सूर्यकुमार यादव जब बल्लेबाज़ी करते हैं तो लगता है कि कोई वीडियो गेम खेल रहा हो। ऐसा हमें ही नहीं लगता, ख़ुद उनके साथ कई बार इस तूफ़ान के साक्षी रह चुके विराट कोहली ने भी माना है। आख़िर एक साल के अंदर ही कैसे सूर्यकुमार टी20 अंतर्राष्ट्रीय में एक सनसनी बनकर उभर गए हैं?
सूर्यकुमार अंडर-19 के दिनों से ही लेग साइड पर बहुत मज़बूत खिलाड़ी रहे हैं। वह बेहद आसानी से लैप शॉट और स्पिनरों पर स्वीप करते आए हैं। आईपीएल में भी जब तक वह कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ रहे तो उन्हें इन्हीं शॉट्स के लिए जाना जाता था।
मुंबई के जिमखाना क्लब के कप्तान विनायक माने के साथ उन्होंने काफ़ी समय बिताया है। वह उनके अच्छे-बुरे सभी पलों के साक्षी रहे हैं। उन्होंने सूर्यकुमार को फ़र्श से अर्श तक पहुंचते देखा है।
विनायक ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के साथ बातचीत में कहा, "सूर्या के खेल में वाक़ई बहुत सुधार हुआ है। वह विकेट के पीछे हमेशा से अच्छे शॉट लगाया करते थे। अंडर-19 दिनों से, जब वह स्कॉलरशिप से भारत पेट्रोलियम में जुड़े थे, तब से देखा है कि वह पीछे की ओर लैप शॉट और स्पिनरों पर स्वीप करते थे। तब धीरे-धीरे लोगों ने उनके गेम को समझ लिया था और गेंदबाज़ उनको फंसा लिया करते थे। वह जान गए थे कि पीछे मारता है तो ऐसा क्षेत्ररक्षण लगाते थे कि वह आउट हो जाते थे। सूर्या का सामने का गेम अच्छा नहीं था, वह उसमें हमेशा से परेशानी महसूस करते थे।"
सूर्यकुमार के लिए समस्याएं यहीं ख़त्म नहीं हुई। 2014 में सूर्यकुमार को मुंबई टीम का कप्तान बनाया गया था लेकिन समय ऐसा बदला कि टीम प्रबंधन समेत सभी उनके ख़िलाफ़ हो गए, उनके चरित्र और स्वभाव पर सवाल खड़े होने लगे थे। यही वह समय था जब सूर्यकुमार जिमखाना क्लब से जुड़े और उनकी मुलाक़ात विनायक से हुई।
विनायक ने कहा, "मैंने उनके अंदर का बदलाव बहुत क़रीब से देखा है। 2014 के समय यह मामला हुआ था, वह समय उनके लिए बहुत मुश्किल था। कैरेक्टर (आचरण) के तौर पर उन पर सवाल उठ रहे थे। हमारे म्यूचल कॉन्टेक्ट के बाद हमने उनको जिमखाना बुलाया। हमने भी सपोर्ट किया। प्रबंधन का सपोर्ट मिला, एक अच्छी जगह खेलने के लिए मिली। उनको शांत रखा कि चीज़ें अब सही हो रही हैं। उन्होंने खु़द में लगातार सुधार किया और परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाना सीखा।"
सूर्यकुमार लेग साइड के तो हमेशा से अच्छे बल्लेबाज़ थे लेकिन उनके 360 डिग्री खिलाड़ी बनने के पीछे उनकी अभ्यास में कड़ी मेहनत है जो विनायक ने नज़दीक से देखी है। यही वजह है कि इस साल सूर्यकुमार ने टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 30 पारियों में
सबसे ज़्यादा 1151 रन, 47.95 की औसत और 188.37 के स्ट्राइक रेट से बना डाले हैं, जिसमें दो शतक भी शामिल हैं।
विनायक कहते हैं, "विश्व कप से पहले तो वह व्यस्त थे, टीम इंडिया के साथ रहे। हालांकि पहले वह हमेशा जिमखाना आते थे और उनके साइड आर्म स्पेशलिस्ट उनके साथ रहते थे। वहां अच्छे, हार्ड विकेट होते हैं। सूर्यकुमार बाउंसी विकेट चाहते थे और उनके लिए कई गेंदबाज़ उपलब्ध कराए गए। गेंदबाज़ और सूर्या के बीच काफ़ी बातचीत होती थी। ऐसी परिस्थिति बनाते थे कि पावरप्ले, मिडिल ओवर और डेथ ओवर, उसी हिसाब से बल्लेबाज़ी करते थे। इस तरह के कई सेशन करते थे।"
पहले सूर्यकुमार का विकेट के सामने का खेल बहुत ख़राब था लेकिन विनायक का मानना है कि जब से वह लॉन्ग ऑफ़ और एक्स्ट्रा कवर की दिशा में शॉट लगाने लगे हैं, उनका लैप शॉट और भी ज़्यादा प्रभावी हो गया है।
उन्होंने इस बारे में कहा, "लॉन्ग ऑफ़ को आगे रखते हैं और फ़ाइन लेग पीछे होता है तो वह लॉन्ग ऑफ़ पर हिट करते हैं और जब फ़ाइन लेग अंदर होता है तो वह बेहद आसानी से लैप शॉट लगा देते हैं, इससे गेंदबाज़ बहुत दुविधा में रहने लगे हैं। मिड विकेट की दिशा में हिट करना बल्लेबाज़ को आसानी से आता है। अभ्यास में भी उनका एक इरादा रहता है कि मैं लॉन्ग ऑफ़, एक्स्ट्रा कवर की दिशा में ज़्यादा शॉट लगा सकूं। वह उस पर काम करते रहे।"
किसी भी खिलाड़ी के लिए लगातार गैप ढूंढना आसान नहीं होता है। सूर्यकुमार ऐसा कर पा रहे हैं और इससे फ़ायदा यह होता है कि मिसहिट होने पर भी वह आउट नहीं होते हैं, बल्कि दो से तीन रन चुरा लेते हैं। इसमें उनका सुधार अभ्यास में लगातार गेंदबाज़ से बातचीत करके उनके दिमाग़ को पढ़ने से हुआ है।
विनायक ने कहा, "जब भी सूर्या मैदान पर आते हैं तो दो से तीन घंटे खेलते हैं। वह लगातार गेंदबाज़ से बातचीत करते हैं, क्या फ़ील्ड लगाएगा, सर्कल के बाहर पांच कहां रखेगा। सर्कल में कौन से आपके फ़ील्डर हैं, अंदर कौन से हैं। तैयारी में उनको हमेशा पता होता था कि यह जगह खाली है, तो वह फ़ोकस अभ्यास पर ज़्यादा ध्यान देते थे।"
उन्होंने आगे कहा, "सूर्यकुमार ने तैयारी बहुत अच्छी की है। विराट कोहली पीछे बहुत ही कम करते हैं, रोहित [शर्मा] कभी कभी करते हैं। बल्लेबाज़ के तौर पर यह हर बार बहुत मुश्किल होता है कि आप गेंद की लाइन में बार-बार अपना शरीर लाते हो। गेंद के लगने का भी डर रहता है। हमें उसके हौसले की तारीफ़ करनी चाहिए।"
लोग ज़रूर उनके फ़ाइन लेग और डीप स्क्वेयर लेग पर लगाए गए स्कूप या स्वीप की तारीफ़ करते हों, लेकिन हक़ीक़त यह है कि कीपर के सिर के ऊपर से लगाया गया उनका लैप शॉट कई बार तो ऐसा लगता है कि कहीं यह बल्ले के बाहरी या ऊपरी किनारे पर तो नहीं लगा है। वह इस शॉट को बहुत ही निपुणता के साथ खेलते हैं।
विनायक कहते हैं, "वह हमेशा से ऐसे शॉट अच्छे खेलते थे, अब उसमें और सुधार हुआ है, वह अब तेज़ गेंदबाज़ पर स्वीप भी कर रहे हैं। गेंदबाज़ वाइड लाइन पर डाल रहा है तो स्वीप कर देते हैं। कीपर के ऊपर से मारना मुश्किल है और वह अंत तक गेंद को देखते हैं। वह इस शॉट में निपुण रबड़ बॉल क्रिकेट खेलने की वजह से हुए हैं।"
वाक़ई सूर्या के पिटारे से निकले हर शॉट अभी तक लुभावने हुए हैं। अब यही देखना होगा कि आने वाले दिनों में जैसे गेंदबाज़ और टीमें उनको विफल करने की नई योजनाएं बनाती हैं, तो सूर्यकुमार के बल्ले से कैसे हैरतंगेज़ नए शॉट देखने को मिलेंगे।
निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26