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कैसे आर समर्थ ने अपनी मानसिकता में बदलाव करते हुए रणजी ट्रॉफ़ी में शानदार प्रदर्शन किया

कर्नाटका के बल्लेबाज़ ने इस सीज़न 12 पारियों में 659 रन बनाए हैं

R Samarth clips to the leg side during his century, Assam v Karnataka, Ranji Trophy 2015-16, Group A, Guwahati, 3rd day, October 3, 2015

समर्थ अब अपने अनुभव का प्रयोग कर के युवा खिलाड़ियों की मदद करना चाहते हैं  •  PTI

कर्नाटका की टीम रणजी ट्रॉफ़ी को जीतने से बस दो कदम दूर है। सेमीफ़ाइनल में उनकी टीम सौराष्ट्र के साथ भिड़ने वाली है। कर्नाटका ने अब तक आठ बार इस ख़िताब को अपने नाम किया है। हालांकि उनकी टीम आख़िरी बार 2014-15 में विजयी हुई थी। कर्नाटका की टीम ने इस रणजी सीज़न में काफ़ी बेहतरीन प्रदर्शन किया है। लीग स्टेज के सात मुक़बलों में से उन्होंने चार मैच जीते थे और तीन मैच ड्रॉ किए थे। वहीं क्वार्टर फ़ाइनल में उत्तराखंड के ख़िलाफ़ उन्हें एकतरफ़ा जीत मिली थी।
उनके इस शानदार प्रदर्शन में आर समर्थ का काफ़ी अहम योगदान रहा है। उन्होंने इस रणजी सीज़न के 12 पारियों में कुल 659 रन बनाए हैं। साथ ही वह इस सीज़न में अपनी टीम की तरफ़ से दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। पहले स्थान पर मयंक अग्रवाल हैं, जिन्होंने कुल 686 रन बनाए हैं।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के साथ ख़ास बात-चीत करते हुए समर्थ ने कहा कि वह लगातार 'वर्तमान में जीने' की कोशिश कर रहे हैं। वह इन सब बातों के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रहे हैं कि क्यों कुछ चीज़ें उनके पक्ष में नहीं गईं।
समर्थ ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से कहा, "पहले मैं हर समय क्रिकेट के बारे में सोचता था। फिर मुझे एहसास होने लगा कि मैं अगर ऐसा करता रहा तो मानसिक रूप से काफ़ी जल्दी थक जाऊंगा। तभी मैंने सोचा कि मुझे स्विच ऑन और स्विच ऑफ़ करना सीखना होगा। यह एक ऐसी चीज़ है, जो आप अनुभवी होने के बाद सीखते हैं।"
जब मैंने पहली बार ड्रेसिंग रूम में प्रवेश किया तो वहां मैंने तुरंत अभिमन्यु मिथुन, विनय कुमार, रॉबिन उथप्पा, स्टुअर्ट बिन्नी, मनीष पांडे, गणेश सतीश जैसे खिलाड़ियों को देखा। इन सभी लोगों की मानसिकता देश के लिए खेलने की थी और यहां मैं सोच रहा था कि मैंने सिर्फ़ अपनी शुरुआत करके कुछ बड़ा हासिल कर लिया है।
आर समर्थ
उन्होंने आगे बताया, "अब मैं फ़िल्में देखकर या शाम को ऑनलाइन या अपने प्लेस्टेशन पर गेम खेलकर तनाव दूर करता हूं। यह थोड़ा संतुलन लाने में मदद करता है, चाहे आपका दिन अच्छा रहा हो या बुरा। ऐसा करने से मुझे अपने खेल, सफलता और असफलता के बारे में सोचने और उन तरीक़ों में बदलाव लाने में मदद मिली है।" समर्थ अपने करियर में एक ऐसे मुकाम पर हैं जहां उन्हें प्रतिस्पर्धा की चिंता नहीं है। पांच साल पहले वह टेस्ट टीम के बाहर देश के शीर्ष तीन सलामी बल्लेबाज़ों में शामिल थे। वह भारत ए टीम में नियमित रूप से खेलते थे, लेकिन 2018-19 के ख़राब सत्र से वह थोड़े पीछे चले गए, जहां उन्होंने 13 पारियों में सिर्फ 168 रन बनाए थे। उसके बाद से वह इंडिया ए के लिए नहीं खेले हैं।
समर्थ यह स्वीकार करते हैं कि वह बहुत कुछ हासिल कर सकते थे, लेकिन वह अतीत के बोझ से दबना नहीं चाहते।
उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से यह मेरे जीवन का महत्वपूर्ण सबक था। इसने मुझे सिखाया है कि आप किसी भी चीज़ को हल्के में नहीं ले सकते। यह सिर्फ़ इतना था कि उन छह-सात मैचों में मैंने रन नहीं बनाए और वे मैच महत्वपूर्ण थे क्योंकि इसने मेरे ग्राफ़ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला। अगर मैं उस एक सीज़न में अच्छा प्रदर्शन करता तो बहुत फर्क पड़ता।"
उसके बाद से जो कुछ भी हुआ है, उसके प्रकाश में वह अपने मौजूदा फ़ॉर्म को कैसे देखते हैं?
उन्होंने कहा, "जिस तरह का प्रदर्शन इस सीज़न में मैंने किया है, उससे मैं बहुत खु़श हूं। सीज़न की शुरुआत में मुझे एहसास हुआ कि अगर मुझे कुछ कहना है तो मुझे बड़े शतक लगाने होंगे। साथ ही लीग चरण के दौरान बहुत सारे रन बनाने होंगे। आगामी खेलों में उस आत्मविश्वास को आगे ले जाना महत्वपूर्ण है।"
समर्थ कहते हैं कि रनों की यह भूख भी समूह के भीतर सकारात्मक प्रतिस्पर्धा के कारण आई है। उन्होंने केएल राहुल और मयंक को रनों का ढेर बनाते हुए देखा है। करूण नायर और मनीष पांडे से सीखा है और अब एक वरिष्ठ के रूप में विशाल ओनाट, देवदत्त पड़िक्कल और निकिन जोस जैसे खिलाड़ियों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हम एक दूसरे को पुश करते रहते हैं। जब आप देखते हैं कि हममें से एक रन बना रहा है, तो यह आपको प्रेरित करता है। हम एक-दूसरे को आगे बढ़ाते हैं, वे सभी अच्छे खिलाड़ी हैं। हम सब एक साथ बड़े हुए हैं [मयंक, मनीष, करूण] और हम एक दूसरे की मदद करते हैं। यह कर्नाटका के ड्रेसिंग रूम की सबसे सकारात्मक बात है।"
समर्थ ने 2013-14 में अपना रणजी ट्रॉफ़ी डेब्यू किया था। तब कर्नाटका के टीम ने दो लगातार रणजी सीज़नों में जीत हासिल की थी। अब लगभग एक दशक बाद, वह इस टीम की रीढ़ हैं जो एक बार फिर फ़ाइनल में पहुंचने की राह पर है।
समर्थ ने कहा, "जब मैंने पहली बार ड्रेसिंग रूम में प्रवेश किया तो वहां मैंने तुरंत अभिमन्यु मिथुन, विनय कुमार, रॉबिन उथप्पा, स्टुअर्ट बिन्नी, मनीष पांडे, गणेश सतीश जैसे खिलाड़ियों को देखा। उनके साथ खेलना अवास्तविक था। इन सभी लोगों की मानसिकता देश के लिए खेलने की थी और यहां मैं सोच रहा था कि मैंने सिर्फ़ अपनी शुरुआत करके कुछ बड़ा हासिल कर लिया है।"
समर्थ रणजी ट्रॉफ़ी विजेता टीम का हिस्सा रह चुके हैं। लेकिन 2022-23 में अपनी टीम को ख़िताब दिलाने से उन्हें बहुत संतुष्टि मिलेगी। आख़िरकार यह एक सपना है, जो पिछले कुछ वर्षों से लगातार टूट रहा है। "अगर ऐसा होता है तो यह सोने पर सुहागा के जैसा होगा।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनयिर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।