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चार दिन, चार कहानियां - कैसे भारतीय टीम ने विशाखापटनम में लिखी जीत की पटकथा

दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम पहले तीन दिन तक व्यक्तिगत प्रदर्शनों पर निर्भर रही लेकिन चौथे दिन की कहानी कुछ और ही थी

घरेलू टेस्ट सीरीज़ में पहला टेस्ट हारो और फिर वापसी करो - भारतीय टीम के लिए कहानी काफ़ी आम होती जा रही है। 2010 के बाद से ऐसा चार बार हो चुका है कि भारत ने घरेलू टेस्ट सीरीज़ का पहला मैच गंवाया है और फिर उन्होंने वापसी की है। 2010 में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़, 2017 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ और 2021 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भारत ये कारनामा पहले कर चुकी था और अब फिर से इंग्लैंड के ही ख़िलाफ़ मौजूदा टेस्ट सीरीज़ में भी यही देखने को मिला है।
हैदराबाद में मिली हार के बाद भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज़ को बराबरी पर लाने के लिए कमाल का प्रदर्शन करते हुए, इंग्लैंड की टीम को 106 रनों से हरा दिया। चार दिन तक चले इस टेस्ट मैच में चार ऐसी कहानियां हैं, जिसने भारत को जीत दिलाने का काम किया। आइए उनपर डालते हैं एक नज़र।
पहला दिन - जायसवाल का यशस्वी प्रदर्शन
भारत को मिली जीत के बाद कोच राहुल द्रविड़ ने कहा था,"हम दबाव में थे लेकिन कुछ व्यक्तिगत प्रदर्शनों के कारण हम मैच में बने रहे।"
पहली पारी के दौरान एक तरफ़ से लगातार विकेट गिरते जा रहे थे लेकिन दूसरी तरफ़ यशस्वी जायसवाल थमने का नाम नहीं ले रहे थे। 'Man on a mission' वाली बात पूरी तरह से चरितार्थ हो रही थी। पहले दिन का खेल जब ख़त्म हुआ तो भारत का स्कोर 336 था और यशस्वी 179 पर नाबाद थे, जिसे बाद में उन्होंने एक बेहतरीन दोहरे शतक में भी तब्दील किया। उनकी इसी पारी की बदौलत भारत पहली पारी में 396 के स्कोर तक पहुंचने में सफल रहा और मैच में यह काफ़ी अहम साबित हुआ।
हालांकि पहली पारी में यशस्वी के बाद दूसरा सबसे बड़ा निजी स्कोर 34 था, जो शुभमन गिल ने बनाया था। यह भारतीय बल्लेबाज़ी के लिए निश्चित रूप से एक चिंता की बात है, जहां व्यक्तिगत प्रदर्शन तो देखने को मिल रहा है लेकिन एक यूनिट की तौर पर टीम बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर रही है।
दूसरा दिन - बूम-बूम का काउंटर अटैक
15.5 ओवर 5 मेडन 45 रन और छह विकेट, निश्चित रूप से पहली नज़र में यह आंकड़े काफ़ी बेहतरीन दिखते हैं। हालांकि यह कहानी ऐसे शुरू नहीं हुई। इंग्लैंड की टीम जब बल्लेबाज़ी करने उतरी तो उन्होंने जसप्रीत बुमराह के ख़िलाफ़ उनके पहले स्पेल में ख़ूब रन बनाए। पहले पांच ओवर में बुमराह ने 25 रन ख़र्च किए थे और उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी।
हालांकि लंच के बाद जब खेल शुरू हुआ तो गेंदबाज़ी की शुरुआत मुकेश कुमार ने की और बुमराह को यह संदेश आया कि गेंद रिवर्स स्विंग कर रही है। उस वक़्त तक गेंद काफ़ी हद तक सख़्त भी थी और बुमराह ने इसका पूरा फ़ायदा उठाया। इस स्पेल में उन्होंने 10.5 ओवर की गेंदबाज़ी की और सिर्फ़ 20 रन देकर छह विकेट हासिल किए। सबसे अहम बात यह थी कि इन छह विकेटों में जो रूट, ओली पोप, जॉनी बेयरस्टो और बेन स्टोक्स विकेट शामिल था। मतलब साफ़ थी इंग्लैंड के प्रमुख बल्लेबाज़ों को बुमराह ने भारत के पहली पारी के स्कोर के आस-पास पहुंचने का कोई मौक़ा ही नहीं दिया और भारत को बड़ी बढ़त मिल गई।
तीसरा दिन - शुभमन ने की वापसी
विशाखापटनम टेस्ट से पहले नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करते हुए,नौ पारियों में गिल का उच्चतम स्कोर 36 का था। ऐसे में साफ़ था कि गिल पर रन बनाने का दबाव है और मैच के बाद उन्होंने यह कहा भी कि वह इस टेस्ट की पहली पारी तक अपने प्रदर्शन से काफ़ी निराश थे।
पहली पारी में भारत को बढ़त तो मिल गई थी लेकिन इसे कम से कम 400 के क़रीब लेकर जाना था। तब ही भारत इस मैच को जीतने की सोच सकता था। दूसरी पारी में भारत की शुरुआत कुछ ख़ास नहीं रही और 30 के स्कोर पर ही रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल पवेलियन जा चुके थे। ऐसे में भारत को फिर से पहली पारी की तरह एक ऐसे बल्लेबाज़ की ज़रूरत थी, जो लगातार विकेटों के पतन के बीच एक बड़ी पारी खेली।
कुल मिला कर ख़राब फ़ॉर्म में चल रहे शुभमन गिल की सुपर हिट पारी के लिए स्टेज पूरा सेट था और वह इसमें क़ामयाब भी रहे। गिल ने आक्रामक और रक्षात्मक क्रिकेट को एकदम सटीक तरीक़े से बैलेंस करते हुए, ठीक उसी तरह से बल्लेबाज़ी की, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। उन्होंने 132 गेंदो में 11 चौके और दो सिक्सर की मदद से अपना शतक पूरा किया। उनकी इस पारी की बदौलत ही भारत 399 रनों की लीड तक पहुंचने में सफल रहा। हालांकि जिस तरह का शॉट (रिवर्स स्वीप) लगा कर वह आउट हुए, उससे अभी भी वह काफ़ी निराश होंगे।
चौथा दिन - अब व्यक्तिगत प्रदर्शन से काम नहीं चलता
भारत के 399 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, इंग्लैंड की शुरुआत अच्छी रही और तीसरे दिन का खेल ख़त्म होने तक उन्होंने एक विकेट के नुक़सान पर 67 रन बना लिए थे।
पिच के मिज़ाज को देखेते हुए एक बात तो तय थी कि अगर भारत इंग्लैंड पर पूरी तरह से दबाव बनाना चाहता है तो पूरी टीम को अपना योगदान देना होगा। चौथे दिन भी इंग्लैंड ने लक्ष्य की तरफ़ तेज़ी से पैर दौड़ाए लेकिन अक्षर पटेल ने रेहान अहमद का विकेट निकाल कर भारत को दिन की पहली सफलता दिलाई।
इसके बाद रोहित शर्मा ने अश्विन की गेंद पर स्लिप में बाईं तरफ़ डाइव करते हुए कमाल का कैच लपका, जिसके कारण ओली पोप को पवेलियन वापस लौटना पड़ा। इस पारी में भारतीय टीम एक एक यूनिट के तौर पर बढ़िया प्रदर्शन करने में सफल रही। रोहित के शानदार कैच के अलावा ग्राउंड फ़ील्डिंग में भी भारतीय फ़ील्डरों ने काफ़ी रन बचाए और श्रेयस अय्यर ने तो बेन स्टोक्स को रन आउट कर के मैच को लगभग भारत की तरफ़ मोड़ दिया।
पहली पारी के उलट दूसरी पारी में सभी गेंदबाज़ों ने विकेट निकाले। बुमराह और अश्विन ने 3-3 विकेट लिए, इसके अलावा सभी गेंदबाज़ों को एक-एक विकेट मिला। हालांकि अभी भी भारत इस उलझन में रहेगा कि उनका दूसरा तेज़ गेंदबाज़ कौन हो, क्योंकि मुकेश कुमार की गेंद के साथ कुछ ख़ास नहीं दिखे।

राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं