10 टीमों में 10वां स्थान। चार जीत और आठ अंकों के साथ चेन्नई सुपर किंग्स से नेट रनरेट में पीछे होने के कारण अंक तालिका में सबसे निचला स्थान।
जो कुछ गलत हो सकता था, गलत गया।
रोहित शर्मा ने इस सीज़न एक भी अर्धशतक नहीं लगाया।
इशान किशन उनके लिए महंगी ख़रीद रहे, वह रनों के लिए पूरे सीज़न जूझते दिखे। शुरुआत में चोटिल होने के बाद
सूर्यकुमार यादव सीज़न के अंत में दोबारा चोटिल हो गए।
कायरन पोलार्ड भी इस बार फ़ायर नहीं कर सके। उन्होंने 110 से कम के स्ट्राइक रेट से 11 मैचों में केवल 144 रन बनाए। ख़राब फ़ॉर्म की वजह से ही उन्हें आख़िरी तीन मैचों में बाहर बैठा दिया गया।
डेथ ओवरों में
जसप्रीत बुमराह के साथी के तौर पर
टिमाल मिल्स को देखा गया था लेकिन वह भी पांच मैच बाद चोटिल हो गए। जो मैच उन्होंने खेले, उसमें 11.17 रन प्रति ओवर ख़र्च किए। एक बार जब
मुरुगन अश्विन ने टीम प्रबंधन का भरोसा खोया तो उनके पास भरोसेमंद कलाई के स्पिनरों का विकल्प ही नहीं था। सीज़न के अंत में उन्होंने बायें हाथ के लेग स्पिनर
कुमार कार्तिकेय और लेग स्पिनर
मयंक मार्कंडेय को खिलाया।
सवालों के घेरे में फ़ैसले
नीलामी में मुंबई ने
टिम डेविड को बड़ी रकम देकर ख़रीदा था, लेकिन शुरुआती कुछ मैचों में ख़राब प्रदर्शन के बाद उन्होंने बाहर बैठा दिया गया। इसके बाद जब अंत में उन्हें मौक़ा मिला तो मुंबई के लिए सीज़न ख़त्म हो चुका था। इसके बावजूद चार में से तीन मैचों में उन्होंने मुंबई की जीत में अहम योगदान दिया। दिल्ली के ख़िलाफ़ आख़िरी मैच में उन्होंने 10 गेंद में 34 रन बनाए और ना केवल मुंबई को जीत दिलाई, बल्कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए भी आगे का रास्ता खोल दिया। कुल मिलाकर उन्होंने आठ मैचों में 216.27 के स्ट्राइक रेट से 186 रन बनाए। इससे दिखता है कि वह अगले सीज़न में मुंबई के लिए फ़िनिशर की भूमिका निभाते दिखेंगे।
बायें हाथ के बल्लेबाज़
तिलक वर्मा इस सीज़न की ख़ोज हैं। कप्तान रोहित शर्मा ने उनके बारे में कहा था कि वह जल्द ही तीनों प्रारूपों में खेलते नज़र आएंगे। तिलक ने मुंबई के लिए मध्य क्रम में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने 131 के स्ट्राइक रेट से 397 रन बनाए। उन्होंने पूरे सीज़न निडरता से अपनी रेंज के शॉट खेले और साथ ही संयम भी दिखाया।
डेवाल्ड ब्रेविस को भी इस सीज़न की ख़ोज कहा जा सकता है। उन्होंने मध्य क्रम में तिलक के साथ कई अच्छी साझेदारियां की। मुंबई 2023 में इन दो खिलाड़ियों के दम पर वापसी कर सकती है। ब्रेविस को उनके टूर्नामेंट में छोड़ी छाप पर जज नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने 149 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। उनके शॉट खेलने की कला को एबी डीविलियर्स के साथ तुलना की गई।
ऋतिक शौकीन ने मुंबई के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनकी ऑफ़ स्पिन पर कई बल्लेबाज़ फंसे। वहीं बायें हाथ से सबकुछ करने वाले कार्तिकेय ने भी दिखाया कि वह बड़े मंच पर क्या कर सकते हैं।
मुंबई के ख़िलाफ़ आख़िरी मैच में हार के बाद उनका अगले दौर में जाने का सपना टूट गया और उन्होंने पांचवें स्थान पर रहकर सीज़न को ख़त्म किया।
कोविड की वजह से क्वारंटीन, आइसोलेशंस, रद्द ट्रेनिंग सत्र, मैच के स्थान में बदलाव, अहम खिलाड़ी चोटिल। इन सभी वजहों ने दिल्ली कैपिटल्स को पूरे सीज़न परेशान रखा। वह निरंतरता में प्रदर्शन नहीं कर पाए। अगर एक मैच में उनकी ओपनिंग जोड़ी फ़ॉर्म में दिखी, तो अगले ही मैच में मध्य क्रम कमज़ोर दिखा या गेंदबाज़ी आक्रमण में कमी दिखी।
पृथ्वी शॉ के बीमार होने से उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ा।
ख़लील अहमद को चार मैचों में बाहर बैठना पड़ा।
ऋषभ पंत की फ़ॉर्म गायब दिखी, तो
ललित यादव भी अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। इसका नतीजा यह रहा कि लगातार दो से ज़्यादा जीत इस सीज़न दर्ज नहीं कर पाए।
सवालों के घेरे में फ़ैसला
भारतीय खिलाड़ियों, ख़ासकर बल्लेबाज़ों में लगातार बदलाव उनके लिए सही नहीं गया। उन्होंने
मनदीप सिंह से शुरुआत की, इसके बाद
सरफ़राज़ ख़ान के साथ गए, इसके बाद
रिपल पटेल और
केएस भरत के साथ गए और आख़िर में दोबारा सरफ़राज़ के साथ। इस म्यूजिकल चेयर गेम का प्रभाव खिलाड़ियों पर भी पड़ा।
चोट की वजह से
मिचेल मार्श को टीमें ख़रीदने से हिचकिचाती रही हैं, लेकिन उन्होंने दिखाया कि वह अब ज़्यादा चोटिल होने वाले खिलाड़ी नहीं हैं। नंबर तीन पर दो बेहतरीन पारियों और गेंदबाज़ी से योगदान से उन्होंने 11 सालों में अपना सर्वश्रेष्ठ सीज़न गुजारा।
कुलदीप यादव को भी अपनी पुरानी खोई फ़ॉर्म मिल गई। इस सीज़न उन्होंने 14 मैच में 21 विकेट अपने नाम किए।
डेविड वॉर्नर ने जहां 2009 में शुरुआत की थी, वह दोबारा वहीं आए। उन्होंने 150 के स्ट्राइक रेट से इस बार 432 रन बनाए।
अक्षर पटेल की निचले क्रम में हिटिंग लंबे समय में देखने को मिली और
रोवमन पॉवेल एक मज़बूत फ़िनिशर के तौर पर दिखे।