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वर्ल्ड टी20 2010 : इंग्लैंड का ख़िताब, रैना ने रचा इतिहास

वेस्टइंडीज़ में हुए इस विश्व कप में क्रिकेट जगत को मिली एक रोमांचक एशियाई टीम की पहली झलक

England win the World Twenty20, England v Australia, ICC World Twenty20 final, Barbados, May 16, 2010

2010 टी20 विश्व कप के फ़ाइनल में इंग्लैंड ने काफ़ी आसानी से ऑस्ट्रेलिया को परास्त कर दिया था  •  AFP

टी20 विश्व कप का समय आ गया है। 2007 में स्थापित हुए इस टूर्नामेंट ने पिछले कुछ सालों में कई रोमांचक संस्करण क्रिकेट जगत को दिए हैं। हर साल कुछ यादगार खिलाड़ियों और टीमों ने इतिहास के पन्नों पर अपना नाम लिखा है। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो का यह प्रयास है कि हम ऑस्ट्रेलिया में होने वाले पहले पुरुष क्रिकेट के पहले टी20 विश्व कप में अब तक बीते सारे संस्करणों की यादें ताज़ा करें। आज हम चलेंगे 2010 में खेले गए विश्व कप की ओर, जो अब तक वेस्टइंडीज़ द्वारा आयोजित इकलौता पुरुष टी20 विश्व कप है।

अच्छा पहले तो यही बता दो कि भारत ने क्या किया?

जी हुज़ूर। भारत की शुरुआत अच्छी थी और उन्होंने तीन टीमों के ग्रुप में टॉप किया। लेकिन इसके बाद सुपर 8 में ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज़ और श्रीलंका तीनों से हार मिली और भारत सेमीफ़ाइनल पड़ाव से पहले ही बाहर हो गया। दरअसल टीम सीधे आईपीएल सीज़न ख़त्म करने के बाद टूर्नामेंट खेलने वेस्टइंडीज़ पहुंची थी और हालांकि कई खिलाड़ी फ़ॉर्म में ज़रूर थे लेकिन शारीरिक और मानसिक थकान के असर पर भी कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दे रखी थी। हो सकता है इसका कुछ प्रभाव रहा हो।

कुछ यादगार भी हुआ होगा?

जी हां, और दोनों ग्रुप स्टेज में ही हुए। पहले तो बता दें कि साउथ अफ़्रीका पर मिली जीत में सुरेश रैना ने 60 गेंदों पर 101 रन बनाए जो भारत के लिए टी20आई में पहला शतक था। उसी साल उन्होंने बाद में जब अपने टेस्ट डेब्यू पर भी शतक जड़ा तो तीनों प्रारूप में शतकीय पारी खेलने वाले पहले भारतीय बने रैना।
हालांकि इससे अच्छी कहानी भारत के पहले मुक़ाबले में आई क्योंकि उनके सामने थे अफ़ग़ानिस्तान, जो उस दौरान आईसीसी के एसोसिएट से भी निम्न स्तर की अफ़िलिएट सदस्य टीम थी। वहां से अब तक के सफ़र का पहला क़दम यहीं पड़ा। सोचिए उनके कीपर और सलामी बल्लेबाज़ मोहम्मद शहज़ाद का उत्साह, जो महेंद्र सिंह धोनी से इतने प्रेरित थे कि ख़ुद को भी वह 'एम एस' कहते थे। और इस मैच में वास्तविक एम एस स्टंप्स के पीछे से उनकी बल्लेबाज़ी को देख रहे थे।

यह तो हुआ भारत का वर्णन। पाकिस्तान का क्या हुआ?

भाई पाकिस्तान के साथ क्या हुआ यह ना पूछो। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान ने 191 बनाए और फिर विपक्ष को 105 पर आधी टीम को आउट कर दिया। जीत का समीकरण था 45 गेंदों पर 87 रन। लेकिन...

क्या बात कर रहे हो...आगे इसमें भला कोई ट्विस्ट संभव है क्या?

'मिस्टर क्रिकेट' माइक हसी हो तो कुछ भी असंभव नहीं, बॉस! हसी आए और सईद अजमल की जमकर धुनाई करने लगे। अजमल के आख़िरी ओवर में 18 रन चाहिए थे और दूसरी गेंद पर हसी स्ट्राइक पर आए। उन्होंने लगातार गेंदों पर 6, 6, 4, 6 मारकर पाकिस्तान को मैच से बाहर कर दिया। तब से पाकिस्तान समर्थक ऑस्ट्रेलिया के खब्बू मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ों के ख़ौफ़ में जीते हैं। यक़ीन नहीं होता तो मैथ्यू वेड से पूछ लीजिए।

अच्छा फिर फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया का क्या हुआ?

फ़ाइनल में उन पर इंग्लैंड की अनुशासित गेंदबाज़ी भारी पड़ी। तेज़ गेंदबाज़ी के साथ अच्छी स्पिन विकल्प से लैस इस टीम ने उन्हें एक अच्छे स्कोर में बांधा। इंग्लैंड को आख़िर में एक आसान जीत हाथ लगी। टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन श्रीलंका के महेला जयवर्दना ने बनाए तो सर्वाधिक विकेट ऑस्ट्रेलिया के लिए डर्क नैनेस ने लिए लेकिन इकाई के तौर पर इंग्लैंड का कोई तोड़ नहीं मिला। और तीन 50-ओवर विश्व कप और एक घरेलू चैंपियंस ट्रॉफ़ी में फ़ाइनल में लड़खड़ाने के बाद आख़िर पॉल कॉलिंगवुड को कोई आईसीसी के ख़िताबी ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा करने का अवसर मिला।

देबायन सेन ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड हैं।