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बिशन बेदी से सौरव गांगुली : पृथ्वी से पहले नॉर्थैंप्टनशायर का इंडिया कनेक्शन

वनडे कप में 244 की पारी खेलने वाले पृथ्वी इस काउंटी के पहले भारतीय सुपरस्टार नहीं हैं

Ramachandra Guha (centre) takes a photo with Anil Kumble (left) and Bishan Bedi at the 2017 BCCI Awards, Bangalore, March 8, 2017

स्पिन के जादूगर बिशन सिंह बेदी और अनिल कुंबले इस काउंटी के दो लोकप्रिय खिलाड़ी रहे हैं  •  Getty Images

पृथ्वी शॉ ने बुधवार को इंग्लैंड की काउंटी टीम नॉर्थेंप्टनशायर के लिए 50 ओवर के वनडे कप में 244 रनों की पारी के साथ लिस्ट-ए में अपना दूसरा दोहरा शतक बनाया। यह लिस्ट-ए क्रिकेट में इस काउंटी के लिए सर्वाधिक स्कोर है और भारत के लिए भी तीसरी सर्वाधिक लिस्ट ए पारी है।

हालांकि शॉ पहले भारतीय अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं हैं, जिन्होंने ईस्ट मिडलैंड्स (इंग्लैंड के पूर्व-मध्य क्षेत्र) के इस काउंटी टीम में अपनी छाप छोड़ी हो। मज़े की बात यह है कि उनसे पहले जिन पांच भारतीय खिलाड़ियों ने इस काउंटी से खेला, उनमें चार भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट के कप्तान भी बने।

रमेश दिवेचा (1948)

रमेश 'बक' दिवेचा ने आज़ादी के बाद जो पांच टेस्ट खेले उनमें 1951-52 में भारत के टेस्ट इतिहास की पहली जीत शामिल है। हालांकि 1948 में वह जब नॉर्थैंट्स के लिए खेले तो वह महज़ 20 साल के थे और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के छात्र थे। उनके सामने थी डॉन ब्रैडमन की 'इंविंसीबल्स' की टीम, हालांकि इस अभ्यास मैच के लिए कप्तानी लिंडसे हैसेट ने की। पारी और 64 रन की हार में पहली पारी में दिवेचा नंबर 8 पर उतरकर 33 के साथ सर्वाधिक स्कोरर रहे और बाद में उन्होंने नई गेंद लेते हुए लेजेंडरी नील हार्वी का विकेट भी निकाला।

बिशन सिंह बेदी (1972-1977)

बेदी के नॉर्थैंट्स के साथ लंबी साझेदारी का आप इस बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उन्होंने इस काउंटी के लिए 110 प्रथम श्रेणी मैचों में 434 विकेट लिए। केवल 20.89 की औसत से लिए गए इन विकेटों में 26 पांच विकेट हॉल और पांच बार मैच में 10 विकेट हॉल भी शामिल थे। बेदी इस काउंटी के एक सीनियर सदस्य माने जाते थे और पाकिस्तान के मुश्ताक़ मोहम्मद, जिन्होंने टीम की कप्तानी भी की, उनके बड़े अच्छे दोस्त बन गए। बेदी ने 53 लिस्ट-ए मैच में 53 विकेट भी लिए और एक नॉकआउट मैच में 24 नाबाद की मैच-जिताऊ पारी भी खेली।

कपिल देव (1981-83)

अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के चलते कपिल का काउंटी स्टिंट छोटा रहा लेकिन उन्होंने गेंद से ज़्यादा बल्ले से दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने 16 प्रथम श्रेणी मैचों में 42.8 के औसत से लगभग 900 रन बनाए और तीन शतक और तीन अर्धशतक भी ठोके। गेंद से उनके नाम इस प्रारूप में केवल 31 विकेट आए।

लिस्ट-ए में उन्होंने 18 मैचों में 20 विकेट लिए और 75 का सर्वाधिक स्कोर भी बनाया। इसी स्टिंट के दौरान उन्होंने विश्व कप में 175 नाबाद की धुआंदार पारी भी खेली।

अनिल कुंबले (1995)

कहा जाता है कि उनके काउंटी साथी कुंबले को अपने अंदाज़ में 'कंबल' बोलते थे। यह कब 'कंबल' से 'क्रंबल' बना और फिर 'ऐपल' (इंग्लैंड में ऐपल क्रंबल पाई एक लोकप्रिय पकवान होता है), यह नहीं पता, लेकिन अनुभवी इंग्लैंड बल्लेबाज़ ऐलन लैंब की कप्तानी में नॉर्थैंप्टनशायर ने कई साल बाद काउंटी चैंपियनशिप में सम्मानजनक तीसरा स्थान हासिल किया था। इसमें कुंबले द्वारा 19 मैचों में 105 विकेटों का योगदान अहम था।

कुंबले ने केवल 20.4 की औसत से विकेट लिए और नाम आठ पांच-विकेट हॉल और दो मैचों में 10 विकेट भी निकाले। उन्होंने 17 लिस्ट-ए मैचों में 30 विकेट तो लिए ही, साथ में उपयोगी 321 रन भी बनाए और अपने सीज़न को हर मायने में यादगार बनाया।

सौरव गांगुली (2006)

गांगुली इस काउंटी के लिए खेलने ऐसे समय में गए जब वह भारतीय टीम की कप्तानी से बाहर हो चुके थे और टीम में भी नियमित स्थान नहीं बना रहे थे। ऐसे में काउंटी चैंपियनशिप में चार मैचों में उन्होंने 10 का आंकड़ा एक बार नहीं छूआ और 4.80 के औसत से 24 रन ही बना पाए। उन्होंने लिस्ट-ए में केवल दो ही मैच खेले और नॉटिंघम में 71 की पारी अपने नाम की। हालांकि उनका सबसे बड़ा योगदान नौ टी20 मैचों में हुआ (यह टी20 का चौथा ही साल था) - सर्वाधिक 73 के साथ 220 रन और 22.63 के औसत से 11 विकेट।
इस फ़ीचर के लिए स्टैट्स संपत बंडारूपल्ली द्वारा दिए गए हैं

देबायन सेन ESPNcricinfo के वरिष्ठ सहायक संपादक और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रमुख हैं @debayansen