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अच्छे दिन तो नहीं लेकिन भारत के बुरे दिन वापस ना आए तो ही बेहतर है

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने इंग्लैंड को क़ाबू में रखा

हेंडिग्ले टेस्ट का दूसरा दिन भारत के उन क्रिकेट फ़ैंस के लिए एक काफ़ी कठिन दिन रहा होगा, जिन्होंने 2015 के बाद से क्रिकेट को फ़ॉलो करना शुरू किया है। पहली पारी में 78 रन पर आउट होने के बाद विपक्षी टीम ने एक अच्छी बैटिंग पिच पर ग़ज़ब की बल्लेबाज़ी का प्रदर्शन किया। भारतीय गेंदबाज़ों को पता था कि वो इंग्लैंड के गेंदबाज़ों की तरह फ़ुलर लेंथ की गेंद नहीं फेंक सकते हैं क्योंकि अब पिच कहीं से भी गेंदबाज़ों की मदद नहीं कर रही थी। साथ ही साथ उन्हें यह भी पता था कि बल्लेबाज़ों पर रन बनाने का ज़्यादा दबाव नहीं है।
दूसरे दिन भारतीय गेंदबाज़ों का प्रदर्शन कहीं ना कहीं 2011 और 2011-12 के उस गेंदबाज़ी की याद दिला रही थी जब एक कमज़ोर आक्रमण को देखना आम हो गया था। उन दिनों ऐसा लगता था मानो भारतीय गेंदबाज़ 'सेक्रेड गेम्स' के लिए मीम बनाने की सामग्री प्रदान कर रहे थे: "उठो, नहाओ, पिटो, सो जाओ।" इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसे ही एक खराब गेंदबाज़ी वाले दिन की आशंका थी जब भारत के ज़्यादातर मुख्य गेंदबाज़ चोटिल होकर टीम से बाहर हो गए थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इशांत शर्मा के आज की गेंदबाज़ी प्रदर्शन को देख कर ऐसा लग रहा था मानो कि वो युवा क्रिकेटप्रेमियों को बता रहे हों कि देखो, 2011 और 2011-12 में किस तरह की गेंदबाज़ी होती थी और उस समय के फ़ैंस को कैसा अनुभव होता था। इसके बावजूद दूसरे दिन इंग्लैंड का स्कोर 8 विकेट के नुकसान पर 303 रन था जो एक बैटिंग पिच पर गेंदबाज़ों का बढ़िया प्रदर्शन कहा जा सकता था। ख़ास कर के अंतिम सेशन में 5 विकेट चटकाना कहीं ना कहीं भारतीय गेंदबाज़ों के लिए काफ़ी बढ़िया अनुभव रहा होगा।
केवल समस्या यह थी कि इशांत कहीं से भी अपने वास्तविक लय में नहीं दिख रहे थे। शायद पिछले 7 सालों में,टेस्ट क्रिकेट में यह उनका सबसे साधारण प्रदर्शन था।। यह जानने के लिए जीपीएस ट्रैकर्स की ज़रुरत नहीं है कि वह अपने रन-अप में धीमे थे।। गति भी कम थी। उन्होंने बिना मेडन के 22 ओवर फेंके, 2002 के बाद से इंग्लैंड में किसी भी ओपनिंग गेंदबाज़ को अपने पहले मेडेन ओवर के लिए इतना लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ा है।
मोहम्मद शमी तो अब एक ऐसे गेंदबाज़ बन गए हैं जिन्हें आप आधी रात में भी जगा देंगे तो वह गुडलेंथ एरिया में सीधी और सटीक सीम पोज़िशन के साथ गेंदबाज़ी करना शुरू देंगे। ऐसे दिनों में शमी के साथ बस एक समस्या है कि वो एक आक्रामक गेंदबाज़ हैं और लगातार विकटों पर अटैक करते रहते हैं। हालांकि आजकल वो पहले की तरह लेग स्टंप पर ज़्यादा गेंदे नहीं डालते।रॉरी बर्न्स को उन्होंने जिस तरीक़े से आउट किया वो एक सटीक सीम गेंदबाज़ी का प्रदर्शन था। जिस लेंथ और ऑफ़ स्टंप के लाइन के साथ उन्होंने उस गेंद को फेंका, वह अक्सर उसी लाइन पर गेंदबाज़ी करते हैं। जॉनी बेयरस्टो ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद को छेड़ने गए और जॉस बटलर लेग साइड के चक्रव्यूह में फंस गए।
अगर शमी ने कुछ विकटें झटक कर रन गति को कम किया तो बुमराह और भी ज्यादा व्यवस्थित थे। उन्होंने सही इलाकों में गेंद फेंका जिसके कारण उन्होंने अपने 27 ओवरों में 10 मेडेन ओवर फेंके जिसमें 2.15 की इकॉनमी से रन खर्च किया जबकि इंग्लैंड की पूरी पारी का रन दर 3.27 प्रति ओवर था।
जो रूट शायद अपने अब तक के करियर के सबसे सफलतम मुहाने पर खड़े हैं। इस सीरीज़ में वह 126.75 की औसत से रन बना रहे हैं। हालांकि बुमराह ने 33 की औसत से उन्हें तीन बार आउट किया है और तीनों बार रूट को आउट करने वाली गेंद ज़बरदस्त थी। बुमराह लगातार फ़ुलर लेंथ की गेंद फेंके बिना रूट को खेलने पर मजबूर करते रहे हैं। वह दोनों दिशाओं में गेंद को मूव कराने में सफल रहे हैं और गेंदों पर रूट कभी भी सहज नहीं रहे हैं। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था, हालांकि इस टेस्ट पर उसका ज़्यादा असर नहीं होगा। किसी भी बचाव प्रक्रिया को बल्ले से शुरू करना होगा। लेकिन यह एक के बाद एक तीन टेस्ट की शुरुआत है। दो दिनों तक लगातार फ़ील्डिंग करना भारतीय टीम के लिए काफ़ी कठिन होगा। मैदान में लगातार ख़राब दिनों के बाद श्रृंखला में वापसी करना कठिन है।
शमी ने कहा कि यह एक ऐसा दिन है जब गेंदबाज़ों की जिम्मेदारी है कि वे अपना सिर नीचा न होने दें, बल्कि बल्लेबाजों के लिए मुश्किल पैदा करने का तरीक़ा ढूंढते रहें। जहां इशांत की फ़िटनेस और फ़ॉर्म चिंता का विषय होगा। वहीं टीम के दो बड़े तेज़ गेंदबाज़ों ने परिस्थितियों और मैच की स्थिति को देखते बढ़िया गेंदबाज़ी का मुज़ाहिरा किया।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।