आप पाएंगे कि अधिकतर गेंदें अच्छी तकनीक, कोण, सीम पोज़िशन, लाइन और लेंथ से फेंकी गई हैं, जिनको पिच से भी थोड़ा या अधिक सहयोग मिला और बल्लेबाज़ भी उसे पढ़ने में पूरी तरह से नाकाम रहें।
टेस्ट क्रिकेट निरंतरता का खेल है, जिसमें आपको एक ही लाइन और लेंथ पर बेहतर गति से निरंतर गेंदबाज़ी करते हुए परिणाम का इंतज़ार करना होता है।
लेकिन जादुई गेंदें कुछ अलग ही होती हैं। जैसे कि
जसप्रीत बुमराह को
शॉन मार्श को किया गया गेंद। सिर्फ़ 25 टेस्ट का अनुभव रखने वाले बुमराह अब कई बार इस जादुई पल को पैदा कर चुके हैं। फिर चाहे वह बाएं हाथ के कीटन जेनिंग्स को
साउथैंप्टन में किया गया इनस्विंग गेंद हो या फिर ऑली रॉबिन्सन को
लॉर्ड्स में आउट करने के लिए राउंद द विकेट आकर स्लोअर, ऑफ़ कटर गेंद डालना हो।
साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़
सेंचूरियन टेस्ट में बुमराह ने फिर से कुछ ऐसे ही जादुई पल पैदा किए। बुधवार को टेस्ट के चौथे दिन 14 गेंदों के अंतराल में बुमराह ने यह जादू दो बार कर दिखाया। सबसे पहले इस जादू का शिकार रासी वान डर दुसें हुए।
दुसें क्रीज़ की चौड़ाई से एंगल बनाकर अंदर आती उनकी गेंद से चकमा खाए और उसे बाहर जाता समझ छोड़ने की ग़लती कर बैठे। नतीज़ा अगले ही पल में सबके सामने था। उनके स्टंप बिखर चुके थे। इस विकेट से बुमराह इतने उत्साहित हुए कि ख़ुद की प्रशंसा में ही तालियां बजाने लगे। ऐसा बुमराह तभी करते हैं, जब वह अपनी किसी गेंद से बेहद ख़ुश होते हैं, फिर चाहे उस पर विकेट मिले या ना मिले।
इसके बाद बुमराह ने दिन के अंतिम ओवर में नाइट वाचमैन केशव महाराज को एक इनस्विंगिंग यॉर्कर से स्तब्ध कर दिया। महाराज के लिए वह गेंद किसी अबूझ पहेली की तरह थी, जिसका जवाब उनके पास तो बिल्कुल नहीं था और जाते हुए वह नॉन स्ट्राइकर एंड पर साथी एल्गर की ओर इस आशा में देख रहे थे कि शायद उनके पास इसका जवाब हो।
बुमराह के इन दो लगातार विकेटों से पहले भारत को 103 मिनट तक विकेट के लिए जूझना पड़ा था। वान डर दुसें और एल्गर क्रीज़ पर खूंटा डाल कर खड़े हो गए थे। भारत के सभी गेंदबाज़ कोशिश तो कर रहे थे, लेकिन कोई भी गेंदबाज़ विकेट प्राप्त करने का एक मौक़ा तक नहीं पैदा कर पाया था। पांचवें दिन बारिश की संभावना भी थी। इस वज़ह से भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर एक चिंता की लहर भी महसूस की जा रही थी। लेकिन बुमराह ने एक ही झटके में दो विकेट लेकर इन सभी चिंताओं को दूर कर दिया।
बुमराह लगातार ना सिर्फ़ जादूई गेंदें फेंक रहे हैं, बल्कि वह एक जादुई गेंदबाज़ हैं। वह लगातार एक निश्चित लाइन-लेंथ और तेज़ गति से गेंदबाज़ी करते हैं।
चौथे दिन दोहरा जादू करने के बाद पांचवें दिन भी बुमराह ने एक जादू किया। वह लंबे समय से पिच पर टिके एल्गर को लगातार परेशान तो कर रहे थे, लेकिन बाहरी किनारा नहीं निकाल पा रहे थे। एक बार मोटा किनारा भी लगा तो दूसरे स्लिप और गली के बीच से निकल गया। एल्गर पांचवें दिन तेम्बा बवूमा के साथ 9.5 ओवर तक टिके रहे और अपने निजी स्कोर को 77 तक पहुंचा दिया।
उस समय तक सेंचूरियन का आकाश तो साफ़ था लेकिन दोपहर के बाद भारी बारिश की संभावना जताई जा रही थी। मतलब साफ़ था कि अगर एल्गर टिके रह गए तो साउथ अफ़्रीकी टीम ड्रॉ के लिए भी सोच सकती है।
तभी बुमराह, बाए हाथ के एल्गर के लिए राउंद द विकेट से आएं और एक ऐसी गेंद फेंकी जो चौथे स्टंप पर पड़कर अंदर की ओर आई। इससे पहले एल्गर के लिए सभी गेंद ऑफ़ स्टंप से बाहर निकल रहे थे और उन्हें वह आसानी से छोड़ते भी जा रहे थे। इसलिए इस अंदर आती और नीची रहती गेंद पर वह असहज हो गए और बैकफुट से उसे फ़्लिक करने का प्रयास किया, लेकिन गेंद बल्ले को मिस कर सामने वाले पैर पर लगी और वह पगबाधा आउट थे।
क्या बुमराह को पिच से मदद मिली थी या गेंद हवा में लहराई थी? दरअसल, दोनों ही हुआ था। बुमराह एक इनस्विंग गेंद की तलाश में थे, लेकिन उन्होंने सीम को थोड़ा सा तिरछा पकड़ कर रखा था। गेंद पांचवें दिन के पिच पर उभरी दरार पर पड़ी और अपना कांटा बदल ली।
सच कहें तो गेंद उतना भी कांटा नहीं बदली थी लेकिन फिर भी यह विचलन इतना काफ़ी था कि वह एल्गर के बल्ले के अंदरूनी किनारे को भी छोड़ते हुए एल्गर के पैड पर जा लगे।
कहना ग़लत नहीं होगा कि यह सिर्फ़ जादू नहीं था, बल्कि एक जादुई क्रिकेटर के लिए क्रिकेट के देवताओं से मिलने वाला इनाम था।
कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के दया सागप ने किया है