जिन गेंदों का उन्होंने चयन किया था और जिस तरह के शॉट्स लगाए थे, वह उनके कौशल को दर्शा रहा था। तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ रन बनाने के लिए उनके पास दो अहम हथियार हैं : दायां पैर गेंद की लाइन से हटाते हुए निशाना लॉन्ग ऑन और स्कॉयर लेग क्षेत्र में; और बिल्कुल उसी स्टांस से वाइड यॉर्कर्स को प्वाइंट और थर्डमैन के क्षेत्र से खेलना। दो छक्के जो उन्होंने लगाए थे वह पहले वाले क्षेत्र में गए थे, और दो चौके बाद वाले क्षेत्र में पहुंचे। आप उन्हें कवर के ऊपर या लॉन्ग ऑफ़ के ऊपर से खेलते हुए कम ही देखते हैं, या फिर शॉर्ट फ़ाइन लेग के ऊपर से स्कूप भी वह कभी-कभार ही करते हैं।
क़रीब एक हफ़्ते बाद,
राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ खेलते हुए 20वें ओवर में उन्होंने
मुस्तफ़िज़ुर रहमान के गेंद डालने से पहले ही मन बना लिया था एक पैर पर बैठकर ऑन साइड के ख़ाली क्षेत्र पर प्रहार करने का, और ऐसा उन्होंने दो गेंदों पर किया। ज़ाहिर है जाडेजा ने मुस्तफ़िज़ुर के लिए जब फ़ील्ड सजाई गई होगी तभी समझ गए होंगे कि उनका प्लान किया है, लेकिन जिस तरह से उन्होंने वह दो शॉट्स खेले वह बताता है कि उन्हें अपनी क्षमता पर कितना भरोसा है।
उस ओवर से पहले तक
हर्षल पटेल के लिए सीज़न शानदार जा रहा था - और उस मैच में भी वह बेहतरीन लय में थे। मुक़ाबला ऐसी धीमी पिच पर हो रहा था, जहां गेंद को पिच से ग्रिप मिल रही थी, यानी एक ऐसी पिच जो हर्षल के कौशल के हिसाब से बेहतरीन हो। जैसा कि अक्सर होता है डेथ ओवर्स में दबाव में गेंदबाज़ बिखर भी जाते हैं, लेकिन जहां तक हर्षल का सवाल है तो वह इन हालातों में बेहद कारगर साबित होते हैं। ख़ास तौर से गेंदबाज़ तब और भी ग़लतियां करता है या साधारण गेंद डालता है जब उसके सामने आंद्रे रसल या कायरन पोलार्ड जैसा बल्लेबाज़ हो, और फिर दर्शक ये देखकर अपना सिर खुजलाते हैं कि उनके ख़िलाफ़ कोई प्लान क्यों नहीं बनाया गया। ऐसा इसलिए भी होता है कि कई बार अच्छी गेंद भी छक्के के लिए स्टैंड्स में चली जाती है, और इसी क्रम में कई बार गेंदबाज़ ढीली गेंद भी कर बैठता है।
सीमित ओवर में बल्लेबाज़ी करने के लिए आपको कौशल, आत्मविश्वास और हावी होने का एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन चाहिए होता है। जाडेजा जिस तरह से पिछले कुछ सालों से बल्लेबाज़ी कर रहे हैं, उन्हें देखते हुए लगता है कि उनके पास अब ये तीनों कला मौजूद है।
उनके पास बल्लेबाज़ी की प्रतिभा तो शुरू से ही थी, लेकिन शॉट खेलने के कौशल को निरंतरता के साथ रन बनाने में तब्दील करना निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के लिए कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के लिए, रन बनाना कई बार मैच की परिस्तिथियों पर भी निर्भर करता है। जाडेजा को भी अपनी भूमिका को समझने और उसमें ढलने में थोड़ा समय ज़रूर लगा।
कौशल आपको बस दिशा दिखा सकती है, लेकिन टी20 मैच काफ़ी तेज़ी से आगे बढ़ते हैं, और अंतिम ओवर्स में अगर आपके पास कुछ ख़ास शॉट्स खेलने का कौशल है, तब भी आपको ख़ुद पर उस शॉट के लिए सही गेंद का चयन करने का भरोसा होना चाहिए। इस बीच हर एक वैसी गेंद जिसपर बाउंड्री न लग रही हो, तो बल्लेबाज़ फिर कुछ वैसा करने को मजबूर हो जाता है जो उसकी ताक़त नहीं है। आप सही अवसर की प्रतीक्षा तभी करेंगे जब आपके मन में यह अटूट विश्वास हो कि आप उस अवसर का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। जाडेजा का बल्लेबाज़ी के प्रति दृष्टिकोण इसी विश्वास को दर्शाता है।
ऐसा कहा जाता है कि जब आप पारी शुरू कर रहे होते हैं तो पहली दो गेंदों को देखना होता है, ताकि आपकी नज़रें जम जाएं, फिर चाहे हालात कितने भी विकट क्यों न हों - संभावना है कि आप उन दो गेंदों पर बस सिंगल ही ले पाएं, लेकिन अगर आप वहां रह गए तो फिर इन दो गेंदों का बदला भी ले सकते हैं। अंतिम ओवर्स में बल्लेबाज़ी करने के लिए ज़रूरी है कि आप दो या कम से कम एक गेंद तो ज़रूर देखें और ये तभी मुमकिन भी है जब आपको ख़ुद पर बहुत ज़्यादा भरोसा हो। अब हम देखते हैं कि जाडेजा ऐसा नियमित तौर पर करते हैं, वह नज़रें जमाने से पहले आराम से सिंगल पर ही भरोसा करते हैं और फिर ख़ुद को बड़े शॉट्स के लिए तैयार करते हैं।
सीमित ओवर क्रिकेट में फ़िनिशर के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है सामने वाले पर हावी होना, और ये तभी मुमकिन है जब आप बल्लेबाज़ के तौर पर ये लगातार करते हों। अगर आपने ऐसा कई बार कर दिया, तो फिर गेंदबाज़ टीम मीटिंग में आपको लेकर ज़्यादा सोचने लगेगा और आपके वीडियो फ़ुटेज को लगातार देखेगा कि आप कहां और कैसे बड़े शॉट्स लगाते हैं, और ज़ाहिर ये देखकर आपको आउट करने की योजना भी बनाएगा। लेकिन बहुत कम ही लोग ये समझ पाते हैं कि इस तरह से कई बार इसका उलटा असर गेंदबाज़ों की मानसिकता पर पड़ता है, और यहीं से डर पनपने लगता है। अब यहीं पर ज़रूरत होती है कि वह बल्लेबाज़ जिसके लिए गेंदबाज़ ने कई योजनाएं बनाईं हों और वह गेंदबाज़ के ख़िलाफ़ एक अच्छा शॉट लगा दे, फिर सारा दबाव गेंदबाज़ के ऊपर आ जाता है। और जाडेजा अब उसी प्रतिष्ठा को तेज़ी से बढ़ा रहे हैं।