30 वर्षीय यानिक कराइया टी20 अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू पर थे लेकिन उनकी गेंदबाज़ी में कोई अनुभवहीनता नहीं नज़र आई। उनके सामने ऐरन फ़िंच और ग्लेन मैक्सवेल जैसे बल्लेबाज़ थे और उन्हें अकील हुसैन के आगे टीम में जगह मिली थी। उनके चयन से फ़ेबियन ऐलेन और हेडन वॉल्श जैसे गेंदबाज़ों को दल में जगह नहीं मिली।
कराइया ने ज़बरदस्त नियंत्रण के साथ गेंदबाज़ी करते हुए अपने जीवन के केवल पांचवें टी20 मुक़ाबले में चार ओवरों में सिर्फ़ 15 रन दिए और मैक्सवेल को अपनी जाल में फंसाया। उन्होंने 13 डॉट गेंदें डाली और मौजूदा विश्व चैंपियन टीम को उसी के मैदान पर केवल एक बाउंड्री मारने का अवसर दिया।
बाद में कराइया ने कहा, "जब आप एक चीज़ के लिए अपने पूरे जीवन मेहनत करते हैं तो आपके अंदर अपने आप से आत्मविश्वास आ जाता है। मैं अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा रखता हूं और यह मुझसे कोई छीन नहीं सकता।"
कराइया का करियर ऐसा रहा है कि आप उन्हें अनदेखा कर सकते हैं लेकिन उन्होंने हर स्तर पर प्रभावित किया है।
2010 के अंडर-19 विश्व कप में क्रेग ब्रैथवेट और जेसन होल्डर के साथ टीम में खेलते हुए उन्होंने तीसरे स्थान के प्ले-ऑफ़ में श्रीलंका के ख़िलाफ़ 110 रनों की नाबाद पारी खेली थी। कराइया ट्रिनिडैड के विख्यात क्वीन्स पार्क क्रिकेट क्लब के सदस्य रहे हैं, जहां से वेस्टइंडीज़ क्रिकेट के कई महानतम खिलाड़ियों ने भी अपने खेल जीवन की शुरुआत की थी। ट्रिनिडैड एंड टोबेगो के लिए वह पांच प्रथम श्रेणी शतक लगा चुके हैं और वेस्टइंडीज़ के घरेलू प्रतियोगिता में 2016-17 सत्र में सर्वाधिक रन स्कोरर भी बने थे। उनके नाम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दो पांच-विकेट हॉल भी है।
2019-20 में घरेलू 50-ओवर के प्रतियोगिता में चैंपियन टीम वेस्टइंडीज़ एमर्जिंग टीम के कराइया ही कप्तान थे। लिस्ट ए में उनकी गेंदबाज़ी का रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा है।
इस सब के बावजूद उन्होंने 2016 के बाद से सीपीएल नहीं खेला है। इस पर वह कहते हैं, "इसमें मेरी कोई ग़लती नहीं है। यह तो जो लोग टीम चुनते हैं, उनकी सोच पर निर्भर है। मेरा इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।"
अगर आप उनके बातों में आत्मविश्वास की झलक देखते हैं तो शायद आश्चर्य की बात नहीं है। आख़िर उन्होंने क्रिकेट सीखने के लिए ब्रायन लारा और शेन वॉर्न के वीडियो का सहारा लिया। उन्होंने कहा, "मैं ख़ुद को एक ऑलराउंडर मानता हूं। हालांकि शुरुआत में मैं एक लेगस्पिनर ही था। ट्रिनिडैड में मैं अपनी जगह बरक़रार नहीं रख पा रहा था, और तब मैंने बल्लेबाज़ी पर ज़्यादा ध्यान देना शुरू किया। टीम में मेरी वापसी बतौर बल्लेबाज़ हुई थी। इसके बाद मेरी बल्लेबाज़ी केवल बेहतर होती रही। मेरे लिए दोनों ही मज़बूत पक्ष हैं।"
वेस्टइंडीज़ एमर्जिंग टीम को ख़िताब दिलवाने के बाद कोरोना महामारी के दौरान कराइया लगातार दो वर्षों तक किसी भी घरेलू मैच का हिस्सा नहीं बने। हालांकि इस के बावजूद उन्होंने हौसला नहीं हारा। उन्होंने कहा, "मुझे क्रिकेट खेलने का वरदान मिला है। मैं हमेशा जानता हूं कि मैं टॉप पर खेलूंगा और ऐसे में आप हिम्मत नहीं हारते। जब आप यह सोच रखते हैं तो आप ख़ुद को सफल होने की गारंटी दे देते हैं।"
दो सालों के बाद जब इस वर्ष वह ट्रिनिडैड एंड टोबेगो के लिए लौटे तो उन्होंने पहले चार प्रथम श्रेणी पारियों में क्रमशः 72, 72, 18 और 100 के स्कोर बनाए। लीवर्ड आइलैंड्स के विरुद्ध उन्होंने पारी में 59 रन देकर चार विकेट भी लिए। ऐसा लगा जैसे सालों की गुमनामी के बाद वेस्टइंडीज़ चयनकर्ता डेसमंड हेंस सहित काफ़ी लोगों ने पहली बार उन्हें पहचाना।
अगस्त में बांग्लादेश ए के विरुद्ध वेस्टइंडीज़ ए की टीम में उन्हें जगह मिली और वहां फिर से प्रभावित करने पर उन्हें न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध वनडे डेब्यू करने का मौक़ा भी मिला। वहीं से ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चयन का अवसर बना। घरेलू क्रिकेट से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट तक का सफ़र इस साल काफ़ी जल्दी हुआ है।
कराइया ने इस पर कहा, "आपको ज़्यादा चतुराई के साथ गेंदबाज़ी करनी होती है और अपने मन को स्पष्ट और सटीक रखना पड़ता है। इस स्तर पर ख़राब गेंद को कोई नहीं छोड़ेगा।"
हालांकि बुधवार को ज़्यादा ख़राब गेंदें दिखी नहीं। पहले दो ओवरों में उन्होंने फ़िंच और मैक्सवेल को कुल चार बार बीट किया। सबसे प्रभावशाली पहलू थी उनकी गेंदों की लंबाई, जो ऑस्ट्रेलिया के परिस्थितियों के लिए आदर्श थी।
उन्होंने कहा, "मैंने सही लंबाई भांप ली थी और अपने गेंदों को उसी हिसाब से डालना शुरू किया। यह बात भी मददगार रही कि ऑस्ट्रेलिया ने पहले गेंदबाज़ी की। मैंने देखा कि [ऐडम] ज़ैम्पा किस लंबाई पर गेंद डाल रहे थे। मैं जानता हूं कि जब मैं सही जगह पर टप्पा डालने लगता हूं तो मुझे खेलना काफ़ी कठिन हो जाता है।"
यह आत्मविश्वास उनके हीरो वॉर्न को पसंद आता। शायद कराइया में दिवंगत ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज जैसी शारीरिक भाषा और बाहरी स्वभाव ना हो, लेकिन मानसिकता में वह उन्हीं के समान हैं। ख़ासकर जब वह कहते हैं, "मैं जो भी करता हूं, जीतने के लिए करता हूं। मैं स्पर्धा के लिए नहीं खेलता। मैं सिर्फ़ जीतने के लिए खेलता हूं।"