मैच (18)
SL vs IND (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
MLC (1)
TNPL (2)
One-Day Cup (1)
Women's Hundred (2)
Men's Hundred (2)
Canada T20 (4)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
ख़बरें

गावस्कर जैसे खिलाड़ियों के प्रेरणास्त्रोत परांजपे का 82 साल की उम्र में निधन

मुंबई के दिग्गज खिलाड़ी ने वेंगसरकर, मांजरेकर और रोहित की उनके करियर में मदद की

Vasoo Paranjape coaches a young boy

गावस्कर ने उन्हें क्रिकेट का सच्चा सेवक बताया था

भारतीय क्रिकेट के गुमनाम नायकों में से एक वासुदेव परांजपे का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को मुंबई में उनके आवास पर निधन हो गया। वासु के नाम से लोकप्रिय परांजपे तीन महीने बाद 83 साल के हो जाते। वह अपने पीछे बेटे जतिन को छोड़ गए हैं, जो मुंबई के एक पूर्व बल्लेबाज़ हैं, जिन्होंने चार वनडे मैच भी खेले और हाल ही में अपने पिता के बारे में क्रिकेट द्रोण नामक एक पुस्तक का सह-लेखन किया।
परांजपे का खेल करियर छोटा था। मुंबई और बड़ौदा के लिए 29 प्रथम श्रेणी मैच, लेकिन वह सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, संजय मांजरेकर और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के प्रेरणास्त्रोत रहे। परांजपे की वजह से ही इन खिलाड़ियों को क्रिकेट के सभी प्रारूपों में प्रभावशाली ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद मिली। परांजपे ऐसे थे कि इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज एड स्मिथ जैसे कुछ विदेशी खिलाड़ी भी उनके पास सलाह लेने आए थे।
उच्चतम स्तर पर नहीं पहुंचने के बावजूद परांजपे की बल्लेबाज़ी तकनीक और मदद करके खिलाड़ियों को उनकी क्षमता पहचानने में मज़बूत पकड़ थी। परांजपे ने दादर यूनियन में उनके कप्तान माधव मंत्री जैसे महान लोगों को देखकर यह कौशल विकसित किया और जब वह भी उसी रैंक तक पहुंच गए तो वह क्लब के सर्वोसर्वा बन गए। दादर यूनियन लगातार ख़िताब जीतने लगा। उनकी कप्तानी में क्लब ने कांगा लीग ए डिवीजन, तालीम शील्ड, पुरुषोत्तम शील्ड और कॉमरेड शील्ड को जीत लिया। वे ट्रॉफियां दिखाती हैं कि परांजपे किस तरह के नेतृत्वकर्ता थे। केवल कहानियां ही आदमी की सच्ची समझ देती हैं। यहां 1970 के दशक में दादर यूनियन के कप्तान के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान परांजपे को शामिल किया गया था। ऐसा समय जब बॉम्बे क्लब एक स्वर्ण युग का अनुभव कर रहा था।
इसकी शुरुआत परांजपे ने एक स्टार-स्टड बॉम्बे यूनिवर्सिटी की तरफ से एक तेजी से खींचकर की। उस मैच का हिस्सा रहे अवधूत जरापकर को यह अच्छी तरह याद है। "हम ग्रांट मेडिकल कॉलेज में खेल रहे थे और विकेट नरम था, इसलिए हमारे कप्तान ने दादर यूनियन को शामिल करने का फैसला किया," उन्होंने 2012 में मिड-डे के खेल संपादक क्लेटन मुर्ज़ेलो को बताया। "हमारे पास दिलीप वेंगसरकर, संदीप पाटिल, सुरू थे। नायक और विजय मोहन राज। उनकी टीम में सुनील गावस्कर, रामनाथ पारकर और विट्ठल पाटिल शामिल थे। हमने सोचा था कि हमने उन्हें 5 के लिए 92 पर मैदान में उतारा था, लेकिन वासु ने घोषित किया। हम चौंक गए। मुझे याद है कि संदीप ने पूछा था कि क्या वासु ने सोचा था कि हम एक पोपटवादी [अवर थे] ] टीम। हम जल्द ही पता लगाने वाले थे। उर्मिकंत मोदी और विट्ठल पाटिल ने हमें 55 रन पर आउट करने के लिए पांच-पांच विकेट लिए।"
इसकी शुरुआत परांजपे ने सितारों से सजीं बॉम्बे यूनिर्वसिटी की टीम के खिलाफ की। अवधूत ज़रपकर को उस मैच का हिस्सा थे, उन्होंने 2012 में मिड-डे के स्पोर्ट्स एडिटर क्लेटन मुर्जेलो को बताया था कि हम ग्रांट मेडिकल कॉलेज पर खेल रहे थे और विकेट में काफ़ी नमी थी, तो हमारे कप्तान ने दादर यूनियन को पहले बल्लेबाज़ी करने का न्यौता दिया। हमारी टीम में दिलीप वेंगसरकर, संदीप पाटिल, सुरु नायक और विजय मोहन राज थे। उनकी टीम में सुनील गावस्कर, रामनाथ पारकर और विथल पाटिल थे। उनका स्कोर पांच विकेट पर 92 रन था और हमें लगा कि हम ज़ल्द ही उन्हें आउट कर देंगे, लेकिन वासु ने तभी पारी घोषित करके हम सभी को अचंभित कर दिया। मुझे याद है तब संदीप ने पूछा था कि क्या हम एक घटिया टीम हैं! ज़ल्द ही ज़वाब हमारे सामने था। उर्मीकांत मोदी और विथल पाटिल ने पांच-पांच विकेट लेकर हमें 55 रनों पर ढेर कर दिया।
परांजपे का पारी घोषित करने का कारण साफ था। उन्हें मैच जीतना था। उन्हें लगा कि हमारी टीम में सुनील गावस्कर जैसा बल्लेबाज है, अगर उसे इस पिच पर खेलने में परेशानी हो रही है तो विरोधी टीम को भी दिक्कत होगी, चाहे वह कितनी भी अच्छी टीम क्यों ना हो।
पिछले साल क्रिकेट द्रोण के प्रमोशन के दौरान गावस्कर ने कहा था कि परांजपे खेल के सच्चे रक्षक थे। हम दादर यूनियन में खेलने वाले खिलाड़ी उनका जितना धन्यवाद कहें वह कम होगा। उनकी सलाह, उनका साहस और सबसे ज़्यादा ज़रूरी वह क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ रक्षक हैं। हमने उनसे सीखा कि हमें खेल के प्रति हमेशा सच्चा रहना चाहिए।
गावस्कर ने परांजपे को खेल का सच्चा सेवक कहकर सारांशित किया क्योंकि उन्होंने क्रिकेट को क्रिकेट से ज्यादा बदले में दिया। इस तथ्य का प्रमाण रोहित शर्मा का शुरुआती करियर है, जैसा कि वह खुद याद करते हैं। मुझे उनसे सीखने को मिला कि विभिन्न परिस्थितियों में बल्लेबाजी कैसे की जाती है। उन्होंने हमेशा हमसे कहा कि कोई भी दो स्थितियां समान नहीं होती हैं। कोशिश करें और पढ़ें खेल कि आप कहां हैं, आप अपनी टीम के लिए क्या कर सकते हैं और आपकी टीम की स्थिति क्या है। इसे जितनी जल्दी हो सके सीखें क्योंकि अब सीखने का समय है, न कि जब आप बॉम्बे या भारत के लिए खेल रहे हों।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है। @nikss26