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मोंगा - क्या पिच को पढ़ने में विराट कोहली से हुई बड़ी चूक?

हेडिंग्ले से परिचित जो रूट टॉस हार कर भी काफ़ी ख़ुश थे

विराट कोहली ने हेडिंग्ले टेस्ट से एक दिन पहले पिच पर घास की कमी पर आश्चर्य जताया था। शायद वह यह संकेत देना चाहते थे कि इंग्लैंड पर इतना मनोवैज्ञानिक दबाव है कि उन्हें अपने पारंपरिक सीम बोलिंग की शक्ति पर भरोसा नहीं रहा। उसके बाद आप टॉस जीतते हैं और पहले दिन के खेल के बाद बिना कोई विकेट लिए मैच में पिछड़ जाते हैं, वो भी 2010 के बाद टेस्ट इतिहास में पहली बार।
यह कहना अतिशोक्ति नहीं है कि भारत के इस टीम के खिलाड़ियों ने एक नए मैदान पर टेस्ट खेलते हुए परिस्थितियों को ठीक से नहीं पढ़ा। भारत के बल्लेबाज़ी के समय इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ों ने सीरीज़ में अद्वितीय सीम और स्विंग का नमूना दिखाया। बाद में पिच इतनी सपाट दिखी कि भारतीय गेंदबाज़ों ने औसतन ओवर में सिर्फ़ एक बार भी बल्लेबाज़ से ग़लती नहीं करवाई, जबकि भारतीय बल्लेबाज़ों ने एक ओवर में औसतन 1.75 बार ग़लतियां की। विकेट छोड़िए, अगर आप का विपक्षी आप से एक ही दिन के खेल में आप से इतने अंतर पर है, तो यक़ीनन आपसे परिस्थितियों को पढ़ने में ग़लती हुई है।
जो रुट से बेहतर हेडिंग्ले की पिच को शायद ही कोई जानता हो और वह भी टॉस हार कर ख़ुश ही थे। उन्होंने सतह को "टैकी" कहा, मतलब जहां गेंद बल्ले तक रुक के आए। इसी वजह से वह भी पहले गेंदबाज़ी या बल्लेबाज़ी करने के बारे में आश्वस्त नहीं थे।
काफ़ी यादगार जीतों में भारत ने मुश्किल हालात में पहले बल्लेबाज़ी चुनी है, चाहे वो 2002 हेडिंग्ले हो या हालिया सालों में जोहानसबर्ग। बतौर कप्तान आपको दोनों पहलू को सोचना पड़ता है कि क्या आख़िर में गेंदबाज़ी करने के लिए सबसे मुश्किल वक़्त पर आप बल्लेबाज़ी करने के लिए तैयार हैं? कोहली के भारतीय टीम को हालात और टीम चयन से परे होकर खेलने का माद्दा रखने में गर्व है लेकिन बुधवार को उन्हें उम्मीद थी कि उनकी बल्लेबाज़ी विकेट में नमी के बावजूद टिक जाएगी या उनके ऑल आउट होने के बाद भी पिच में मदद मिलेगी। दोनों ही नहीं हुआ और पहले बल्लेबाज़ी के फ़ैसले पर फिर से सवालिया निशान खड़े होने लगे।
उनके सामने स्विंग के मास्टर जेम्स एंडरसन थे। एंडरसन की आदत है गेंद को बाहर निकालना। यहां उन्होंने अधिकतर गेंदों को अंदर के कोण में डाला और ऐसे ही केएल राहुल को खेलने पर मजबूर किया। इस दौरे पर राहुल की ख़ासियत रही है कि उन्होंने शुरुआती खेल में कई गेंदों को छोड़ा है। क्या उनका ड्राइव एक संकेत था कि उन्होंने इस पिच को सही नहीं पढ़ा?
चेतेश्वर पुजारा भी आउट होने के तरीके से निराश होने चाहिए। उनकी गेम में और कुछ ठीक हो न हो, अपने शरीर से दूर बल्ला चलाना उनकी आदत नहीं है लेकिन इंग्लैंड में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल से लेकर अब तक वह ऑफ़ स्टंप के बाहर गेंद को छेड़ते हुए लगातार आउट हो रहें हैं। ऐसे ही कोहली भी ड्राइव लगाते हुए आउट हुए। यह एक महान बल्लेबाज़ का पसंदीदा शॉट है जो वो किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाह रहे। कोहली बनाम ड्राइव इस सीरीज़ में आगे भी देखने को मिल सकता है।
ऋषभ पंत का आउट होने का तरीक़ा कुछ नया नहीं था। बस यह बात थी कि सिडनी की तरह उनको क़िस्मत से कोई सहारा नहीं मिला। राहुल, पुजारा, कोहली और पंत के अलावा कोई ऐसे विकेट नहीं गिरे जो सीम और स्विंग के लिए अनुकूल सतह पर न दिखें।
भारत ने दरअसल एक ऐसा दिन देखा जब सब कुछ उनके विपरीत रहा, और जहां 71 ग़लतियों से उनके 10 विकेट गिरे वहीं इंग्लैंड ने 34 ग़लतियां करते हुए भी एक भी विकेट नहीं गंवाया। भारत को गेंदबाज़ी में पैनापन बढ़ाना ही होगा। टेस्ट क्रिकेट में बल्ले से एक ख़राब दिन से वापसी करना उतना मुश्किल नहीं है जितना दो लगातार दिन साधारण गेंदबाज़ी करने से मुश्किलें खड़ी होंगी।

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के अस्सिटेंट एडिटर हैं।अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड देबायन सेन ने किया है।