वहीं महीश थीक्षणा तो पावरप्ले में गेंदबाज़ी करने आते हैं और उन्होंने एशिया कप में सिर्फ़ 7.25 की इकॉनमी से रन दिए हैं। इन दोनों ने इतनी अच्छी गेंदबाज़ी की है कि कप्तान शानका को दूसरे पार्टटाइम स्पिन विकल्पों चरिथ असलंका और गुनातिलका को गेंदबाज़ी कराने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी है। हां, उनकी तेज़ गेंदबाज़ी ज़रूर थोड़ी सी अनुभवहीन है लेकिन स्पिन आक्रमण उसे संतुलित कर देता है।
लक्ष्य का पीछा
सितंबर 2021 से श्रीलंका ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए सिर्फ़ दो मैच जीते हैं जबकि 11 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। वहीं इसी दौरान उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए सात मैच जीते हैं जबकि चार में हार मिली है। यह दिखाता है कि श्रीलंकाई टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए कुछ अलग ही हो जाती है।
इसी एशिया कप को ही ले लिजिए। अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ पहले बल्लेबाज़ी करते हुए वे सिर्फ़ 105 पर ऑलआउट हो गए लेकिन इसके बाद उन्होंने अगले दो मैचों में 184 और 176 रन का पीछा किया। इसलिए उनके कप्तान शानका टॉस जीतकर गेंदबाज़ी करने का ही फ़ैसला ले सकते हैं फिर चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।

ऐंड्रयू फ़िडेल फ़र्नांडो ESPNcricinfo के श्रीलंका संवाददाता हैं @afidelf