सिद्धार्थ कौल ने 2018 में वनडे और टी20आई डेब्यू किया था • Getty Images
संध्या एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जिम्नास्ट थीं। उनके पति तेज ने जम्मू-कश्मीर के लिए 1970 के दशक में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला था। उनके बड़े बेटे उदय ने भी पंजाब के लिए डेब्यू कर लिया था। उनके छोटे बेटे सिद्धार्थ कौल के पास सबसे ज़्यादा क्रिकेटिंग प्रतिभा थी, लेकिन वह प्रैक्टिस के लिए जाने में आना-कानी करते थे।
कौल ने ESPNcricinfo से बताया, "मुझे प्रैक्टिस के लिए मैदान पर जाना पसंद नहीं था। मुझे गलियों में क्रिकेट खेलना पसंद था क्योंकि तब आप पर कोई दबाव नहीं होता और ना ही आपको कुछ हासिल करना होता है। आप सिर्फ़ अपने मनोरंजन के लिए खेलते हो। मैं भी सिर्फ़ मनोरंजन के लिए खेलता था।"
संध्या को लगा कि कौल अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें पता था कि एक खिलाड़ी के जीवन के शुरुआती दिनों का क्या महत्व होता है। उन्होंने निर्णय लिया कि वह अपने बेटे से इस बारे में 'आख़िरी बात' करेंगी।
कौल बताते हैं, "मां ने मुझसे कहा, 'आप ना तो पढ़ने में अच्छे हो कि मैं आपसे कह सकूं कि आप पढ़ाई पर ध्यान दो। अगर आप क्रिकेट में अच्छे हो तो क्यों ना आप इसे गंभीरता से लो?'"
कौल को बस इसी धक्के की ज़रूरत थी। दो साल बाद 2008 अंडर-19 विश्व कप में वह भारत के लिए सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के रूप में उभरे और विराट कोहली व रवींद्र जाडेजा के साथ ट्रॉफ़ी उठाया।
विकेट लेने और डेथ में गेंदबाज़ी करने की क्षमता के कारण वह थोड़े समय बाद ही पंजाब टीम के प्रमुख सदस्य बन गए। 2017 से 2021 के बीच वह IPL में भी सनराइज़र्स हैदराबाद टीम के प्रमुख सदस्य रहे और उन्हें उनके यॉर्कर और स्लोअर वन के लिए जाना जाने लगा।
कौल अब भारत के सीमित ओवर क्रिकेट के सबसे प्रमुख टूर्नामेंट्स विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी (लिस्ट-ए) और सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी (टी20) में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। उन्होंने दोनों फ़ॉर्मैट में पीयूष चावला को पीछे छोड़ा।
75 विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी मैचों में कौल के नाम 20.21 की औसत से 155 विकेट हैं। उनके नाम इस टूर्नामेंट में सात बार 5-विकेट हॉल का रिकॉर्ड है। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफ़ी में उनके नाम सिर्फ़ 7.02 की इकॉनमी से 87 मैचों में 120 विकेट है।
**
जब कौल ने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू किया तो उनके सामने बस तीन सपने थे। वह तीनों फ़ॉर्मैट में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते थे। हालांकि यह करना आसान भी नहीं था। उनके पास प्रतिभा थी, लेकिन कुछ ग़लतियों के कारण उन्हें बार-बार कुछ सेटबैक मिलते रहें।
कौल कहते हैं, "जब आप युवा होते हैं तो आपका माइंडसेट अलग होता है। आपको लगता है कि आप सबकुछ जानते हैं, इसलिए आप छोटी-छोटी बातों पर भी बहस करते हैं। जवान ख़ून, आप तो जानते ही हैं (हंसते हुए)। तो मेरे साथ यही हुआ।"
जूनियर क्रिकेट में सफल होने के बाद सीनियर क्रिकेट में सफल होने के लिए कौल को लगभग एक दशक लग गए। जहां पहले उनकी मां ने उनको प्रेरित किया था, वहीं अब उन्हें यह प्रेरणा ख़ुद के अनुभव से मिल रही है। उन्होंने 2018 में भारत के लिए टी20 और वनडे डेब्यू किया।
कौल ने भारत के लिए दोनों फ़ॉर्मैट में तीन-तीन मैच खेले, लेकिन प्रभावित नहीं कर सके। उन्होंने इसके बाद घरेलू क्रिकेट में वापसी की और कड़ी मेहनत की।
वह कहते हैं, "हर क्रिकेटर उस जगह तक पहुंचना चाहता है, जहां आपके कठिन परिश्रम को पहचान मिले। यह नहीं संभव हो पाता अगर पंजाब क्रिकेट एसोसिएसन (PCA) मुझे एज-ग्रुप टूर्नामेंट में चयनित नहीं करता।"
2022 में पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ आविष्कार साल्वी को पंजाब का प्रमुख कोच नियुक्त किया गया। कौल का कहना है कि साल्वी ने उनके स्किल सुधारने में बहुत मदद की।
कौल के अनुसार, "साल्वी इस खेल और ख़ासकर तेज़ गेंदबाज़ी को बहुत ही बेहतर ढंग से समझते हैं। वह मुझे छोटी-छोटी बातें बताते हैं, जिससे मुझे बहुत मदद मिलती है। अब मैं अच्छी गेंदबाज़ी करूं या ना करूं, लेकिन मैं निश्चित करता हूं कि मेरा माइंडसेट हमेशा प़ॉजिटिव रहे।"
हाल ही में समाप्त हुई सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में वह चौथे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे और उनकी टीम पंजाब ने 30 साल बाद कोई राष्ट्रीय ख़िताब जीता। उन्होंने विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में इसको और बेहतर करते हुए छह मैचों में 19 विकेट लिए।
साल्वी कहते हैं, "सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में नई गेंद से उन्होंने हर आठ गेंदों पर विकेट लिए। यह बहुत ही मुश्किल काम है। और यह सिर्फ़ पहला सीज़न नहीं है। वह सीज़न-दर-सीज़न ऐसा करते आ रहे हैं। वह पिछले 13 सालों से नियमित ऐसा कर रहे हैं, जो कतई भी आसान नहीं होता।"
सीज़न की शुरुआत में कौल ने अपनी बल्लेबाज़ी पर भी काम किया है। कौल ने कहा, "ऐसा भी नहीं है कि मैं पहले बल्लेबाज़ी नहीं कर सकता था। मैंने एक बार 47 रन भी बनाए हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में मेरे नाम अर्धशतक भी है। लेकिन नेट्स में मैं अपनी बल्लेबाज़ी पर उतना ध्यान नहीं देता था। लेकिन अब मैं अपनी बल्लेबाज़ी पर मेहनत कर रहा हूं। शॉर्ट गेंदों पर अपनी कमज़ोरी को दूर करने के लिए मैंने टेनिस गेंदों से अभ्यास किया। फिर इसके बाद मैंने थ्रोडाउन पर लेदर गेंदों से भी अभ्यास किया। इस अभ्यास में हमारे थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट अविनाश ने मेरी बहुत मदद की। वह मुझे घंटों थ्रोडाउन देते रहते थे।"
कौल को विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के मैचों में अपनी बल्लेबाज़ी क्षमता दिखाने का भी अवसर मिला। इस सीज़न के शुरू होने से पहले कौल का औसत 7.61 और स्ट्राइक रेट 58.27 था। इस सीज़न उन्होंने 34.66 की औसत और 97.19 के स्ट्राइक रेट से पांच पारियों में 104 रन बनाए।
हालांकि 2023 कौल के लिए एक बहुत ही 'कठिन साल' था। मार्च में उनके दाएं पैर की चोट के कारण वह पूरी तरह बेड पर चले गए। वह IPL 2023 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू का हिस्सा थे, लेकिन चोट के कारण वह पहले कुछ मैचों के लिए उपलब्ध नहीं थे। जब वह उपलब्ध हुए तब तक टीम प्रबंधन बन चुके एकादश को बिगाड़ने के लिए तैयार नहीं थी।
नवंबर में बेंगलुरू ने उन्हें टीम से रिलीज़ कर दिया और 2024 की नीलामी में उन्हें किसी भी टीम ने नहीं ख़रीदा। हालांकि कौल इससे निराश नहीं हैं। वह कहते हैं, "अगर मैं इससे निराश होऊंगा, तो क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगा। आपके पास हमेशा एक अगला मौक़ा होता है। मेरे पास भी अगले साल एक और मौक़ा होगा।"
कौल फ़िलहाल रणजी ट्रॉफ़ी में प्रदर्शन कर भारत के लिए टेस्ट मैच खेलने का भी सपना पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने रेलवे के ख़िलाफ़ पिछले मैच की एकमात्र पारी में 81 रन देकर चार विकेट लिए और अपने प्रथम श्रेणी विकेटों की संख्या 274 पर कर ली। वह इसी सीज़न 300 विकेट पूरा करना चाहेंगे। हालांकि उनका मुख्य लक्ष्य पंजाब को फ़ाइनल तक पहुंचाना है। इसके अलावा वह भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट भी खेलना चाहते हैं।
वह कहते हैं, "मैंने अपने दो सपने पूरे कर लिए हैं और एक सपना बचा हुआ है। मैं अच्छा प्रदर्शन करके उस सपने को भी पूरा करना चाहता हूं।"