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इशांत या उमेश - केपटाउन में सिराज की जगह किसे लेना चाहिए?

2018 के बाद से ईशांत और उमेश भारतीय टीम के लिए प्रभावशाली गेंदबाज़ रहे हैं

Ishant Sharma prepares to bowl at the nets, Johannesburg, December 21, 2021

तीसरे टेस्ट में सिराज की जगह पर इशांत या उमेश को टीम मे जगह दी जा सकती है  •  AFP via Getty Images

2018 की शुरुआत से कम से कम 10 टेस्ट खेलने वाले भारत के सीम गेंदबाजों में उमेश यादव और इशांत शर्मा का सबसे बढ़िया औसत है, जो क्रमश: 21.26 और 21.37 का है। इस अवधि के दौरान भारतीय सीम गेंदबाज़ों की सूची में यह सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है।
यह भारत की तेज़ गेंदबाज़ी की गहराई का प्रतिबिंब है। हालांकि एक गौर करने वाली बात यह भी है कि उमेश यादव और इशांत शर्मा साउथ अफ़्रीका में पहले दो टेस्ट मैचों में टीम से बाहर थे। वह लगातार अपने साथी गेंदबाज़ों को प्रदर्शन करते हुए देख रहे थे। इन दोनों गेंदबाज़ों को भलिभांति पता होगा कि इस सीरीज़ में कभी ना कभी टीम को उनकी ज़रूरत पड़ेगी।
उनमें से कम से कम एक के लिए, वह क्षण मंगलवार को आ सकता है, जब केपटाउन में इस सीरीज़ का निर्णायक मैच शुरू होगा। मोहम्मद सिराज को जोहैनेसबर्ग में हैमस्ट्रिंग स्ट्रेन का सामना करना पड़ा था। हो सकता है कि वह इस समस्या से उबर चुके हों या ऐसा भी हो सकता है कि वह समस्या अब तक बरकरार हो। हालांकि भारतीय टीम सिराज की जगह पर एक अन्य पेस बोलर को टीम में शामिल कर के अपने पेस अटैक को तरोताज़ा रखने का प्रयास कर सकती है। दूसरे और तीसरे टेस्ट के बीच सिर्फ़ तीन दिनों का गैप है, ऐसे में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों की शारीरिक मांग को देखते हुए भारतीय टीम में यह फ़ैसला लिया जा सकता है। (इस गैप में दूसरे टेस्ट के जल्दी खत्म होने के दिनों की गिनती नहीं की गई है।)
पिछली बार भारत ने इस दौरे से पहले इंग्लैंड में हुए टेस्ट श्रृंखला के दो मैचों के बीच में इतना कम अंतराल रखा था। वहां तीसरे और चौथे टेस्ट के बीच सिर्फ़ तीन दिन का अंतर था। जब ओवल में चौथा टेस्ट शुरू हुआ, तो इशांत और मोहम्मद शमी दोनों टीम से बाहर हो गए। उस समय विराट ने टॉस के दौरान दोनों खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने के पीछे के कारणों के बारे में ज़्यादा विस्तृत रूप से नहीं बताया था।
उमेश को उस टेस्ट में टीम में शामिल किया गया था। उस दौरान उन्होंने प्रत्येक पारी में तीन विकेट लेकर भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ के रूप में वापसी की थी। यह एक ऐसा प्रदर्शन था जिसने दिखाया कि पिछले कुछ वर्षों में उनकी गेंदबाजी में कितनी सुधार हुई है।
द ओवल में उमेश के लगभग सभी विकेट कमोबेश अनुमानित लाइन से गेंद के अप्रत्याशित व्यवहार करने के कारण आए। क्रीज़ के बीच से फेंकी गई उनकी स्टॉक बॉल आमतौर पर अंदर की ओर कोण बनाते हुए आती है और ऑफ़ स्टंप के थोड़ी बाहर या या स्टंप की लाइन पर पड़कर के बाहर की तरफ निकलती है। उस दौरान हर गेंद लाइन को पकड़ते हुए बाहर निकल रही थी। कई बार उमेश इसी तरीके से गेंद फेंक रहे थे जो लग रहा था कि गिरने के बाद बाहर जाएगी लेकिन वह गेंद अंदर आ जाती थी। यह निश्चित रूप से उनके हाथ का कमाल था कि गेंद भले ही आउट स्विंगर दिखती थी लेकिन वह दाहिने हाथ के बल्लेबाज़ के लिए अंदर आती थी।
ना ही आउट स्विंगर ना ही अंदर आने वाली गेंद!!! जो रूट ने पहली पारी में आउट स्विंग के लिए उमेश की एक गेंद को खेला, जिसके कारण उनके बैट और पैड के बीच गैप रह जाता है। गेंद अंदर आती है और रूट बोल्ड हो जाते हैं। क्रेग ओवर्टन अंतिम दिन उमेश की ऐसी ही एक गेंद को इन स्विंग समझ कर खेलने गए और वह भी चकमा खा गए क्योंकि गेंद इस बार अंदर नहीं बाहर की तरफ जा रही थी।
यह उस तरह का स्मार्ट, उद्देश्यपूर्ण विदेशी टेस्ट-मैच प्रदर्शन था जो उमेश में कम से कम तीन वर्षों से लेटेंट था, लेकिन इस तरह के प्रदर्शन को बार-बार दोहराने के लिए उमेश को काफ़ी कम मौक़े मिले। जब आप शायद ही कभी विदेश में खेलते हैं या कहें कि विदेशों में खेलने का कम मौक़ा मिलता है तो यह साबित करना मुश्किल है कि अब आप केवल घरेलू परिस्थितियों के विशेषज्ञ गेंदबाज़ नहीं रह गए हैं।
उमेश को ओवल में वह मौक़ा मिला क्योंकि शमी और इशांत छोटी-मोटी शारीरिक समस्याओं के कारण टीम से बाहर थे, लेकिन यह भी संभव है कि भारत ने इशांत को टीम से बाहर इसलिए भी रखा हो क्योंकि हेडिंग्ले में उनका प्रदर्शन निराशजनक था। यह उनके लिए सिर्फ़ आंकड़ों के मामले में एक ख़राब मैच नहीं था - वह इंग्लैंड की एकमात्र पारी में कोई भी विकेट नहीं ले पाए। साथ ही वह चार से अधिक के इकॉनमी से गेंदबाज़ी कर रहे थे। उनकी लाइन और लेंथ किसी भी प्रकार से संतुलित या किसी एक एक दिशा में नहीं दिख रही थी। वह पिच पर सभी तरह के लेंथ के साथ गेंदबाज़ी कर रहे थे। कुल मिला कर उनकी गेंदबाज़ी उस दिन दिशाहीन भी रही। जहां उन्होंने एक सटीक लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाज़ी नहीं की। ऐसा लग रहा था कि वह किसी टाइम मशीन पर सवार हो गए हैं और साल 2011 में जाकर गेंदबाज़ी कर रहे हों।
हेडिंग्ले में इशांत की लय की कमी अच्छी तरह से उनके करियर में एक विस्तारित स्टॉप-स्टार्ट चरण का परिणाम हो सकता है। जनवरी 2020 में एक रणजी ट्रॉफ़ी मैच के दौरान उनके टखने में चोट लगी थी, और फरवरी के अंत में भारत के न्यूज़ीलैंड दौरे पर उनके जाने की संभावना नहीं दिख रही थी। हालांकि वह वहां गए और पहले टेस्ट में उन्होंने पांच विकेट लिए, हालांकि दूसरे टेस्ट में वह भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे।
फिर कोविड -19 के शुरुआती महीनों में निष्क्रियता की लंबी अवधि के बाद, उनका 2020 का आईपीएल सीज़न एक साइड स्ट्रेन के कारण जल्दी समाप्त हो गया, जिसके कारण उन्हें भारत का 2020-21 का ऑस्ट्रेलिया दौरा भी छोड़ना पड़ा।
उस चोट से उबरने के बाद इशांत ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सभी चार घरेलू टेस्ट खेले थे। हालांकि एक बात गौर करने योग्य है कि अंतिम तीन टेस्ट मैचों में उन्होंने केवल 25 ओवर ही फेंके, यह अलग बात है कि इन पिचों पर स्पिनरों का बोलबाला था और उन्होंने ही ज़्यादातर गेंदबाज़ी की। फिर जून में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फ़ाइनल के अंतिम पलों में, वह अपने फॉलो-थ्रू में एक गेंद को रोकने का प्रयास करते हुए अपनी उंगली पर चोट खा बैठे और मैदान से बाहर चले गए। इन तथ्यों से यह साफ झलकता है कि उनके करियर से वह स्टॉप-स्टार्ट चरण दूर नहीं हुआ है। हेडिंग्ले के बाद से, इशांत ने भारत के पांच टेस्ट मैचों में से केवल एक टेस्ट खेला है, जो न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ कानपुर में खेला गया था।
हालंकि इशांत कितना मूल्यवान हो सकते हैं, आपको यह जानने के लिए हेडिंग्ले से केवल एक टेस्ट पीछे जाने की ज़रूरत है। जसप्रीत बुमराह और सिराज ने लॉर्ड्स में उस तरीके की गेंदबाज़ी की जिसे याद करना काफ़ी आसान है लेकिन उस मैच में इशांत की गेंदबाज़ी भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी। उन्होंने मैच में पांच विकेट चटकाए और दूसरी पारी में हसीब हमीद और जॉनी बेयरस्टो को आउट किया। इन दो झटकों ने इंग्लैंड के शीर्ष क्रम को तोड़ दिया था। जिस तरीके से इशांत ने एलबीडब्ल्यू किया था, उसमें विशिष्ट इशांत 2.0 नज़र आ रहे थे। फुलर लेंथ की गेंद जो शानदार तरीके से अंदर की तरफ तैरते हुए आ रही थी और बल्लेबाज़ के कुछ समझ में आने से पहले ही वह उनके पैड से टकरा गई।
अगर भारतीय टीम को केपटाउन में इशांत या उमेश में से किसी एक की ज़रूरत है तो उन्हें किसके साथ जाना चाहिए? इसका उत्तर काफ़ी हद तक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। दोहरा उछाल श्रृंखला के पहले दो टेस्ट मैचों की एक बड़ी विशेषता थी, और भारत को दूसरे टेस्ट में तेज़ गेंदबाज़ों के आक्रमण में लंबे कद की कमी के कारण काफ़ी नुकसान हुआ था। इशांत भारत के सबसे लंबे गेंदबाज़ हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि इशांत 2.0 डेक पर गेंद को हिट करें और उसे अच्छा उछाल मिले। वह अब एक स्विंग गेंदबाज़ के रूप में ज़्यादा नज़र आते हैं, और जब लय में होते हैं, तो बल्लेबाज़ी लाइन-अप को बिखरने में ज़्यादा समय नहीं लगाते।
यह भारत की ज़रूरतों के अनुकूल हो सकता है, हालांकि, यह देखते हुए कि बल्लेबाज़ पारंपरिक रूप से केपटाउन में उछाल की तुलना में साइडवेज़ मूवमेंट के बारे में अधिक चिंता करते हैं। जब भारत आख़िरी बार 2018 में वहां खेला तब भुवनेश्वर कुमार उनके सबसे मुख्य गेंदबाज़ थे, और वर्नोन फिलेंडर उस मुक़ाबले में प्लेयर ऑफ़ द मैच थे।
इसलिए यह मानते हुए कि इशांत और उमेश दोनों फिट हैं और लय में हैं, यह सवाल सामने आ सकता है : क्या भारत को एक ऊंचे कद के स्विंग गेंदबाज़ के साथ जाना चाहिए , या एक स्किडी स्विंग गेंदबाज़ को टीम में शामिल करना चाहिए, जो थोड़ी तेज़ गति के साथा गेंदबाज़ी करता हो। लेकिन क्या भारतीय टीम उस गेंदबाज़ के साथ जाना चाहेगी जो थोड़ा महंगा साबित हो सकता है।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।