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मैं किसी भी नंबर पर बल्लेबाज़ी और किसी भी मौक़े पर गेंदबाज़ी के लिए तैयार हूं : क्रुणाल

सीनियर पंड्या ने कहा कि लंबे करियर और टीम की ज़रूरतों के लिए, मैंने अपनी गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी के तकनीक में कुछ बदलाव भी किए हैं

Krunal Pandya celebrates a wicket, India vs Sri Lanka, 1st ODI, Colombo, July 18, 2021

श्रीलंका के ख़िलाफ़ सीरीज़ के दौरान क्रुणाल  •  AFP via Getty Images

47 गेंद, 51 रन और चार विकेट। यह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में से एक एबी डिविलियर्स के ख़िलाफ़ मुंबई इंडियंस के ऑलराउंडर क्रुणाल पंड्या का गेंदबाज़ी रिकॉर्ड है।
क्रुणाल कहते हैं, "एबी मेरे पसंदीदा खिलाड़ियों में से एक हैं। मुझे 2016 और 17 का सीज़न याद है, जब मैंने उनको कई बार आउट किया था और यह भी सुनिश्चित किया कि उनके ख़िलाफ़ मैं अधिक रन नहीं दूं। जब आप एबी जैसे बड़े बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी करते हैं, तो आपके पास खोने के लिए कुछ अधिक नहीं होता है। अगर वह आप पर बड़ा शॉट भी खेलते हैं, तब भी आपसे कोई सवाल-जवाब करने नहीं आएगा। इसलिए जब भी मैं ऐसे किसी बड़े खिलाड़ी के ख़िलाफ़ खेलता हूं, तो उन्हें चैलेंज करने की कोशिश करता हूं। मैं समझता हूं कि अगर आपको ऊंचाईयां प्राप्त करनी है, तो आपको बड़े नामों के ख़िलाफ़ कुछ विशेष करना होगा।"
तो क्या आप एबी जैसे बड़े नामों के ख़िलाफ़ आक्रामक माइंडसेट के साथ उतरते हैं?
हां, बिल्कुल। एबी जैसे बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ गलती करने की गुंजाइश कम से कम रहती है। आप ऐसा नहीं कह सकते कि आपने पहले उनको आउट किया है, इसलिए वह दबाव में होंगे। हालांकि, अगर आपका रिकॉर्ड उनके ख़िलाफ़ अच्छा है, तो निश्चित रूप से आप बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ मैदान में उतरते हैं।
आपने ऋषभ पंत को भी तीन बार आउट किया है। क्या वह अधिक आक्रामक हैं, जिससे आपको विकेट लेने में मदद मिलती है?
मैं हमेशा ही कठिन परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी करता हूं। ऋषभ अपना दिन होने पर स्पिनर्स के ख़िलाफ़ रनों का कत्लेआम मचा सकते हैं। मैंने ऐसी कठिन परिस्थितियों से भी निपटने के लिए काम किया है। हालांकि यह कतई भी आसान नहीं है, लेकिन मैं कभी भी दबाव नहीं लेता और अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं।
क्या बड़े विकेट स्पिनर के रूप में आपको आत्मविश्वास दिलाते हैं?
100 प्रतिशत, ये मुझे आत्मविश्वास देते हैं। क्रिकेट में कोई भी परिस्थिति बने, आपको अपने ऊपर विश्वास रखना ही होगा। अगर एक या दो दिन ख़राब भी हो जाता है तो आपको अपनी योग्यताओं पर संदेह नहीं करने होंगे बल्कि कहां ग़लती हुई, उसका कारण और समाधान ढूंढ़ना होगा।
जब भी कोई बुरा दिन जाता है तो मैं निराश नहीं होता हूं। मैं विश्लेषण करता हूं कि क्या और अच्छा किया जा सकता है। मैं उन कमियों को दूर करने के लिए नेट में प्रैक्टिस करता हूं। अगर वैसी ही परिस्थितियां अगली बार भी आती हैं, मैं उसे अलग ढंग से हैंडल करता हूं।
क्या आप कोई उदाहरण दे सकते हैं?
मैं एक नहीं दो उदाहरण दे सकता हूं। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया में पहले मैच में मैंने 4 ओवर में 55 रन दिए। इससे पहले मैंने कभी भी अपने टी20 करियर में 45-48 रन से अधिक नहीं दिया था। इसलिए मैं निराश हो गया था।
मैं कमरे में गया और सीसे में खुद को देखकर बोला, "तुम बहुत सी लड़ाइयां जीतकर यहां तक पहुंचे हो, तुम में बहुत सी अच्छी चीज़ें हैं, तब तुम यहां हो, इसलिए एक मैच से आपका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।"
मुझे ख़ुद से बात करना पड़ा क्योंकि एक दिन बाद फिर से मैच था। निःसंदेह, मुझ पर दबाव था। अगले मैच में मैंने सिर्फ़ छह की इकॉनोमी से रन दिए और ग्लेन मैक्सवेल का विकेट लिया। उसके अगले मैच में मुझे प्लेयर ऑफ द मैच का अवार्ड भी मिला।
असफलता आपको बहुत कुछ सिखाती हैं। इस सीरीज़ के बाद मुझे सीख मिली कि कभी भी हार नहीं मानना चाहिए, क्योंकि एक ही रात में चीज़ें बदल सकती हैं। बस, आपको अपने आप पर भरोसा बनाए रखना होता है।
तो, क्या उस मैच के बाद कुछ नहीं बदला?
पहले मैच में मैं ऐसा कुछ करने की कोशिश कर रहा था, जो कि मेरी ताकत नहीं है। मैंने महसूस किया कि वह प्रयोग काम नहीं कर रहा, तो मैं उस पर लौट आया, जो मैं वर्षों से करते आ रहा हूं।
वैसे आप क्या करने की कोशिश कर रहे थे?
मैं बल्लेबाज़ को अधिक रूम दे रहा था। उस मैच में स्क्वेयर बॉउंड्री 60 मीटर और अन्य बॉउंड्री 90 मीटर पर थे। मैं ऑफ़ साइड में बोलिंग करने की कोशिश कर रहा था, जहां की तरफ बॉउंड्री बड़ी थी। लेकिन रूम देने से बल्लेबाज़ों के लिए बल्ला चलाना आसान हो गया। सामान्यतया, मैं अधिक रूम नहीं देता हूं, इसलिए अगले मैच में मैं अपने बेसिक्स पर लौट आया।
दूसरा उदाहरण 2018 आईपीएल का है, जब रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) के ख़िलाफ़ मैच में मैं हार्दिक के साथ बल्लाबाज़ी कर रहा था। हमें 5 ओवर में करीब 45-50 रन की ज़रूरत थी। मैं, एक भी गेंद को मनचाहे ढंग से हिट नहीं कर पाया और टीम को हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कई फ़ुल-टॉस गेंदें भी कीं, लेकिन फिर भी मैं शॉट नहीं लगा पाया। इस मैच के बाद तीन दिन का ब्रेक था। मैंने मैच के वीडियो देख के पता लगाया कि मेरी तकनीक में कुछ दिक्कत है। शॉट खेलते वक़्त मेरा शरीर कुछ जल्दी खुल जा रहा है और ऐसा स्टांस की वज़ह से है।
अगले मैच में फिर टीम को किंग्स इलेवन पंजाब (अब पंजाब किंग्स) के ख़िलाफ़ अंतिम 5 ओवर में 11-12 की रन गति से रन बनाने थे। मैंने उस मैच में 12 गेंदों में 31 रन बनाए। मैंने आरसीबी के ख़िलाफ़ तीन दिन तक नेट्स में अभ्यास नहीं किया था। हां, मैंने अपने स्टांस में कुछ बदलाव ज़रूर किए। एक खिलाड़ी के रूप में कई बार आप अपनी कमियों को नहीं जान पाते हैं। लेकिन यदि आप उसे जानते हैं, तो आप और अच्छा कर सकते हैं।
आपके लिए सर्वश्रेष्ठ आईपीएल मैच कौन सा है?
2017 और 2019 का फ़ाइनल। 2019 के फ़ाइनल में मैं टीम के लिए कुछ अधिक योगदान नहीं दे पाया, लेकिन जिस तरह से टीम जीती, वह यादगार था।
वहीं 2017 के फ़ाइनल में दूसरा स्ट्रैटेजिक टाइम आउट लेत समय हम 78 पर 7 थे और मैं मिशेल जॉन्सन के साथ बल्लेबाज़ी कर रहा था। इससे पहले जब भी मैं क्रीज़ पर आता था तो मेरा एक ही लक्ष्य रहता था कि विकेट की परवाह किए बिना ताबड़तोड़ बल्लाबाज़ी करना और टीम को एक बड़े स्कोर तक पहुंचाना। लेकिन उस दिन मैंने अपने लक्ष्य को बदला। मैंने ख़ुद से कहा 18वें ओवर तक विकेट नहीं खोना है, चाहे थोड़े कम रन ही बने और उसके बाद ही हाथ खोलने हैं। सौभाग्य से, उस दिन सब कुछ योजना के मुताबिक़ हुआ और अंतिम ओवरों में मैंने 25 से 30 रन बनाए।
हाल के समय में क्या आपने अपनी बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में कुछ बदलाव किए हैं?
2020 आईपीएल के बाद मैं घर (वड़ोदरा) गया और पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज़ किरण मोरे के साथ अपनी बल्लेबाज़ी तकनीक पर काम किया। उन्होंने मुझे बचपन से देखा है, वैसे मैं किसी की भी सलाह लेने के लिए हमेशा से तैयार रहता हूं। अब आप देख सकते हैं कि मैं अब पहले से बेहतर तरीके से गेंद को खेलने की स्थिति में होता हूं। इसके बाद मैंने 2020-21 के विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी के पांच मैचों में दो शतक और दो अर्धशतक की मदद से लगभग 400 रन (388 रन, 129.33 और 117.93 की स्ट्राइक रेट से) बनाए। इससे मेरा भारत की वनडे टीम में चयन हुआ और उस सीरीज़ में भी मैंने अच्छा खेल दिखाया।
पहले आप स्टंप के बहुत दूर से गेंदबाज़ी करते थे, जबकि अब आप स्टंप के पास आकर गेंद फेंकते हैं, तो आपने गेंदबाज़ी तकनीक में भी बदलाव किया है? हां, इसके लिए मैंने राहुल संघवी से सलाह ली, जो कि पूर्व भारतीय स्पिनर और वर्तमान में मुंबई इंडियंस के स्कॉउट हैं। इस गेंदबाज़ी तकनीक से आप अपने करियर में और आगे जा सकते हैं। एक लंबे करियर के लिए ऊंचे हाथ से गेंदबाज़ी करना बहुत ज़रूरी है।
आप फ़्लोटर हैं, फ़िनिशर हैं या क्या हैं?
एक चीज़ जो मैं कह सकता हूं, मैं एक बल्लेबाज़ हूं, जो टीम की ज़रूरतों के अनुसार किसी भी नंबर पर, किसी भी ढंग से बल्लेबाज़ी कर सकता हूं। मैंने पारी को समाप्त भी किया है और ऐसी परिस्थितियों में पारी को संभाला भी है, जब टीम की स्थिति 20 पर 2 या 20 पर 3 विकेट हो। इसी तरह गेंदबाज़ी में भी मैं पॉवरप्ले, मिडिल ओवर और फिर डेथ ओवर में भी गेंदबाज़ी करता हूं और यहां तक कि कई बार अंतिम ओवर भी डाला है। मैं टीम की आवश्यकता अनुसार कोई भी भूमिका निभा सकता हूं।
आप और आपके भाई हार्दिक विश्व कप टीम में जगह बनाने के काफ़ी क़रीब हो?
जी, हां और ज़ल्द ही विश्व कप भी घर आने वाला हैं। (मुस्कुराते हुए)

नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ ए़डिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागर ने किया है