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बेटे सरफ़राज़ की यात्रा में पिता नौशाद का योगदान

सरफ़राज़ ख़ान ने अपनी डेब्यू पारी में 62 रन बनाए

Debutant Sarfaraz Khan hugs his father after getting his Test cap, India vs England, 3rd Test, Rajkot, 1st day, February 15, 2024

डेब्यू कैप मिलने के बाद अपने पिता से मिलते सरफ़राज़  •  BCCI

राजकोट में गुरुवार को जब सूरज निकला तब उसने सरफ़राज़ ख़ान के सपनों को पंख दे दिए। सरफ़राज़ को निरंजन शाह क्रिकेट स्टेडियम में पूर्व भारतीय क्रिकेटर अनिल कुंबले ने डेब्यू कैप दी। सरफ़राज़ का डेब्यू उनके लिए भावुक क्षण तो था ही लेकिन बाउंड्री लाइन के आसपास मौजूद उनके पिता नौशाद ख़ान का भी एक सपना पूरा हो रहा था जो उन्होंने अपनी आंखों से सरफ़राज़ के लिए देखा था।
कुंबले ने सरफ़राज़ को डेब्यू कैप देते हुए कहा, "जिस तरह आपने संघर्ष किया है उसे देखकर मुझे आप पर गर्व है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि जो आपने हासिल किया है उसे देखकर आज आपके पिता और आपके परिवार को भी आप पर गर्व हो रहा होगा।"
कुंबले द्वारा डेब्यू कैप दिए जाने के तुरंत बाद ही सरफ़राज़ अपना डेब्यू कैप लिए अपने पिता की तरफ़ दौड़ पड़े, जिनके साथ सरफ़राज़ की पत्नी भी मौजूद थीं। नौशाद और सरफ़राज़ की पत्नी की आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे। जैसे ही सरफ़राज़ ने अपने पिता को अपना डेब्यू कैप थमाया, उन्होंने उसे चूमते हुए अपने बेटे को आशीर्वाद दिया।
ख़ुद सरफ़राज़ ने बीसीसीआई टीवी से अपनी सफलता में पिता के योगदान का ज़िक्र करते हुए कहा, "बीच में मेरे आंख से आंसू आने लगे थे कि अब भारतीय टीम से बुलावा आएगा, लेकिन उस दौरान अब्बू ने लगातार मेरा हौसला बढ़ाया, उन्होंने मुझसे यही कहा कि तुम बस मेहनत करते रहो, तुम्हें कोई नहीं रोक सकता।"
नौशाद सरफ़राज़ का हौसला तो लगातार बढ़ा रहे थे लेकिन वह ख़ुद भी सरफ़राज़ को मौक़ा मिलने में हो रही देरी के चलते चिंतित थे। नौशाद ने बीसीसीआई टीवी से कहा, "जो मेरा ख़्वाब है वो आंखों का हिस्सा क्यों नहीं होता?, दिए हम भी जलाते हैं उजाला क्यों नहीं होता? लेकिन आज मेरी सोच बदल गई है और वो तमाम बच्चे जो मेहनत कर रहे हैं उन्हें यही संदेश देना चाहता हूं कि मेहनत करते रहने का देर सवेर ही सही लेकिन परिणाम ज़रूर मिलता है।"
सरफ़राज़ 2020-21 के सीज़न से ही लगातार घरेलू सर्किट में अच्छा कर रहे थे। एक के बाद एक उनके बल्ले से शतक लग रहे थे लेकिन भारतीय टीम का दरवाज़ा उनके लिए अभी भी खुलना बाक़ी था।
हालांकि सरफ़राज़ ने उम्मीद नहीं छोड़ी और लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे। प्रथम श्रेणी में सरफ़राज़ के नाम 14 शतक हैं और 69.12 की औसत से उन्होंने 3912 रन बनाए हैं। इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें भारतीय टीम का बुलावा आया। दूसरे टेस्ट में सरफ़राज़ को खेलने का तो मौक़ा नहीं मिला लेकिन तीसरे टेस्ट में केएल राहुल की अनुपस्थिति में उन्हें डेब्यू करने का मौक़ा मिल गया।
जियो सिनेमा पर नौशाद ने सरफ़राज़ को मौक़ा मिलने में हुई देरी के सवाल पर यही कहा कि सूरज अपनी मर्ज़ी से ही निकलता है। हालांकि गुरुवार को भी सूरज अपनी मर्ज़ी से ही निकला था लेकिन अब उसकी किरणें सरफ़राज़ के उदय का पैग़ाम भी लेकर आईं थीं।
नौशाद ने आकाश चोपड़ा के सवाल का जवाब एक शेर से देते हुए कहा, "रात को वक्त चाहिए गुज़रने के लिए, लेकिन सूरज मेरी मर्ज़ी से नहीं निकलने वाला।"
सरफ़राज़ जब बल्लेबाज़ी करने आए तब कप्तान रोहित शर्मा शतकीय पारी खेलकर पवेलियन लौट गए थे। हालांकि अपनी डेब्यू पारी में उनके ऊपर रवींद्र जाडेजा के साथ अच्छी साझेदारी बनाने की ज़िम्मेदारी थी। सरफ़राज़ ने अंतर्राष्ट्रीय करियर का खाता तीन रन दौड़कर ज़रूर खोला लेकिन थोड़ी ही देर बाद मैदान पर उन्होंने बाउंड्री की झड़ी लगा दी। सरफ़राज़ भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में अपने टेस्ट डेब्यू पर सबसे तेज़ अर्धशतक बनाने वाले बल्लेबाज़ों में से एक बन गए। उन्होंने महज़ 48 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। हालांकि 62 के निजी स्कोर पर रन आउट होने पर उनका शतक ज़रूर अधूरा रह गया लेकिन उनका और उनके पिता का वो सपना गुरुवार को सूरज निकलते ही पूरा हो गया था।