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रणजी ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में होगा 'पूर्ण डीआरएस' का प्रयोग

अब तक नॉकआउट मैचों में बॉल-ट्रैकिंग और अल्ट्रा-एज जैसी सुविधाएं नहीं होती थी

Prerak Mankad belts out an appeal, Karnataka vs Saurashtra, Ranji Trophy 2022-23 semi-final, Bengaluru, February 8, 2023

अपील करते सौराष्ट्र के गेंदबाज़ प्रेरक मांकड़  •  PTI

बंगाल और सौराष्ट्र के बीच कोलकाता में होने जा रहे रणजी ट्रॉफ़ी फ़ाइनल में डिसीज़न रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) की संपूर्ण प्रणाली का प्रयोग होगा। क्वार्टर-फ़ाइनल से ही कई टीमों ने इसके लिए अनुरोध किया था।
बीसीसीआई 2019-20 से रणजी नॉकआउट मैचों में "सीमित डीआरएस" का प्रयोग करता आ रहा है। इस सीमित वर्ज़न में बॉल-ट्रैकिंग और अल्ट्रा-एज जैसी सुविधाएं नहीं होती हैं।
बंगाल के कप्तान मनोज तिवारी ने कहा, "यह अच्छी बात है कि फ़ाइनल में डीआरएस का प्रयोग हो रहा है। मुझे लगता है कि जिन भी मैचों का लाइव प्रसारण होता है, उनमें यह सुविधा होनी चाहिए। हमने देखा है कि लीग मैचों में कितनी ग़लतियां होती हैं। अच्छा यह होता कि सभी मैचों में डीआरएस हो। लेकिन अभी हमारा फ़ोकस फ़ाइनल पर है। हम उम्मीद करते हैं कि मैदानी अंपायर ही सही फ़ैसले लें और हमें डीआरएस का उपयोग ना करना पड़े।"
2019-20 से जब रणजी नॉकआउट मैचों में डीआरएस का प्रयोग होने लगा तब भी बॉल-ट्रैकिंग की अनुपस्थिति के कारण कई ग़लत निर्णय होते रहे। बॉल-ट्रैकिंग नहीं होने के कारण एलबीडब्ल्यू निर्णयों में थर्ड अंपायर को पता ही नहीं चल पाता है कि गेंद स्टंप को लगेगी या नहीं। ऐसे में वे मैदानी अंपायरों का निर्णय नहीं बदल सकते थे। इस कारण फ़ील्डिंग टीम को किसी भी एलबीडब्ल्यू निर्णय को रिव्यू करने का अधिकार नहीं था।
मुंबई के पूर्व कप्तान और वर्तमान कोच अमोल मुज़ुमदार ने एक बार कहा था, "बॉल ट्रैकिंग से ही थर्ड अंपायर निर्णय तक पहुंच सकते हैं। अगर बॉल-ट्रैकिंग ही नहीं है तो इस पूरी व्यवस्था का क्या फ़ायदा। यह सिर्फ़ एलबीडब्ल्यू निर्णयों के लिए नहीं है। कई बार जब महीन बाहरी किनारों को अंपायर नहीं सुन पाते तब भी यह उपयोगी होता है।"
बीसीसीआई के लिए दिक़्क़त यह है कि लंबे घरेलू सीज़न और ढेर सारे मैचों के कारण सभी मैच ब्रॉडकास्ट नहीं होते। इसके अलावा कई मैदानों पर अब भी ब्रॉडकास्ट सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं कि सभी तकनीकों का प्रयोग किया जा सके। इसी कारण बीसीसीआई के क्रिकेट ऑपरेशंस के महाप्रबंधक रहे सबा करीम ने एक बार कहा था, "बोर्ड सभी टीमों के लिए एक समान अवसर देना चाहता है लेकिन ऐसा सिर्फ़ नॉकआउट मैचों में ही संभव है।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं