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गिल : कभी-कभी सीरीज़ का स्कोरबोर्ड प्रदर्शन का परिचायक नहीं होता

गिल ने कहा कि एक युवा टीम के साथ सीरीज़ बराबर करना एक बड़ी उपलब्धि होगी

एक ऐसा कप्तान जिसने इस सीरीज़ से पहले सिर्फ़ पांच प्रथम श्रेणी मुक़ाबलों में कप्तानी की थी। विदेशी सरज़मीं पर उसकी बल्लेबाज़ी और औसत चर्चा का विषय थी। उसकी टीम का प्रमुख गेंदबाज़ पांच में से सिर्फ़ तीन टेस्ट मैचों के लिए उपलब्ध था, दो बड़े स्तंभों ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था। एक ऐसा बल्लेबाज़ी लाइन अप था जिसमें के एल राहुल को छोड़कर किसी अन्य बल्लेबाज़ को विदेशी सरज़मीं पर खेलने का अधिक अनुभव नहीं था। भारत जून में कुछ ऐसे ही हालातों में इंग्लैंड पहुंचा था।
दो महीने बाद, शुभमन गिल की भारत एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी का अंतिम मैच सीरीज़ को बराबर करने के लिए खेलने जा रही है। ज़ाहिर सी बात है, गिल को अपनी टीम के प्रदर्शन पर गर्व होगा।
गिल से जब पूछा गया कि अगर उनकी टीम सीरीज़ बराबर कर भारत लौटेगी तब उन्हें कैसा महसूस होगा? होगा? तब गिल ने कहा, "यह बहुत मायने रखता है।"
गिल ने बताया कि उन्होंने और उनकी टीम ने सम्मान और प्रशंसा पाने के लिए कितनी मेहनत की है, साथ ही उन्हें काम के दौरान हुई गलतियों से भी सीखना पड़ा। गिल ने कहा, "अगर आप देखें कि हमने किस तरह का क्रिकेट खेला है, तो कभी-कभी सीरीज़ का स्कोरकार्ड, जैसे कि हम सीरीज़ में कहां हैं, यह तय नहीं करता। हमने जितने भी मैच खेले हैं, उनमें चार दिन के क्रिकेट के बाद यह तय करना बहुत मुश्किल था कि कौन सी टीम जीतेगी। अगर हम भारत के बाहर से आने वाले अपेक्षाकृत युवा टीम के साथ हर चार मैच में ऐसा कर पाते हैं, तो यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी अगर हम सीरीज़ बराबर कर पाते हैं।"
बेशक गिल ने मैदान पर कई ऐसे फ़ैसले लिए हैं जिन पर सवाल खड़े किए जा सकते हैं लेकिन उन्होंने अपनी ग़लतियों से सीखा भी है और सुधार भी किया है। "यह सीरीज़ मेरे लिए बहुत कुछ सीखने का मौक़ा रही है। कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जो आप केवल अनुभव से ही सीख सकते हैं, और मैंने इन चार मैचों से बहुत कुछ सीखा है और उम्मीद है कि हम जीत के साथ अंत करेंगे।"
ओल्ड ट्रैफ़र्ड में तीसरे दिन सुबह एक सवाल करने योग्य फ़ैसला तब आया जब गिल ने अपने ऑफ़ स्पिनर वाशिंगटन सुंदर को गेंद देने में देरी की, जिन्होंने लॉर्ड्स में शानदार ड्रिफ़्ट हासिल की थी और इंग्लैंड की पहली पारी में चार विकेट लिए थे। सूखी पिच वाशिंगटन के लिए अनुकूल थी, लेकिन गिल ने उन्हें लंच के बाद ही मैदान पर उतारा और इस ऑफ़ स्पिनर ने ऑली पोप और हैरी ब्रूक के विकेट जल्दी-जल्दी चटका दिए। बुधवार को ओल्ड ट्रैफ़र्ड में गिल ने अपने फ़ैसले की वजह बताई।
उन्होंने कहा, "जब आप छह गेंदबाज़ों के साथ खेल रहे हों तो यह बहुत मुश्किल होता है; ऐसे में एक या दो गेंदबाज़ों से कम गेंदबाज़ी करवाना निश्चित है। पिछले मैच में भी, लोगों को लगा था कि वाशिंगटन को पहले आना चाहिए था, जो एक सही बात है, लेकिन कभी-कभी जब आप मैदान में होते हैं, तो आप इस गेंद (ड्यूक्स) का ध्यान रखना भी ज़रूरी होता है। जब पारी की शुरुआत में दो स्पिनर गेंदबाज़ी कर रहे होते हैं, तो गेंद को मेंटेन रखना बहुत मुश्किल होता है और तेज़ गेंदबाज़ लगभग 8-10 ओवरों के लिए खेल से बाहर हो जाता है।
"तो पीछे मुड़कर देखें तो हमेशा राय और विचार होते हैं कि आप यह कर सकते थे, वैसा कर सकते थे। लेकिन जब आप मैदान में होते हैं, तो आप ऐसा निर्णय लेना चाहते हैं जो आपको लगता है कि उस समय के लिए सबसे उपयुक्त होगा। और जब आप छह गेंदबाज़ों के साथ खेल रहे होते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ राय होती है कि एक गेंदबाज़ कम गेंदबाज़ी करेगा, लेकिन गेंदबाज़ी के ज़्यादा विकल्प होना, गेंदबाज़ी के विकल्प न होने से बेहतर है।"
ओवल टेस्ट में भी, भारत छह गेंदबाज़ों के साथ उतरेगा, जिसमें जसप्रीत बुमराह की जगह आकाश दीप और शार्दुल ठाकुर अपनी गेंदबाज़ी ऑलराउंडर भूमिका बरक़रार रखेंगे। रवींद्र जाडेजा और वाशिंगटन सुंदर, साथ ही चोटिल ऋषभ पंत की जगह लेने वाले ध्रुव जुरेल, मध्य क्रम में शामिल होंगे। हालांकि मीडिया ब्रीफ़िंग के लिए आने से पहले गिल ने पिच नहीं देखी थी, लेकिन उन्होंने, शायद थिंक-टैंक से मिली जानकारी के आधार पर, इसे "अच्छा" बताया।
उनके कहने का मतलब था कि पिच हरी है और अगले पांच दिनों तक बादल छाए रहने का अनुमान है, जिससे तेज़ गेंदबाज़ की भूमिका बढ़ सकती है। तो क्या टीम में शामिल एकमात्र बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ अर्शदीप सिंह अपना डेब्यू करेंगे या लीड्स में हार के बाद टीम से बाहर किए गए प्रसिद्ध कृष्णा तीसरे तेज़ गेंदबाज़ की भूमिका में वापसी करेंगे? हालांकि, गिल ने अपनी योजना का खुलासा नहीं किया।