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क्यों यशस्वी की जगह बुमराह बने प्लेयर ऑफ़ द मैच?

यशस्वी का दोहरा शतक नहीं होता तो भारत पहली पारी में इंग्लैंड पर बढ़त ही नहीं बना पाता

"जब भी मैं कॉमेंट्री करता हूं और जब हमारे पास प्लेयर ऑफ़ द मैच देने की ज़िम्मेदारी आती है तो मैं हमेशा यह सोचता हूं कि मैच में सबसे ज़्यादा कंट्रीब्यूशन किसने किया। यशस्वी जायसवाल ने ज़रूर किया, शुभमन गिल की अगर पारी नहीं होती तो क्या होता? यशस्वी जायसवाल की पारी 200 रन की ना होकर 50 रन की पारी होती तो क्या होता?...." - संजय मांजरेकर
विशाखापटनम टेस्ट का नतीजा जब भारतीय टीम के पक्ष में झुका तब यह सवाल तमाम क्रिकेट प्रशंसकों के मन में ज़रूर रहा होगा कि आख़िर मैच का हीरो यानी प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड किसे दिया जाएगा? भारतीय टीम की ओर से इस अवॉर्ड के लिए दो बड़े दावेदार थे।
सामने यशस्वी जायसवाल का दोहरा शतक था जो कि भारतीय टीम की पहली पारी के दौरान आया था। तो दूसरी तरफ़ जसप्रीत बुमराह थे जिनकी दोनों ही पारियों में की गई धारदार गेंदबाज़ी की बदौलत भारत ने पहले इंग्लैंड को 143 रन पीछे छोड़ दिया था और चौथी पारी में लक्ष्य से 106 रन कम पर रोक दिया था।
सवाल है कि मैच के नतीजे में सबसे बड़ा फ़र्क़ किसने पैदा किया था? जायसवाल के दोहरा शतक में अधिकतर रन पहले दिन बल्लेबाज़ी करते हुए आए थे। उस समय जब पिच बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल थी। लेकिन जैसा कि ESPNcricinfo के मैच डे हिंदी शो में संजय मांजरेकर ने भी कहा कि उनके अनुसार विशाखापटनम की पिच एक आदर्श पिच थी जो कि दोनों टीमों के लिहाज़ से मुफ़ीद थी।
हालांकि लेवल प्लेइंग फ़ील्ड होने के बावजूद पहली पारी में जायसवाल के अलावा भारत का कोई अन्य बल्लेबाज़ 40 के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाया था। जायसवाल के 209 रन के अलावा भारतीय टीम की ओर से सर्वोच्च स्कोर 34 रन था जो शुभमन गिल के बल्ले से आए थे। दूसरी पारी में भी गिल के शतक के बाद भारतीय टीम की ओर से सर्वोच्च स्कोर अक्षर पटेल (45) ने बनाया। विपक्षी टीम की तरफ़ से भी मैच में सर्वोच्च स्कोर ज़ैक क्रॉली (76) के बल्ले से आए थे जो उन्होंने पहली पारी के दौरान बनाए थे, क्रॉली ने दूसरी पारी में भी अपनी टीम की ओर से सर्वश्रेष्ठ 73 रन बनाए।
अगर जायसवाल का दोहरा शतक भारतीय टीम के स्कोरकार्ड से एक बार के लिए हटा दिया जाए तो भारत पहली पारी में ना सिर्फ़ इंग्लैंड से पिछड़ जाता बल्कि इंग्लैंड के हाथों उसे हार भी झेलनी पड़ सकती थी। इंग्लैंड भले ही यह मैच 106 रन के अंतर से हारा लेकिन भारत की दूसरी पारी की तुलना में इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी में 37 रन ज़्यादा बनाए थे, वह भी तब जब भारत की दूसरी पारी में शुभमन गिल के बल्ले से शतक आया था।
भले ही टेस्ट क्रिकेट का स्वरूप पाई(π) के मान (3.14159263...) में दशमलव के बाद आने वाले अंकों की संख्या जितना असीमित नहीं होता लेकिन यह सीमित ओवरों के खेल की तरह सिर्फ़ एक पारी, कुछ घंटों, ओवरों की तय संख्या तक भी सीमित नहीं होता।
अगर जायसवाल के दोहरा शतक की बदौलत भारत ने पहली पारी में इंग्लैंड के ऊपर बढ़त ली थी तो इसे मुमकिन करने में सबसे बड़ा योगदान बुमराह का था जो कि मैच की अंतिम पारी और चौथे दिन तक जारी रहा था।
तीसरे दिन का खेल जब शुरु हुआ तो विशाखापटनम के मैदान पर धूप आंख मिचौली का खेल खेल रही थी। भारत बिना कोई विकेट खोए इंग्लैंड से 171 रन आगे था। एंडरसन ने पहले घंटे में ही भारत के दो स्तंभ उखाड़ दिए थे और इसी का नतीजा था कि गिल के शतक के बावजूद भारत इंग्लैंड को सिर्फ़ 399 का लक्ष्य दे पाया। एंडरसन भारत इंग्लैंड टेस्ट इतिहास में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं लेकिन इंग्लैंड और भारतीय सरज़मीं पर एंडरसन के आंकड़ों में ज़मीन आसमान का फ़र्क है। बुमराह के साथ भी ऐसी ही स्थिति थी, उनके पास एंडरसन की तुलना में भारत में टेस्ट खेलने का कम अनुभव था
बुमराह ने पहली पारी में दो अहम ब्रेकथ्रू उस समय दिलाए थे जब इंग्लैंड अपनी पहली पारी में संघर्ष पर विजय प्राप्त करने की ओर बढ़ चुकी थी। बुमराह ने ऑली पोप और जॉनी बेयरस्टो का विकेट चटकाया था।
"... लेकिन आप बुमराह को निकाल दीजिए दोनों इनिंग (पारियों) में कि अगर वो ना होते तो क्या होता? अगर उनका प्रदर्शन नहीं होता तो अगर भारत की हार होती तो यह बुमराह का प्रदर्शन ना होने की वजह से होती। इसलिए मैं इस निर्णय से सहमत हूं। क्योंकि दोनों पारियों में उनका इंपैक्ट बेहतर था।" - मांजरेकर
प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड, जीत या हार की तरह नहीं होता जो इसे साझा नहीं किया जा सकता। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट और ख़ासकर टेस्ट क्रिकेट में भी कई ऐसे अवसर आए हैं जब एक ही टीम के दो खिलाड़ियों या दो अलग अलग टीमों के खिलाड़ियों को प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड दिया गया है। तीन खिलाड़ियों को भी एक ही मैच में प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड दिया जा चुका है। एक ऐसा भी अवसर आया था जब किसी एक पूरी टीम को ही प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवॉर्ड दे दिया गया था और एक बार तो किसी खिलाड़ी या टीम को ही नहीं बल्कि ग्राउंड्समैन को अवॉर्ड दिया गया था
गॉल टेस्ट में वीरेंद्र सहवाग ने भी दोहरा शतक लगाया था, हरभजन सिंह ने कुल 10 विकेट लिए थे लेकिन प्लेयर ऑफ़ द मैच सहवाग बने थे। 2010 में खेले गए मोहाली टेस्ट में चोटिल वीवीएस लक्ष्मण ने इशांत शर्मा और प्रज्ञान ओझा के साथ मिलकर अंतिम पारी में 73 रन बनाकर भारत को जीत दिलवाई थी लेकिन प्लेयर ऑफ़ द मैच ऑस्ट्रेलिया के आठ बल्लेबाज़ों को पवेलियन लौटने वाले ज़हीर ख़ान बने थे। या इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ही चेन्नई में ही सचिन तेंदुलकर के शतक लगाने के बावजूद सहवाग को प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना नहीं गया था?
ऐसा पांच वर्षों के बाद हुआ था जब रविचंद्रन अश्विन ने किसी पारी में एक भी विकेट नहीं लिया था और ऐसा पांच वर्षों बाद ही हुआ है जब भारतीय सरज़मीं पर खेले गए किसी टेस्ट मैच में किसी तेज़ गेंदबाज़ को प्लेयर ऑफ़ द मैच चुना गया था।