मैच (23)
MLC (1)
ENG v WI (1)
IRE vs ZIM (1)
Men's Hundred (2)
एशिया कप (2)
विश्व कप लीग 2 (1)
Canada T20 (4)
Women's Hundred (2)
TNPL (3)
One-Day Cup (5)
SL vs IND (1)
फ़ीचर्स

मास्टर ब्लास्टर के कुछ चुनिंदा मास्टरपीस

सचिन तेंदुलकर के जन्मदिन की 49वीं वर्षगांठ पर हम सभी ने अपने पसंदीदा खिलाड़ी के मनपसंद वनडे शतक की यादें साझा की

Sachin Tendulkar is carried around the Wankhede by his team-mates, India v Sri Lanka, final, World Cup 2011, Mumbai, April 2, 2011

एक सपना मैंने 22 साल पहले देखा था, वह 2011 में पूरा हुआ था: सचिन  •  Michael Steele/Getty Images

सचिन तेंदुलकर आज 49 साल के हो गए हैं। संयोग से उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय शतकों के सैंकड़ों में 49 शतक वनडे क्रिकेट में ही लगाए। आप किसी भी क्रिकेट प्रसंशक से पूछेंगे तो वह आपको अपने पसंदीदा सचिन शतक की कहानी सुनाएगा और हमने अपने स्टाफ़ से भी ऐसा ही करने को कहा। वैसे आप भी हमें अपने फ़ेवरिट सचिन सेंचुरी के बारे में बताइएगा।
ट्रिपल फ़िगर से पहली मुलाक़ात (110 बनाम ऑस्ट्रेलिया, 1993)
ताज्जुब होता है कि 49 शतकों के सफ़र की शुरुआत सचिन के पदार्पण के पूरे पांच साल बाद हुई। हालांकि इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी बात थी 1994 में उनका सलामी बल्लेबाज़ बनना। उसी साल कोलंबो में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सचिन ने आख़िर 100 का आंकड़ा पार किया। इस पारी की ख़ासियत थी कि आठ चौकों और दो छक्कों के बावजूद उनका स्ट्राइक रेट 85 का था। शतक पर पहुंचते हुए उनके दोस्त विनोद कांबली क्रीज़ पर थे और संयोग से जब कांबली ने फ़रवरी 1993 में अपना पहला वनडे सैंकड़ा पूरा किया था तब सचिन ही दूसरे छोर पर थे।
देबायन सेन
जब शारजाह ने देखा सचिन का 'डेज़र्ट स्टॉर्म' (143 बनाम ऑस्ट्रेलिया,1998)
शारजाह में 1998 कोका-कोला कप के क्वालिफ़ाइंग मुक़ाबले में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 284 रन के लक्ष्य का भारतीय टीम नेे पीछा करना शुरू ही किया था कि रेतीला तूफ़ान आ गया, जिससे 25 मिनट तक खेल रुका रहा। तूफ़ान के जाने के बाद सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों की जमकर ख़बर ली, और पारी के छठे ओवर में माइकल केसप्रोविच को लगातार दो छक्के जड़कर उन्होंने एक और तूफ़ान के आने का संकेत दे दिया। ऑस्ट्रेलिया की मज़बूत गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने सचिन ने 111 गेंदों में सैकड़ा जड़ा, इसके बाद अगली 20 गेंदों में उन्होंने 43 रन कूट दिए। हालांकि दूसरे छोर से सहयोग नहीं मिलने के कारण भले ही भारत यह मुक़ाबला 26 रन (संशोधित लक्ष्य) से हार गया, लेकिन उनकी इस विध्वंसक पारी के दम पर रन रेट के मामले में न्यूज़ीलैंड को पछाड़कर फ़ाइनल में प्रवेश करने में सफल रहा। सचिन की उस पारी में वो सबकुछ था जो एक महानतम पारी में होनी चाहिए। आगे चलकर क्रिकेट की दुनिया ने उस पारी को 'डेज़र्ट स्टॉर्म' का नाम दिया।
कुणाल किशोर
जब दोहरे शतक से चूक गए थे तेंदुलकर (186 बनाम न्यूज़ीलैंड,1999)
कहने को तो सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों में हर एक शतक अनमोल है, लेकिन मेरे लिए यह शतक सबसे अनमोल शतकों में से एक है। बात 1999 की है, न्यूज़ीलैंड की टीम भारत के दौरे पर थी और वनडे सीरीज़ व्हाइट किट में खेली जा रही थी। हैदराबाद में सीरीज़ का दूसरा मैच खेला गया था। सौरव गांगुली मात्र चार रन पर रन आउट हो गए थे और भारत ने 10 रन पर पहला विकेट गंवा दिया था। यकीन मानिए इसके बाद केवल एक ही विकेट गिरा था और तब स्कोर था 341। तेंदुलकर अलग ही रंग में थे और कब वह 150 रनों तक पहुंच गए पता ही नहीं चला। उन दिनों जब 200 रन बनाना सपने सरीखा था, उस समय में तेंदुलकर इस सपने को पूरा करने के बेहद क़रीब पहुंचे थे। वह नाबाद लौटे लेकिन 186 रन ही बना सके, जबकि राहुल द्रविड़ ने 153 रन बनाए। स्कोर बना दो विकेट पर 376 रन। दोनों के बीच दूसरे विकेट के लिए रिकॉर्ड 331 रनों की साझेदारी बनी। उस 150 रनों की पारी में तेंदुलकर ने 20 चौके और तीन छक्के लगाए। न्यूज़ीलैंड 202 रन पर पवेलियन लौटी और भारत ने 174 रन से मैच जीत लिया। इसके बाद दोहरा शतक लगाने का सपना पूरा करने में तेंदुलकर को 11 साल लग गए।
निखिल शर्मा
जब सचिन के दोहरे शतक की ख़ुशबू मिलना शुरु हुई (163 बनाम न्यूज़ीलैंड, 2009)
साल 2009। भारतीय टीम तीनों फ़ॉर्मेट खेलने एक लंबे दौरे पर न्यूज़ीलैंड गई थी। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को वनडे में शतक लगाए हुए एक साल हो चुका था। यह सचिन के ढलान का समय था, जब वह 2004 से 2008 तक पांच सालों में सिर्फ़ छह शतक ही लगा पाए थे। 2006 अपवाद था, जब उन्होंने दो वनडे शतक लगाया, बाक़ी हर साल उनके नाम सिर्फ़ एक ही शतक था और छह में से चार मौक़ों पर भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा था।
हालांकि क्राइस्टचर्च में आठ मार्च, 2009 का दिन कुछ अलग ही था। टिम साउदी, काइल मिल्स और जैकब ओरम की तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने उन्होंने दूसरे ही गेंद से आक्रमण करना शुरू किया और फिर 16 चौके और पांच छक्के लगाए। विपक्षी टीम के सबसे प्रमुख गेंदबाज़ साउदी उनका प्रमुख निशाना थे और उन पर उन्होंने चार चौके और एक छक्का बरसाया। सचिन ने यहां 133 गेंदों पर 163 रन की पारी खेली। 36 साल के 'युवा सचिन' की यह एक और वापसी थी और इस पारी में उनके पहले और एकमात्र वनडे दोहरे शतक की झलक भी दिखाई दी।
सचिन इस पारी में आउट नहीं हुए और पसली की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण उन्हें 45वें ओवर में रिटायर्ड हर्ट होना पड़ा। अगर ऐसा नहीं होता तो क्या पता हमें वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक न्यूज़ीलैंड में ही देखने को मिल जाता। ख़ैर, यह तो महज शुरुआत थी। सचिन ने इसके बाद 2009 में और दो बड़े शतक लगाए और फिर 2010 के शुरु होते ही ऐतिहासिक दोहरा शतक भी ठोक दिया।
दया सागर
शतक जिसमें सचिन ने मास्टर और ब्लास्टर दोनों रूप दिखाए थे (175 बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2009)
2009 का साल। हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेले जा रहे सीरीज़ के पांचवें वनडे में भारतीय टीम को जीत के लिए 351 रन बनाने थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के विकेट नियमित अंतराल पर गिरते रहे। सचिन ने एक छोर को संभाले रखा था। इस पारी में वह मास्टर और ब्लास्टर दोनों की भूमिका निभा रहे थे। 332 के स्कोर पर सचिन के रूप में भारतीय टीम का सातवां विकेट गिर गया। भारतीय टीम को जीत के लिए 17 गेंदों पर 19 रन बनाने थे, लेकिन इस मैच में तीन रनों की शिकस्त झेलनी पड़ी। सचिन की 175 रनों की पारी से पहले तक यह पूर्वाग्रह मन में घर चुका था कि सचिन की सेंचुरी भारतीय टीम की हार का सूचक बन कर आती है, लेकिन 'वन मैन आर्मी' जैसी सचिन की इस पारी ने यह पूर्वाग्रह तोड़ दिया था। दिलचस्प बात यह कि यह पूर्वाग्रह टूटा भी भारतीय टीम की हार से ही।
नवनीत झा
"शतकों का शतक" (114 बनाम बांग्लादेश, 2012)
21 अप्रैल को आईपीएल में सीएसके और मुंबई का मैच चल रहा था। सचिन ने किसी एक सवाल का मज़ाकिया अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा, "मैं अपनी उम्र और अपने द्वारा बनाये गए रनों की गणना बिल्कुल नहीं करना चाहता।"
हालांकि एक समय ऐसा था जब पूरे विश्व में क्रिकेट के समर्थक सचिन के रनों के साथ-साथ उनके शतकों की गणना कर रहे थे। अक्सर किसी भी खिलाड़ी से उम्मीद की जाती है कि उसके बल्ले से शतक निकले लेकिन 2010 से 2012 तक पूरे विश्व कै क्रिकेट समर्थक इंतज़ार कर रहे थे कि सचिन शतकों का शतक कब लगाएंगे।
साल 2012 में मीरपुर के शेरे बांग्ला स्टेडियम में सचिन ने इस इंतज़ार को ख़त्म कर ही दिया और उसके बाद उन्होंने कहा, " पिछले कुछ दिनों में मैं जहां भी गया, रेस्तरां, रूम सर्विस, हर इसांन 100वें शतक के बारे में पूछ रहा था। किसी ने भी मेरे 99 शतकों के बारे में बात नहीं की। हालांकि सपने सच होते हैं। एक सपना मैंने 22 साल पहले देखा था, वह 2011 में पूरा हुआ था।"
भारत भले ही वह मैच हार गया था लेकिन विश्व क्रिकेट के लिए "शतकों का शतक" हार और जीत के दायरे काफ़ी दूर था।
राजन राज