एक रॉन्ग टर्न से रॉन्ग वन में कैसे तब्दील हुआ हर्ष दुबे का क्रिकेट सफ़र
इंडिया ए टीम में चुने गए विदर्भ के स्पिनर दुबे ने IPL में भी तीन मैचों में ही खुद को साबित किया
निखिल शर्मा
30-May-2025
Harsh Dubeyआिखिरी तीन मैच में खुद को साबित किया•BCCI
22 मई को सनराइज़र्स हैदराबाद (SRH) के रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) से मैच से पहले उनके युवा बाएं हाथ के स्पिनर हर्ष दुबे से विराट कोहली को आउट करने के उनके प्लान के बारे में पूछा जा रहा था। दुबे ने हंसते हुए बोला, 'सर यह अभी मैं आपको कैसे बता सकता हूं, अगर मैं मैच के एक दिन पहले प्लान बताऊंगा तो यह अच्छा नहीं होगा।' और क़िस्मत देखिए दुबे को कोहली का विकेट भी मिला और उन्होंने उसी प्लान के साथ यह विकेट लिया जो वह बातों-बातों में इंटरव्यू के दौरान साझा भी कर दिए थे। सीज़न ख़त्म होते-होते दुबे के पास मिचेल मार्श, विराट कोहली, आंद्रे रसल और रिंकू सिंह जैसे बल्लेबाज़ों के विकेट हैं। दुबे का IPL 2025 का सफ़र तो समाप्त हो गया है लेकिन अब उनके पास उनके पसंदीदा प्रारूप में इंडिया ए के लिए खेलकर इंग्लैंड में अपने सपनों को पर लगाने का मौक़ा है।
लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़िलाफ़ जब दुबे को पावरप्ले में ही गेंदबाज़ी थमाई गई तो एक बात साफ़ दिखी कि मार्श और ऐडन मारक्रम उन पर सामने की ओर वी में प्रहार कर रहे थे। लेकिन वह कुछ ऐसा करना चाह रहे थे जिसमें वह आखिरकार सफल हुए और उनको मार्श का विकेट मिला।
दुबे ने कहा, "मेरा शुरू से ही प्लान था कि गेंद को अधिक से अधिक घूमाऊं। मेरा यही प्लान था कि विकेट से कुछ तो मदद मिले। मिडिल स्टंप से थोड़ा बाहर मैंने इस बार मार्श को यह गेंद की थी और यह गेंद ग्रिप हुई और गिरकर बाहर भी निकली। गेंद को अधिक से अधिक टर्न कराने की कोशिश कर रहा था, जिससे मार्श के बल्ले का बाहरी किनारा लगा और बैकवर्ड प्वाइंट पर वह कैच हुए।"
दुबे भारतीय टेस्ट टीम के शीर्ष ऑलराउंडर रवींद्र जाडेजा को ही अपना मेंटॉर मानते हैं और उनकी ही तरह बल्लेबाज़ों को सेटअप करते हुए नज़र आते हैं। यह उनके पिछले तीन मुक़ाबलों में देखने को भी मिला। RCB के ख़िलाफ़ उन्होंने कोहली का जो विकेट लिया वह उनको उनकी ग्रिप और पिच से मिली अधिक मदद के कारण ही मिला। जिसमें कोहली पीछे हटकर कट करने गए और कैच आउट हो गए। अगले मैच में उन्होंने कोलकाता नाइटराइडर्स के ख़िलाफ़ तीन विकेट लिए, जिसमें से दो विकेट उनकी प्लानिंग का हिस्सा थे। उन्होंने रसल को मिडिल एंड लेग स्टंप पर गुड लेंथ पर गेंद पिच कराई और फिर हल्का सा टर्न रसल को एलबीडब्ल्यू कराने के लिए काफ़ी थी। रमनदीप सिंह को उन्होंने एक आर्म बॉल पर एलबीडब्ल्यू किया और यह उनकी प्लानिंग का एक ताज़ा उदाहरण था।
अब वह इंडिया ए टीम में इंग्लैंड दौरे पर टीम का हिस्सा हैं और उनसे उनकी प्लानिंग के बारे में पूछा तो विदर्भ के नागपुर से आने वाले दुबे ने बस यही कहा तैयारी करता हूं लेकिन प्लानिंग क्या है क्या तैयारी कर रहा हूं यह तो नहीं बता सकता।
दुबे ने कहा, "मैं फिर सही कहूंगा कि प्लान तो दिमाग़ में है ही। मैं वही सब करता हूं कि गेंदबाज़ी क्या कुछ नया कर सकता हूं, कैसे कुछ नया करके बल्लेबाज़ का ध्यान भटका सकता हूं। गहराई में जाकर तो मैं नहीं बता सकता हूं, लेकिन कुछ सीख रहा हूं जो आगे आने वाले मैचों में लाना चाहूंगा। अगर मैं यह सब बता दूंगा तो यह सभी को पता चल जाएगा। इंडिया ए टूर की बात है तो मैंने क्रिकेट ही भारत के लिए खेलने के लिए शुरू किया है, तो अभी मुझे यह मौक़ा मिला है। मैं इसको एक मौके़ के तौर पर सोच रहा हूं।"
दुबे जल्दी ही इंडिया ए की जर्सी पहनेंगे। इससे पहले उन्होंने रणजी ट्रॉफ़ी इतिहास में इस सीज़न सबसे अधिक 69 विकेट लेकर रिकॉर्ड बना दिया था। लेकिन उनका यह सफ़र भी कठिनाईयों के साथ ही शुरू हुआ, जहां उनके एयरफ़ोर्स में तैनात पिता और शिक्षिका मां ने उनके सफ़र में उनका पूरा साथ दिया। लेकिन बचपन में पिता के लिए एक रांग टर्न के बाद आज वह अपनी रांग वन से दुनिया में छा जाने के सपने देख रहे हैं।
दुबे ने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा, "पहले तो मैं मुंबई में पढ़ता था, पापा वहीं एयरफ़ोर्स में थे, फिर हम मुंबई से नागपुर गए, शुरुआत में ऐसा कुछ नहीं था, दोस्तों के साथ खेलता रहता था। बल्ले को लेकर लड़ाई वगैरह होती थी, तो एक बार हम बुक्स लेने जा रहे थे, रांग टर्न की वजह से कहीं और पहुंच गए, वहां रूबी क्लब पहुंच गए। मैंने बोला मैं भी यहां पर खेलूंगा। यहां लड़ाई होती है तो पापा ने भी सोचा वहां पर डाल ही देते हैं।"
"पढ़ाई और क्रिकेट मैनेज करना मुकिश्ल होता था। मेरी मम्मी शिक्षिका हैं, चार बजे उठती थी, फिर वीसीए सुबह कैंप रहता था। टिफिन तैयार रखती थी। मम्मी स्कूल से आती थी, तो मैं पहले ही आ जाता था, तब खुॉद खाना गर्म करके खाता था। शाम को मम्मी फिर प्रैक्टिस पर ले जाती थी। पापा भी नाइट शिफ्ट करने के बाद अगली सुबह मैच खिलाने ले जाते थे। हम तीनों का ही इस सफ़र में मुश्किलों भरा समय गुजरा है।"
विदर्भ की टीम ने इस साल रणजी ट्रॉफ़ी जीती और उनके हर खिलाड़ी में भरे आत्मविश्वास की झलक दुबे में भी नज़र आती है और यह विदर्भ क्रिकेट संघ के अथक प्रयासों का नतीज़ा है कि आज उनकी टीम लगातार अच्छा कर रही है। दुबे ने इन तैयारियों के बारे में भी खुलकर बात की कि इस सफलता के पीछे क्या राज है।
दुबे ने कहा, "विदर्भ टीम की तैयारी, सबसे अधिक जरूरी तो यह है कि ऑफ़ सीज़न में हम कैसे तैयारी करते हैं। हम ऑफ़ सीज़न कैंप लगाते, मैच खेलते हैं, बारिश के समय में हम फिर बाहर जाते हैं, क्योंकि नागपुर में बारिश का सीज़न लंबा होता है। अभी जो हम रणजी ट्रॉफ़ी जीते हैं, उसमें से किसी ना किसी लड़के ने कहीं ना कहीं ट्रॉफ़ी जीती है। हम वह ऐज ग्रुप से करते आ रहे हैं, जो अभी रणजी ट्रॉफ़ी में कर रहे हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि कैसे जीतना है, कैसे दबाव को सहना है। क्योंकि क्वालीफिकेशन अलग बात है, लेकिन बड़ी टीमों के ख़िलाफ़ जैसे मुंबई, कर्नाटक के ख़िलाफ़ कैसे दबाव सहना है और अच्छा खेलना यह इस टीम को आता है।"
भले ही दुबे को इस सीज़न IPL में नीलामी में नहीं चुना गया हो, भले ही उनको इस सीज़न तीन ही मैच खेलने का मौक़ा मिला हो, लेकिन उनकी प्लानिंग और लक्ष्य उनको भविष्य का रवींद्र जाडेजा 2.0 बनाने में पूरी तरह से मदद कर सकती है।
निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26