अंडर-19 विश्व कप में मुशीर दो शतक लगा चुके हैं • ICC/Getty Images
मुशीर ख़ान को 19 साल का होने में सिर्फ़ तीन सप्ताह बचा है। इस उम्र में टीनएजर्स अपने माता-पिता से बचने लग जाते हैं, लेकिन मुशीर उन सबसे अलग हैं।
मुशीर के अब्बू (पिता) मुशीर के लिए हफ़्ते के हर एक दिन की योजना बनाते हैं। उनकी ज़िंदगी मुंबई के मैदानों के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां नौशाद ख़ान, नेट गेंदबाज़ों और थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट्स को मुशीर की कमज़ोरी पर निशाना साधने को बोलते हैं। उनका अभ्यास सत्र लगातार चलता रहता है।
जब मुंबई में बारिश होती है तो वे गीले टेनिस गेंदों से शॉर्ट गेंदों का अभ्यास करते हैं। वहीं मुंबई में बहुत अधिक गर्मी पड़ने पर वे अपने गृहनगर उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ चले आते हैं और वहां छत पर पैक्टिस करते हैं।
मुशीर और उनके बड़े भाई सरफ़राज़ ख़ान के लिए कई बार बुरा दौर भी आया और वे कभी-कभी क्रिकेट से दूर भी रहे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वे प्रैक्टिस से भी दूर थे।
अब नौशाद के दोनों बेटे भारत के लिए अलग-अलग स्तर पर क्रिकेट खेलने में व्यस्त हैं, तब नौशाद को जाकर कुछ खाली समय मिला है। जहां मुशीर अपने बड़े भाई के नक़्शेकदम पर चलते हुए अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में धमाल मचा रहे हैं, वहीं सरफ़राज़ इंडिया ए टीम में धमाकेदार प्रदर्शन करने के बाद भारतीय टेस्ट टीम में जा पहुंचे हैं। सरफ़राज़ ने एक दशक पहले 2014 अंडर-19 विश्व कप में हिस्सा लिया था, तब मुशीर ने उनके हर मैच को स्टैंड से देखा था।
अंडर-19 विश्व कप की चार पारियों में मुशीर के नाम दो शतक और एक अर्धशतक है, जबकि वह अपनी बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज़ी से तीन पारियों में सिर्फ़ 2.89 की इकॉनमी से रन देते हुए 17 की औसत से चार विकेट भी ले चुके हैं। पिछले सप्ताह बांग्लादेश अंडर-19 के ख़िलाफ़ शतक लगाने के बाद उन्होंने मंगलवार देर शाम न्यूज़ीलैंड अंडर-19 के ख़िलाफ़ भी शानदार शतक लगाया।
मुशीर एक मेहनती क्रिकेटर हैं और वह रनों का पहाड़ खड़ा करने की क्षमता रखते हैं। वह पहले क्रीज़ पर पैर जमाते हैं और फिर अपने बड़े भाई की तरह स्वीप और स्कूप खेलना जानते हैं। उन्हें शॉर्ट गेंदों का भी सामना करने आता है और उनका बैकफ़ुट गेम भी शानदार है। हाल ही में ICC ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक वीडियो डाला था, जिसमें सरफ़राज़ और मुशीर के स्ट्रोक मेकिंग के बीच कई समानताएं दिखाई गई थीं।
बेंगलुरु में 2022 की गर्मियों में रणजी ट्रॉफ़ी के नॉकआउट मैचों के दौरान ESPNcricinfo ने उनसे बात की थी। तब मुशीर ने अंडर-19 कूच बेहार ट्रॉफ़ी में शानदार प्रदर्शन कर मुंबई रणजी टीम में जगह बनाई थी। उन्होंने कूच बेहार ट्रॉफ़ी में 632 रन बनाने के साथ-साथ 32 विकेट भी लिए थे और अपनी टीम मुंबई को फ़ाइनल में पहुंचाया था।
उस समय मुशीर केवल 17 साल के थे और उनके चेहरे पर हल्की सी भी दाढ़ी नहीं थी। वह मुंबई टीम के रिज़र्व में थे, लेकिन अपने भाई और पिता के साथ ट्रेनिंग करने के कारण परिपक्वता उनमें साफ़ दिख रही थी। तब उनके पास कोई मोबाइल भी नहीं था, क्योंकि अब्बू नहीं चाहते थे कि उनका ध्यान कहीं 'भटके'।
उनके किट के एक चेन में थोड़े से नगद पैसे पड़े होते थे, ताकि कभी ज़रूरत के समय काम आ सके। बाक़ी फ़्लाइट, होटल बुकिंग की अन्य जानकारियां उन्हें अपने भाई या टीम मैनेजर से मिल जाती थी। यह क्रिकेट पर फ़ोकस रखने का उनके अब्बू का तरीक़ा था।
मुशीर का अपने बड़े भाई के साथ भी बेहतरीन संबंध है। सरफ़राज़ एक प्रोटेक्टिव और पज़ेसिव बड़े भाई हैं। मुशीर भी अपने भाई के साथ ही रहना पसंद करते हैं। जब इस रिपोर्टर ने मुशीर से बात की तो ये दोनों टेबल टेनिस खेलने जा रहे थे। चूंकि तब तक मुशीर की बल्लेबाज़ी का कोई वीडियो नहीं था, इसलिए सरफ़राज़ उनकी बल्लेबाज़ी के बारे में बताते हैं।
सरफ़राज़ कहते हैं, "वह मेरे से बढ़िया बल्लेबाज़ है। मैं ऐसा इसलिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि वह मेरा भाई है। कई बार मैं भी संघर्ष करता हूं और फिर उसकी तकनीक देखकर ख़ुद में आत्मविश्वास लाता हूं। उसका तरीक़ा, बैट फ़्लो सब बेहतरीन है। कई बार जब मैं अच्छी बल्लेबाज़ी नहीं कर रहा होता हूं, तो मैं उसको देखकर सीखता हूं।"
शुरुआत में मुशीर बस गेंदबाज़ी किया करते थे, लेकिन नौशाद चाहते थे कि उनका खिलाड़ी क्रिकेट के हर पक्ष, हर पहलूओं पर काम करे। नौशाद सरफ़राज़ को ट्रेनिंग देते ही थे, यह ट्रेनिंग ही उन्हें मुशीर को भी बल्लेबाज़ बनाने के काम आया।
सरफ़राज़ ने कहा, "प्रैक्टिस के दौरान नेट्स में अगर मैं 300 गेंदें खेलता हूं, तो मुशीर भी गेंदबाज़ी के बावजूद 300 गेंदें खेलता है। हमारा मझला भाई मोईन हम लोगों को थ्रोडाउन देता है। घर में पहले से दो क्रिकेटर हैं तो मोईन अब हमारा ट्रेनर बन गया है।"
क्या आप दोनों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है?
सरफ़राज़ ने बताया, "मुशीर का रिवर्स स्वीप मुझसे बेहतर है। स्वीप मेरा अच्छा है क्योंकि मैं अपने अनुभव के बल पर बेहतर निर्णय ले लेता हूं कि कब स्वीप खेलना है और कब नहीं। मैं हमेशा चाहता हूं कि वह मुझसे बेहतर करे। जब वह गेंदबाज़ी और मैं बल्लेबाज़ी करता हूं तो हमारे बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती है।"
हालांकि ऐसा हमेशा नहीं होता है।
सरफ़राज़ बताते हैं, "जब मुशीर बहुत छोटा था और मैं अंडर-19 क्रिकेट खेल रहा था तो हम मैच की परिस्थितियों के अनुसार अभ्यास करते थे। एक दिन अब्बू ने उससे गेंदबाज़ी करने को कहा और मैंने उसको एक ही ओवर में तीन चौके और तीन छक्के जड़ दिए। मुशीर रोने लगा। हमने उसका मज़ाक भी बनाया। तब अब्बू ने कहा था कि हमें उसे मज़बूत बनाना है। जब तक दिल पे नहीं लगेगा, वह नहीं सीखेगा। तब से मुशीर की गेंदबाज़ी में बहुत सुधार आया है। एक गेंदबाज़ मार खाकर ही सीखेगा ना? मैं तो उसे छक्का मारने के बाद स्लेज़ भी करता हूं। (हंसते हुए)"
इसके बाद शर्मीले मुशीर भी थोड़ा खुलते हैं। "भाई के दिमाग़ के साथ खेलना पड़ता है। उसके पास ढेर सारे शॉट्स हैं। आपको उसके धैर्य के साथ खेलना होता है। उसको ऑफ़ स्टंप के काफ़ी बाहर फ़ुल फ़्लाइटेड गेंद फेंको, स्लॉग स्वीप करवाओ और शॉर्ट फ़ाइन लेग पर कैच करा दो।"
इस पर दोनों भाई खिलखिलाकर हंस पड़ते हैं और हाई फ़ाइव करते हैं। इन दोनों भाईयों के बीच नोक-झोंक चलता रहता है। इसके अलावा इनके बीच क्रिकेट, तकनीक, प्रैक्टिस, मैच और रनों की बातें होती रहती हैं। दोनों के दिल में अपने अब्बू के लिए बहुत सम्मान है। कई बार ऐसा भी लगता है कि इनकी क्रिकेट से बाहर कोई दुनिया ही नहीं है।
"मुशीर का रिवर्स स्वीप मुझसे बेहतर है। स्वीप मेरा अच्छा है क्योंकि मैं अपने अनुभव के बल पर बेहतर निर्णय ले लेता हूं कि कब स्वीप खेलना है और कब नहीं। मैं हमेशा चाहता हूं कि वह मुझसे बेहतर करे। जब वह गेंदबाज़ी और मैं बल्लेबाज़ी करता हूं तो हमारे बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती है।"
सरफ़राज़ ख़ान
कोरोना लॉकडाउन के दौरान नौशाद अपने बच्चों के साथ मुंबई से आज़मगढ़ की 1600 किलोमीटर की लंबी कार यात्रा कर अपने गांव आ गए थे। इसके बाद नौशाद ने सुनिश्चित किया कि उनके बेटों का हर एक दिन लॉकडाउन के साथ गुज़रे।
सरफ़राज़ ने बताया, "इस लंबी यात्रा के दौरान अब्बू ने मुझे थोड़ी भी देर गाड़ी चलाने नहीं दिया। वह चाहते थे कि हम आराम करें ताकि उसके बाद होने वाली कठिन ट्रेनिंग में तरोताज़ा होकर हिस्सा ले सके। वह यात्रा एक दिन में ही समाप्त हो सकती थी, अगर हम नॉन स्टॉप चलते। लेकिन वह यात्रा 10-12 दिनों तक चली। हम यात्रा के बीच में भी ट्रेनिंग करते थे।"
मुशीर ने बताया, "मुझे शीशा तोड़ने के लिए नहीं ख़राब शॉट खेलने के लिए डांट पड़ी है, मार भी पड़ा है। घर पर वह अब्बू हैं, मैदान पर हम उन्हें कोच ही कहते हैं।"
पिछले दो सालों में मुशीर ने एक लंबी यात्रा तय कर ली है। अब वह शर्मीला लड़का मैदान पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगा है। वह अब एक मुस्कुराता हुआ गेंदबाज़ है, जो बल्लेबाज़ों के दिमाग़ से खेलना जानता है। स्लिप में फ़ील्डिंग करते हुए वह अपने साथी गेंदबाज़ों और कप्तान को चिल्लाकर सलाह भी देता है। अब यह शर्मीला लड़का इंटरव्यू में भी खुलकर बोलता है, डांस मूव भी करता है और अपने साथियों व बॉलीवुड हीरोज़ की नक़ल भी उतारता है।