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हनुमा विहारी : मैं जीतने के लिए खेलता हूं, फिर चाहे मुझे एक हाथ से या एक पैर पर खड़े होकर बल्लेबाज़ी करनी पड़े

अगर मेरे इस प्रयास से एक भी युवा खिलाड़ी को प्रेरणा मिलती है तो मैं ख़ुश हूं, तब मेरा दर्द सहना भी उचित है

Hanuma Vihari drives towards the covers, India vs Sri Lanka, 2nd Test, Bengaluru, 1st day, March 12, 2022

हनुमा विहारी ने मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ एक हाथ से बल्लेबाज़ी की (फ़ाइल फ़ोटो)  •  BCCI

मध्य प्रदेश के ख़िलाफ़ रणजी क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबले में आंध्रा के कप्तान हनुमा विहारी ने बायां हाथ चोटिल हो जाने पर अपने स्वाभाविक दाएं हाथ की बजाय बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी की और एक हाथ से शॉट लगाए। हालांकि विहारी के इस साहसिक कारनामे के बाद उनकी टीम यह मुक़ाबला हारकर बाहर हो गई। शुक्रवार को विहारी ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बात की।
अभी आपका हाथ कैसा है?
मेरे बाएं हाथ में फ़्रैक्चर है और डॉक्टर ने मुझे कम से कम छह सप्ताह आराम करने की सलाह दी है। हालांकि दोनों पारियों में मुझे मैदान में उतरना पड़ा क्योंकि टीम को इसकी ज़रूरत थी। मेरे 113 प्रथम श्रेणी मैचो के करियर में यह पहली बार था, जब मैं कोई क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबला खेल रहा था। मैंने इसके लिए बहुत लंबा इंतज़ार किया था। इसलिए जब टीम को रनों की ज़रूरत थी, तब मैंने अपने आपको आगे किया।
पहली पारी में कब आपने निर्णय किया कि आपको बल्लेबाज़ी के लिए दोबारा उतरना ही है?
जब हम दो विकेट पर 262 रन बनाकर खेल रहे थे, तब फ़िजियो दीप तोमर ने मुझसे मैच में आगे बल्लेबाज़ी ना करने की सलाह दी थी। उन्होंने मुझसे यह भी कहा था कि मुझे सर्जरी की भी ज़रूरत पड़ सकती है। उस समय हम अच्छी स्थिति में थे, इसलिए मुझे भी लगा था कि शायद मेरी अब ज़रूरत ना पड़े। लेकिन इसके बाद हमारे अगले सात विकेट 100 रन के अंदर ही गिर गए और हमारा स्कोर 353 रन पर नौ विकेट हो गया। जब विकेटों का पतझड़ चल रहा था तब ही मैंने बाएं हाथ से बल्ले को ग्रिप करने की कोशिश की, हालांकि तब मुझसे ऐसा नहीं हो सका था।
तब मैंने अपने दूसरे हाथ की ओर देखा और सोचा कि क्यों ना बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी करने की कोशिश की जाए। यह विचार अचानक से मेरे दिमाग़ में आया। मैंने इस बारे में टीम के कोच से बात की तो उन्होंने कहा कि जैसा मुझे सही लगता है, मैं करूं। मेरे साथियों ने मुझे पैड, चेस्ट पैड, आर्म गॉर्ड और अन्य सुरक्षा मानक पहनाए। मैंने मैदान पर उतरने से पहले ड्रेसिंग रूम में ही कुछ गेंदों को खेलने की कोशिश की। मैंने बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी की और फिर टीम के लिए कुछ रन जोड़ने के लिए मैदान पर उतरा।
क्या आपने इससे पहले कभी बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी की थी?
जब बचपन में मैं गलियों में टेनिस बॉल क्रिकेट खेलता था, तब भी मैंने कभी बाएं हाथ से बल्लेबाज़ी की कोशिश नहीं की थी। किसी प्रथम श्रेणी मैच वह भी नॉकआउट मुक़ाबले में ऐसा करने का मैंने कभी सोचा ही नहीं था, वह भी एक हाथ से।
तो फिर आप ऐसा करने को मजबूर क्यों हुए?
मैं बस मैदान पर उतरकर यह दिखाना चाहता था कि मैं सिर्फ़ रिटायर होना नहीं चाहता था बल्कि अपना योगदान देना चाहता था। अगर मैं पहली गेंद पर भी आउट हो जाता, तब भी मुझे कोई पछतावा नहीं होता। मैं बस मैदान पर उतरना चाहता था और अपनी टीम को दिखाना चाहता था कि अभी भी टीम के लिए लड़ा जा सकता है। अगर मैं ऐसा करता हूं तो टीम के दस अन्य खिलाड़ी भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते। तो मेरा इरादा बस यही था।
यह आंध्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मैच था। हम एक कठिन ग्रुप से नॉकआउट में पहुंचे थे, इसलिए मैं एक उदाहरण सेट करना चाहता था। हमने लड़ाई भी लड़ी, हालांकि परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आया।
आपका बल्ला कितना हल्का है कि आप एक हाथ से स्वीप मार रहे थे?
वह मेरा बल्ला नहीं था क्योंकि मेरा बल्ला बहुत भारी था। ड्रेसिंग रूम में जो सबसे हल्का बल्ला था, मैंने उसका प्रयोग किया।
आवेश ख़ान की गेंद पर आप चोटिल हुए थे और जब आप चोट के बाद बल्लेबाज़ी करने आए तो फिर से आपको उन्हीं का सामना करना था। लेकिन आपने उनकी गेंदों का बख़ूबी सामना किया और एक बाउंड्री भी लगाई। उस समय क्या चल रहा था, आप बता सकते हैं?
आवेश उस समय ख़ासा तेज़ गेंद फेंक रहे थे। उन्होंने पहली ही गेंद पर यॉर्कर करने की कोशिश की लेकिन वह लो फुलटॉस में बदल गई। मैंने उनकी गति का इस्तेमाल किया और बल्ले का मुंह खोल बस दिखा दिखाई। मेरे दिमाग़ में बस यही था कि मुझे स्टंप पर आती गेंदों को ही खेलना है। अग वह बाउंसर करते तो मैं उन्हें छोड़ने जा रहा था। उल्टे हाथ और ख़ासकर एक हाथ से ऐसा करना बहुत कठिन था।
मेरे दिमाग़ में यह भी चल रहा था कि अगर मेरे शरीर पर चोट भी लगती है, तब भी कोई बात नहीं। मुझे सिर्फ़ स्टंप लाइन की गेंदें खेलनी थी। मेरे दिमाग़ में कहीं डर नहीं था। मुझे बल्लबाज़ी का बेसिक तो पता ही है, फिर चाहे वह दाएं हाथ से बल्लेबाज़ी हो या फिर बाएं हाथ से। मुझे पता है कि अगर स्टंप की लाइन में गेंद आएगी तो मैं उसे आराम से डिफ़ेंड कर सकूंगा। इसलिए मैं तेज़ गेंदबाज़ी का भी सामना करने के लिए तैयार था। मैं स्पिनर की गेंद पर आउट हुआ, जो टर्न हो रही थी और एक हाथ से उसका सामना करना मुश्किल था।
क्या विपक्षी टीम के खिलाड़ी आपको एक हाथ से बल्लेबाज़ी करता देख अचरज में थे?
जब पहली पारी में मैं नंबर 11 पर बल्लेबाज़ी करने आया तो उन्हें लगा कि मैं दाएं हाथ से ही बल्लेबाज़ी करूंगा। लेकिन जब मैंने बाएं हाथ से गॉर्ड लिया तो वे आश्चर्य में आ गए। उनके चेहरे पर अचरज वाली प्रतिक्रिया थी कि क्या मैं सही में ऐसा करने जा रहा हूं। हां, लेकिन वे मेरे लिए बहुत सपोर्टिव भी थे, हालांकि गेंदबाज़ी के दौरान प्रतिस्पर्धी भी। उन्होंने कोई संवेदना नहीं दिखाई और बिना किसी ढील के गेंदबाज़ी की। मैं कोई संवेदना चाहता भी नहीं था।
दूसरी पारी में भी आपने रिस्क क्यों लिया?
हमारे पास अधिक रन नहीं थे। दूसरी पारी में हम बुरी तरह से कोलैप्स हो गए। इसलिए मुझे बल्लेबाज़ी के लिए उतरना पड़ा। लंच के तुरंत बाद मेरे बाईं भुजा पर प्लास्टर लगा था। चाय के बाद मुझे लगा कि मुझे बल्लेबाज़ी के लिए जाना पड़ेगा क्योंकि रन कम थे। मुझे लगता है कि वह अच्छा आइडिया था। मैंने ग्लव पहनने की कोशिश की और किसी तरह पहना। इसके बाद मैदान पर जाकर मैंने शॉट लगाने की कोशिश की और कुछ सफल भी रहा।
क्या आपको इंजेक्शन या पेनकिलर की ज़रूरत पड़ी?
हां, मैंने दर्द की कुछ गोलियां ली लेकिन इंजेक्शन नहीं लिया। मैं सही से सो नहीं सका था और यह दर्द दे रहा था। मुझे टुकड़ों में टूट-टूटकर नींद आई थी। जब भी मुझे दर्द होता था, तो मुझे उठना पड़ता था। यह असहनीय था।
"बल्लेबाज़ी के बेसिक्स ने मुझे एक हाथ और उल्टे हाथ से बल्लेबाज़ी करने में मदद की- गेंद को देखो, गेंद तक आओ और उसपर बल्ला चलाओ। हालांकि यह चुनौतीपूर्ण था।"
हनुमा विहारी
इस दौरान आपका सबसे अच्छा शॉट कौन था?
मैं नैसर्गिक रूप से दाएं हाथ का बल्लेबाज़ हूं, इसलिए जब ऑफ़ स्पिनर आया तो मैंने उसे उल्टा स्वीप लगाया। यह गेंद गैप होते हुए बाउंड्री तक गई जो कि मेरा फ़ेवरिट शॉट था।
हालांकि आप ऐसा सिडनी में भी पहले कर चुके हैं, लेकिन इस इमोशन को आप कैसे बयां करेंगे?
अगर हमारी टीम जीत गई होती तो मैं इसे एक स्वीट इमोशन और मोमेंट कहता। आंध्रा के सभी खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया लेकिन दूसरी पारी में हम एक सत्र में ही कोलैप्स हो गए, जो कि थोड़ा दुखदायी था। इस टीम पर मुझे गर्व है और मैं निराश भी नहीं हूं। अगर मेरे इस प्रयास से एक भी युवा खिलाड़ी को प्रेरणा मिलती है तो मैं ख़ुश हूं। तब मेरा दर्द सहना उचित भी है। हालांकि इस प्रदर्शन से मैं संतुष्ट नहीं हूं और हमारा लक्ष्य रणजी ट्रॉफ़ी जीतना है। उम्मीद है कि अगले साल हम ऐसा करने के लिए आगे बढ़ सकेंगे।
आप फ़िलहाल भारतीय टेस्ट टीम से बाहर हैं और आपका यह रणजी सीज़न भी कुछ ख़ास अच्छा नहीं गया क्योंकि आपके नाम एक भी शतक नहीं था? लेकिन इस मैच में चोट के बावजूद उतरना खेल के प्रति आपके प्रेम और समर्पण को दिखाता है।
मैं जीतने के लिए क्रिकेट खेलता हूं, फिर चाहे मैं शतक लगाऊं या ना लगाऊं। अगर मैं अपनी टीम के लिए योगदान दे रहा हूं तो फिर यह सही है। कोई भी बल्लेबाज़ बड़े रन और बड़े शतक चाहता है फिर चाहे आप भारत के लिए खेलें या फिर अपने राज्य के लिए। मैं जीतने के लिए ही मैदान पर उतरता हूं फिर चाहे एक हाथ या एक पैर पर ही ना उतरना पड़े। मेरा उद्देश्य बस यही रहता है कि जब भी मैदान पर उतरूं अपनी टीम के लिए योगदान दूं। मैं व्यक्तिगत रिकॉर्ड या वापसी के बारे में नहीं सोच रहा हूं।

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के दया सागर ने किया है